Know The History Of Odisha Konark Temple Indian Architectural Heritage Takes Centre Stage At G20

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आखिर क्या है बैकग्राउंड में दिख रहे इस कोर्णाक च्रक का इतिहास, जिसके सामने PM मोदी ने किया नेताओं का स्वागत

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का हाथ मिलाते हुए स्वागत करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

G20 Summit 2023: 20 शिखर सम्मेलन शुरू होने के साथ ही दुनिया के शीर्ष नेता दिल्ली में आयोजित इस सम्मेलन का हिस्सा बने हैं. इस मौके पर भारत अपनी सांस्कृतिक विरासत और रिच कल्चर को दुनिया के सामने पेश कर रहा है और हमारी संस्कृति से ग्लोबल नेताओं को रूबरू कराया जा रहा है. जी20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की हाथ मिलाते हुए तस्वीरें सामने आईं. ये तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं, तस्वीर में सभी की नजर पीएम के पीछे बने चक्र पर पड़ी और लोग उस मंदिर को पहचानने की कोशिश करने लगे, जिसमें ये चक्र लगा है.

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जी20 शिखर सम्मेलन से प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति की तस्वीरें सामने आने के बाद हर कोई सर्च करने लगा कि, आखिर ये चक्र किस मंदिर से जुड़ा है. एक वीडियो में पीएम मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति को इस चक्र को दिखाते और इस बारे में जानकारी देते नजर आ रहे हैं. सोशल मीडिया पर इस बड़े से चक्र की तस्वीरें वायरल हो रही है, जिसके कैप्शन में लिखा है, क्या आपने इस मंदिर को पहचाना.

इस तस्वीर को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर शेयर किए जाने के बाद से इस करीब 7 लाख बार देखा गया है और बहुत से लोग कमेंट कर इस मंदिर का नाम गेस कर रहे हैं. कई सारे यूजर्स ने बताया कि, ये कोणार्क का सूर्य मंदिर है. बता दें कि, कोणार्क के सूर्य मन्दिर का निर्माण लाल रंग के बलुआ पत्थरों और काले ग्रेनाइट के पत्थरों से हुआ है. यह मंदिर हमारे देश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, इसे यूनेस्को ने साल 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था.

जानकारी के लिए बता दें कि, कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के ओड़िशा के पुरी जिले में समुद्र तट पर पुरी शहर से लगभग 35 किलोमीटर उत्तर पूर्व में कोणार्क में एक 13वीं शताब्दी सीई सूर्य मंदिर है. कोणार्क का सूर्य मंदिर अपनी पथरीली कलाकृतियों के लिए जाना जाता है, जो कि सूर्य के विशालकाय रथ की तरह बनाया गया है, जिसे सात घोड़े खींचते हैं. तस्वीर में देखा जा सकता है कि, रथ में 12 जोड़े पहिए (कुल मिलाकर 24 पहिए) लगे हैं. असल में इन पहियों को जीवन का पहिया कहा जाता है, जिनसे ये पता चलता है कि सूर्य कब उगेगा, कब अस्त होगा. बता दें कि पहिए को 13वीं सदी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम ने बनवाया था.



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