Kolhapur Violence Over Aurangzeb Situation Under Control Opposition Raised Questions On Pattern Of Violence Sharad Pawar Owaisi
Kolhapur Aurangzeb Row: औरंगजेब को लेकर शुरू हुए बवाल के बाद महाराष्ट्र के कोल्हापुर में माहौल फिलहाल शांत है, लेकिन इस पर राजनीति बेकाबू हो गई है. इस मामले को लेकर पॉलिटिक्स शुरू हो चुकी है और एक दूसरे पर जमकर आरोप लगाए जा रहे हैं. महाअघाड़ी को बवाल के पीछे ध्रुवीकरण की सियासी साजिश नजर आ रही है, तो बीजेपी उन्हें आईना दिखा रही है. वहीं ओवैसी ने भी इस मामले को लेकर महाराष्ट्र की शिंदे सरकार पर जमकर हमला बोला है. इस मामले में पुलिस भी जांच में जुटी है और किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयार है.
औरंगजेब को लेकर विवाद
दरअसल मामला 7 जून को शुरू हुआ, जब औरंगजेब की फोटो हाथों में लिए युवकों का वीडियो वायरल हुआ. जिसमें वो औरंगजेब की तारीफ करते दिख रहे हैं. इसके कुछ फोटो भी सामने आए. सोशल मीडिया पर तेजी से फोटो वायरल होने के बाद हिंदू संगठनों ने इसका विरोध शुरू किया और बंद बुलाया गया. इस दौरान हिंसा और खूब हंगामा हुआ. लोगों ने सड़कों पर जमकर उपद्रव किया और आगजनी भी हुई.
कोल्हापुर हिंसा को लेकर सियासत
अब कोल्हापुर पुलिस जांच में जुटी है कि शिवाजी की धरती पर औरंगजेब का नाम लेकर माहौल किसने बिगाड़ा. इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी भी हो रही है. हालांकि कोल्हापुर में नफरत के जो शोले सुलग रहे थे,वो अब शांत हैं. तनाव के बीच हालात काबू में हैं, लेकिन सियासत रुकने का नाम नहीं ले रही है. बयानों का पहला तीर संजय राउत ने छोड़ा, उद्धव गुट के नेता ने कह दिया कि जिन लोगों को बजरंग बली का सहारा नहीं मिला, वो लोग अब औरंगजेब के सहारे महाराष्ट्र के चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं.
शरद पवार ने भी लगाए आरोप
संजय राउत का हमला सीधा बीजेपी और महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार पर था. इससे पहले कि बीजेपी का काउंटर रिएक्शन सामने आता, बारामती से शरद पवार ने कोल्हापुर वाले मामले पर राज्य सरकार को घेरा. संजय राउत ने आरोप लगाया था कि कोल्हापुर में बाहर के लोगों ने हिंसा की, इसी बात का शरद पवार ने समर्थन किया. शरद पवार ने कहा, “कोल्हापुर में जो कुछ भी हुआ वो महाराष्ट्र की लौकिकता को शोभा नहीं देता. राज्य की जनता और खासकर जहां ये घटना हुई, वहां के लोगों की कानून हाथ में लेने की प्रवृत्ति नहीं है. कोई जानबूझकर इस तरह का विवाद खड़ा कर रहा है. ये मेरा आरोप है.”
हिंसा के पैटर्न पर भी सवाल
ताजा बवाल पर सियासी दलों के तेवर तल्ख हैं, क्योंकि उनका आरोप है कि इस तरह के हिंसा वाली टेंपलेट पर वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश हो रही है और ये एक पैटर्न सा बन गया है. 24 मार्च को भी कोल्हापुर में हिंसा हुई थी, इसके बाद 29 मार्च को संभाजीनगर, 30 मार्च को मुंबई, 3 अप्रैल को जलगांव, 13 मई को अकोला, 15 मई को अहमदनगर और अब फिर से 7 जून को कोल्हापुर में हिंसा हुई. कहीं रामनवमी की शोभायात्रा के दौरान बवाल हुआ तो कहीं मंदिर में दूसरे धर्म के लोगों के घुसने पर हिंसा हुई. इसीलिए सवाल उठ रहा है कि ये हिंसा संयोग है या फिर प्रयोग?
कोल्हापुर हिंसा के बाद पुलिस ने सख्त पहरा लगा दिया है. पुलिस का कहना है कि अभी हालात शांत हैं. SRPF की चार कंपनी, 1000 पुलिस कांस्टेबल और 150 अधिकारी हिंसा वाली जगहों पर मौजूद हैं. किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के निर्देश दिए गए हैं.
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से आया जवाब
इन सभी आरोपों के बीच बीजेपी का काउंटर अटैक सामने आया. महाराष्ट्र सरकार के मंत्री ने राउत और पवार की बातों का जवाब दिया और कांग्रेस को भी पुरानी घटनाओं की याद दिला दी. महाराष्ट्र सरकार के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा, “औरंगजेब के समर्थकों के लिए आशा की किरण संजय राउत हैं. कांग्रेस के राज में दंगे हुए, कांग्रेस के कार्यकाल में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जान बचा नहीं पाए. तब इंटेलिजेंस फेलियर नहीं हुआ था?”
ओवैसी ने भी बोला हमला
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में औरंगजेब विवाद पर हुई हिंसा को लेकर असुद्दीन ओवैसी ने भी महाराष्ट्र की शिंदे सरकार और केंद्र की बीजेपी सरकार को घेरा. हैदराबाद में एक रैली में ओवैसी ने कहा कोल्हापुर हिंसा सरकारों की नाकामी है. 2024 के चुनाव के लिए महाराष्ट्र में सांप्रदायिकता की राजनीति की जा रही है.
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