Know why married women are applied vermilion during Chhath festival


भागलपुर:- छठ की छठा अब चहूं ओर छाने लगी है और लोग इस पर्व का बेसब्री से इंतजार करते हैं. इसे बिहार का लोक पर्व कहा जाता है. साथ ही यहां का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. वैसे तो इसमें सभी चीज अपने आप में खास होती है, क्योंकि जितने भी ऋतु फल होते हैं, इसमें वह चढ़ाई जाती है. साथ ही सबसे खास बात है कि सूप में सभी को डालकर अर्घ दिया जाता है. लेकिन इसमें सबसे खास होता है सिंदूर.  इसके बिना मानों पूरी पूजा ही अधूरी रहती है. छठ व्रत करने वाली महिलाएं जब मां गंगा की गोद से निकलती हैं, तो वह सुहागिनों, छोटे बच्चे व सभी को उससे टिक करती हैं और सिंदूर लगाती हैं. क्या है इसके पीछे की कहानी, आखिर क्यों लगाया जाता है सुहागिनों को छठी मां का चढ़ा हुआ सिंदूर.

जानिए सुहागिन महिलाएं क्यों लगाती हैं सिंदूर
जब इसके बारे में जानकारी लेने के लिए पंडित अमोद मिश्रा से लोकल 18 की टीम मिली, तो उन्होंने बताया कि छठी मईया मां षष्ठी को ही कहा जाता है. मां षष्ठी सूर्य की बहन हैं. ऐसा कहा जाता है कि छठी मां संतान प्राप्ति की देवी हैं. जिन्हें संतान की प्राप्ति नहीं होती है, उन्हें मां से प्रार्थना करनी चाहिए. मां उन्हें संतान प्राप्ति का वर देती हैं. आपने देखा होगा कि जिस सूप में अर्घ दिया जाता है, उसमें सिंदूर का टीका किया जाता है, जिस नारियल या टाभ नींबू को आप लोग चढ़ाते हैं, उसमें भी सिंदूर का टीका किया जाता है.

सिंदूर सुहागिनों के सुहाग की रक्षा के साथ-साथ वंश को बढ़ाने का भी कार्य करती है. मां छठ का भी पूजन वंश वृद्धि के लिए किया जाता है. इसलिए वह सिंदूर सुहागिनों के मांग में इसलिए भी लगाया जाता है, ताकि सुहागिनों का सुहाग सुरक्षित रहे. साथ ही उनके वंश में वृद्धि हो. जिस बांस के सूप को देखते हैं, बांस का मतलब ही है वंश वृद्धि, इसलिए बांस के सूप में ही मां छठी का अर्घ पड़ता है.

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कितना महत्वपूर्ण होता है यह पर्व
जब भी आप बिहार आएंंगे, तो आपको इस पर्व की कई महिमा देखने को मिल जाएगी. हिंदू समुदाय के लोगों के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय के लोग भी पर्व को करते हैं. कई ऐसे उदाहरण हैं, जब उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हुई, तब उन्होंने मां छठी से प्रार्थना की और उनको संतान की प्राप्ति हुई. अब वह छठ भी कर रही हैं. आप इससे भी अंदाजा लगा सकते हैं कि जब भी छठ नजदीक आता है, तो ट्रेनों में भीड़ इतनी अधिक बढ़ जाती है कि सीट तक मिलना मुश्किल हो जाता है. बाहर में रहने वाले जितने भी लोग हैं, वह अपने घर बिहार आते हैं. सरकारी नौकरी में रहने वाले लोग तक अपनी छुट्टियां बचाकर रखते हैं, ताकि छठ पर्व में घर जा पाए. यहां के लिए यह पर्व काफी महत्वपूर्ण है.

Tags: Bihar News, Chhath Puja, Local18

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