Khargone : खारक बांध डूब प्रभावितों का धरना जारी, महिलाओं- बच्चों संग सड़क पर गुजारी रात, आदिवासी गीत गाकर रखी मांग



khargone news 1 Khargone : खारक बांध डूब प्रभावितों का धरना जारी, महिलाओं- बच्चों संग सड़क पर गुजारी रात, आदिवासी गीत गाकर रखी मांग
खरगोन. खरगोन जिले के बहुचर्चित खारक बांध डूब प्रभावितों को मुआवजा नहीं मिला है. मुआवजे के लिखित आश्वासन की मांग को लेकर आदिवासियों का कलेक्टर कार्यालय के गेट पर धरना जारी है. डूब प्रभावितों ने सड़क पर ही पूरी रात बिताई और लोक गीत गाकर अपनी मांग रखी. अधिकारियों ने प्रभावितों को आश्वासन दिए, लेकिन वे अपनी मांग लेकर सड़क पर डटे हैं. ये लोग महिला और मासूम बच्चों के साथ सड़क पर धरना दे रहे हैं. यहां पुलिस बल भी तैनात किया गया है.

खरगोन जिले के खारक बांध डूब प्रभावितों का कलेक्ट्रेट कार्यालय के मुख्य गेट पर धरना जारी है. मंगलवार दोपहर को आदिवासी रैली निकाल कर मुआवजे की मांग लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे. उनकी रैली में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. ये लोग आदिवासी दलित जागृत संगठन के बैनर तले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर मुआवजे की मांग कर रहे हैं. उन्होंने लगभग आधे घंटे के लिए चक्काजाम कर दिया था. फिर पुलिस प्रशासन ने उन्हें सड़क किनारे कर दिया. प्रशासनिक अधिकारी बार बार समझाइश दे चुके हैं, लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ.

सड़क पर गुजारी रात
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले सरकार और प्रशासन कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते. डूब प्रभावित मुआवजे को लेकर लिखित आश्वासन की मांग कर रहे हैं. खरगोर-इंदौर सड़क पर कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट पर सड़क किनारे ही आदिवासियों का धरना जारी है. बीती रात वे सड़क पर ही खाना बनाकर खाकर सो गए. वहीं कुछ प्रभावितों ने आदिवासी गीत गाकर अपनी मांगों को मुखर किया.

लिखित आश्वासन की मांग
धरना दे रहे आदिवासियों का आरोप है डूब प्रभावित कुल 257 परिवारों को अब तक 12 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि नहीं मिली है. उनकी मांग है प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार मुआवजा राशि का लिखित आश्वासन दे. उन्होंने चेतावनी दी जब तक मुआवजे को लेकर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक यहां से नहीं हटेंगे. सिंचाई विभाग के कार्यपालन यंत्री प्रेम कुमार ब्राह्मणे का कहना है मुआवजे का मामला न्यायालय में चल रहा है. कोर्ट के फैसले के अनुसार ही कार्रवाई करेंगे. न्यायालय में चल रहे मामले में विरोध प्रदर्शन कर दबाव बनाना अनुचित है.



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