Khargone News: 6 साल से नए भवन का इंतजार, लॉ कॉलेज के 260 विद्यार्थी 3 कमरे में पढ़ने को मजबूर


खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन में लॉ कॉलेज के 260 विद्यार्थी 6 साल से नए भवन का इंतजार कर रहे हैं और आज भी पीजी कॉलेज के तीन कमरों में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. दरअसल, जुलवानिया रोड पर बन रहा लॉ कॉलेज भवन 6 साल बाद भी अधूरा पड़ा है. इस भवन का निर्माण 2018 में शुरू हुआ था और इसे 2020 तक पूरा होना था, लेकिन कोविड के कारण निर्माण रुक गया. नतीजतन, लागत में 2 करोड़ का इजाफा हुआ और अब भी कई महत्वपूर्ण काम बाकी हैं.

6 साल से निर्माण अधूरा
लॉ कॉलेज भवन का निर्माण 2018 में शुरू हुआ था, जिसे दो साल में पूरा किया जाना था. शुरुआती बजट 5.25 करोड़ रुपये तय किया गया था, लेकिन 2021 में कोविड महामारी के कारण काम रुक गया. इसके बाद जब काम दोबारा शुरू हुआ, तब तक लागत बढ़कर 7.25 करोड़ रुपये हो गई. अब तक भवन का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, लेकिन मूट कोर्ट, बाउंड्रीवाल और सुरक्षा व्यवस्थाएं अब भी अधूरी हैं.

विद्यार्थियों को सही माहौल का इंतजार
लॉ कॉलेज के विद्यार्थियों को सही शैक्षणिक माहौल नहीं मिल पा रहा है. तीन कमरों में 260 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं, जिससे उन्हें पर्याप्त जगह और सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है. लॉ कॉलेज के प्रो. चंद्रभान त्रिवेदी ने बताया कि मूट कोर्ट का निर्माण अब तक पूरा नहीं हो सका है, जबकि यह छात्रों के लिए कानूनी अभ्यास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. मूट कोर्ट में विद्यार्थी अदालत की सुनवाई का अनुसरण कर कानूनी कौशल विकसित करते हैं. इसके अलावा, कॉलेज परिसर की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षाकर्मी की भी जरूरत है.

तीन कमरों में चल रही कक्षाएं
लॉ कॉलेज की कक्षाएं फिलहाल खरगोन के पीजी कॉलेज परिसर के तीन कमरों में चल रही हैं. यहां 2020-21 से तीन वर्षीय एलएलबी (ऑनर्स) का कोर्स शुरू किया गया है. लेकिन जगह की कमी के कारण विद्यार्थियों को पढ़ाई में परेशानी हो रही है. फिलहाल कॉलेज में 5 प्रोफेसर तैनात हैं, जिनमें से 3 नियमित और 2 अतिथि विद्वान छात्रों को पढ़ा रहे हैं.

जल्द पूरी होगी निर्माण प्रक्रिया
पीजी कॉलेज की प्राचार्य डॉ. शैल जोशी ने बताया कि संबंधित निर्माण एजेंसी को दो माह के भीतर लॉ कॉलेज का काम पूरा कर भवन हैंडओवर करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि कोशिश है कि वर्ष 2025 से लॉ कॉलेज नए भवन में ही संचालित हो सके, ताकि विद्यार्थियों को एक व्यवस्थित और उचित शैक्षणिक माहौल मिल सके.

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