Khatu Shyam Ji: खाटू श्याम जी मेले का समापन आज, जानिए एकादशी-द्वादशी का खास महत्व


सीकर. बाबा श्याम के दो दिवसीय मासिक मेला समाप्त आज होगा. कल जलझूलनी एकादशी के अवसर पर बाबा के दरबार में लगातार भक्तों की भीड़ बढ़ती जा रही है. खाटूश्याम जी मंदिर इन दिनों भक्तों के लिए एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन गया है. आपको बता दें कि हर महिने आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी व द्वादशी को दो दिवसीय मासिक मेले का आयोजन हुआ था. इस मेले में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार सहित देश-विदेश के श्रद्धालु बाबा श्याम के दर्शन के लिए आते हैं.

आज बाबा श्याम को बड़े ही मनमोहक फूलों से सजाया गया है. लखदातार को दिल्ली, कोलकाता से लाए गए हरे, लाल और गुलाबी सहित अनेक रंगों के फूलों का श्रृंगार किया गया है. बाबा श्याम का श्रृंगार इतना मनमोहक है कि श्याम को देखने भर से सैकड़ो किलोमीटर दूर से आए श्रद्धालु की थकान पल भर में दूर हो जा रही है.

बढ़ रही भक्तों की संख्या
जलझूलनी एकादशी से पहले ही खाटू श्याम जी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ बढ़ने लग गई थी. शनिवार और रविवार का वीकेंड होने के कारण आज भी बाबा श्याम के दरबार में लाखों भक्त आने की संभावना है. श्री श्याम मंदिर कमेटी ने भी भक्तों की सहूलियत को लेकर अनेकों व्यवस्था की है. अधिक गर्मी को देखते हुए मंदिर परिसर में बड़े पंखे लगाए हैं और पानी की हल्की हल्की बौछार की जा रही है.

यह है एकादशी और द्वादशी का महत्व
जानकारी के अनुसार, बाबा श्याम का जन्म कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को हुआ था. जिसे ग्यारस और एकादशी कहा जाता है. इस कारण हर महीने आने वाली एकादशी श्याम भक्तों के लिए बहुत विशेष होती है. इस दिन श्याम भक्त खाटूश्याम जी का व्रत भी करते हैं. इसके अलावा द्वादशी को लेकर मानता है कि इस दिन महाभारत के युद्ध के दौरान बाबा श्याम ने भगवान कृष्ण को अपना शीश दान किया था.

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