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Kanguva Review: ‘एनिमल’ की कामयाबी के बाद बॉबी देओल ने साउथ फिल्मों में डेब्यू किया है. हिंदी में भी रिलीज हुई इस तमिल फिल्म का नाम है ‘कंगुवा’, जो आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. इस फिल्म को बॉबी देओल के लिए एक टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा था. वहीं इस फिल्म में साउथ इंडस्ट्री के सुपरस्टार सूर्या भी लीड रोल में हैं और दिशा पाटनी भी बतौर एक्ट्रेस दिखाई दी हैं.

लेकिन सवाल ये है कि शानदार स्टार कास्ट के साथ क्या ये फिल्म फैंस की उम्मीदों को पूरा कर पाएगी? हम आपको फिल्म ‘कंगुवा’ की वो पांच खामियां बता रहे हैं जिसकी वजह से फिल्म को नेगेटिव रिएक्शन का सामना करना पड़ सकता है.

1.कल्पनाओं से भरी है फिल्म
‘कंगुवा’ मूल रूप से तमिल में बनी है और हिंदी में भी रिलीज की गई है. इस फिल्म में इमैजिनेशन यानी काल्पनिकता की कमी नहीं  है. 1300 साल के अंतर में दो अलग अलग टाइमलाइन को दर्शाने वाली इस फिल्म में काल्पनिकता की ऐसी उड़ान भरी गई है कि आपके लिए सोचना भी मुश्किल हो जाएगा कि कोई इस तरह की फिल्म बनाने की कल्पना भी कर सकता है. मगर इसके बावजूद एक्शन-फैंटेसी फिल्म फिल्म ‘कंगुवा’ एक दिलचस्प फिल्म बनने में नाकाम साबित होती है.

2. कमजोर है फिल्म की कहानी
”कंगुवा” का विलेन है उसकी कमजोर, बेजान सी नजर आने वाली और अविश्वसनीय सी लगने वाली कहानी है, जो पूरे फिल्म के दौरान इस बात का यकीन दिलाने में नाकाम साबित होती है कि कुछ भी आप पर्दे पर देख रहे हैं वो यकीन करने लायक है.

3.कभी ना खत्म होने वाली जंग ने फिल्म को बनाया उबाऊ
फिल्म की कहानी प्राचीन काल में पांच द्वीपों में से एक पेरूमाची द्वीप को रोम के आक्रमण और उनके कब्जे से बचाने की जंग और जद्दोजहद पर आधारित है. पेरूमाची को खत्म करने की रोम की साजिश में अरथी नाम का द्वीप भी रोम के साथ मिल जाता है. इसके बाद शुरू होती है ऐसी जंग जिसे बड़े पर्दे पर देखकर लगता है कि यह जंग कभी खत्म ही नहीं होगी और यूं ही चलती चली जाएगी.

4.बोझिल हैं एक्शन सीक्वेंस 
कुछ अलग करने की कोशिश के बावजूद फिल्म के एक्शन सीक्वेंस एक पॉइंट के बाद काफी दोहराव भरे और बोझिल से लगने लगते हैं. एक्शन सीन्स को बहुत जगहों पर स्लो-मोशन्स के रूप में पेश किया गया, जो एक हद तक ही प्रभाव छोड़ पाते हैं. ख़ून-खराबे के कुछ सीन्स को बेहद बेकार तरीके से दर्शाया गया है जिन्हें देखकर लगता है कि महज एक खास किस्म का प्रभाव पैदा करने के लिए ऐसा किया गया है.

5.बॉबी देओल नहीं कर पाए इंप्रेस
‘कंगुवा’ का टाइटल रोल सूर्या ने बड़ी ही शिद्दत के साथ निभाया है. पुनर्जन्म की कहानी होने के चलते उनका दोहरा रूप इस फिल्म में देखने को मिलता है. अरथी नाम के दुश्मन द्वीप के राजा उथिरा के रूप में बॉबी देओल भी फिल्म में अलग ही अंदाज में नजर आते हैं, मगर उनका किरदार इस कदर छोटा और बेजान है कि वो ज्यादा इंप्रेस नहीं कर पाते हैं. दिशा पाटनी के हिस्से में ज्यादा कुछ करने के लिए है नहीं और वो महज एक शो पीस बनकर रह जाती हैं.

सिनेमाटोग्राफी पर काफी मेहनत, बोरिंग कहानी ने फिल्म को डुबोया
हालांकि फिल्म ‘कंगुवा’ पर 300 ग्लैडिएटर और पारेट्स ऑफ द केरेबियन जैसी फ्मस हॉलीवुड फिल्मों का अक्स भी दिखाई देता है, मगर फिल्म की इस सेटिंग, भव्यता, एक्शन कोरियोग्राफ़ी, फिल्म के वीएफएक्स और सिनेमाटोग्राफी पर काफी मेहनत की गई है जो बड़े बड़े पर्दे पर साफ तौर पर पर्दे पर झलकती है. मगर कमजोर और अनविंसिंग कहानी इस फिल्म को एक कमजोर और बोरिंग फिल्म बना देती है. यकीनन इस फिल्म का विजन एक बेहतर कहानी डिजर्व करता था.

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