Kullu News: सेब-प्लम और नाशपाती के पौधे खरीदने का मौका, 19 लाख पौधों की होगी बिक्री, जानिए कीमत
कुल्लूः कुल्लू जिले में अगले सीजन के लिए अब बागवानों द्वारा नए पौधों को लगाया जाएगा. ऐसे में जिले की 250 से अधिक पंजीकृत नर्सरियों में 19 लाख सेब, प्लम और नाशपाती के पौधे ब्रिकी के लिए तैयार किए गए है. इनमें से अधिक पौधे सेब के तैयार किए गए है. जिन्हें खरीदकर बागवान बगीचों में लगा सकेंगे. कुल्लू के बागवानी विभाग के विषय विशेषज्ञ उत्तम पराशर ने बताया कि बजौरा नर्सरी में इन अलग अलग फलों की किस्मों के पौधों को तैयार किया गया है. ऐसे में सेब की वैरायटी गाला के अधिक पौधे रूट स्टॉक पर तैयार किए गए है. कुल्लू के अधिकांश क्षेत्रों में लोगो द्वारा सेब के ही बगीचे लगाए जाते है. ऐसे में यहां सेब के पौधों की भी मांग अधिक रहती है. कुल्लू में तैयार होने वाले सेब, प्लम और जापानी फल के पौधे बेहतर क्वालिटी के होते हैं, इसलिए इनकी मांग बागवानों में अधिक रहती है.
बागवानी विशेषज्ञ उत्तम पराशर ने बताया कि बजौरा फार्म में इन पौधों को तैयार किया गया है. यहां तैयार होने वाले पौधे कुल्लू, लाहौल स्पीति, और अन्य जिलों में भी भेजे जाते है. ऐसे में बागवानों की मांग पर उनके नजदीकी सेल सेंटर पर इन पौधों को उपलब्ध करवाया जा सकता है. ऐसे में बागवान कुल्लू, नग्गर, बंजार, आनी, निरमंड की सेंटर से भी इन पौधों को प्राप्त कर सकते है. इस बार रजिस्टर्ड प्राइवेट नर्सरीज में भी 19 लाख पौधे अलग अलग फलों के उपलब्ध करवाए गए है. सेब के अलावा जापानीफल, प्लम और नाशपाती के पौधे भी इसमें शामिल है.
क्या रहता है एक पौधे का रेट
हर एक पौधे की उम्र के आधार पर उसका रेट निश्चित किय जाता है. ऐसे में सीडलिंग पर 140 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से इन्हें खरीदा जा सकता है. जबकि रूट स्टॉक पर 180 पर पौधे के हिसाब से बागवानों के लिए उपलब्ध रहेगा. ऐसे में बागवान अपनी डिमांड के हिसाब से ही पौधे ले सकते है.
नर्सरी से जरूर लें पौधे का बिल
उत्तम पराशर ने बताया कि इस बार प्राइवेट नर्सरियों को यह हिदायत दी गई है कि वह पौधे की वैरायटी ऊपर पर लिख कर और उसके रेट और सभी जानकारी के साथ ही बिल काट कर बागवानों को पौधे दे. ताकि बागवानों को पूरे तरीके से यह पता हो को वह कौनसा पौधे किस वैरायटी का लगा रहे है. इससे बागवानों को भी कोई शंका न रहे.
बाहरी राज्यों को भी दिए जाएंगे पौधे
जिले में तैयार टोटल पौधों को बागवानों को अगले सीजन के लिए दिया जाता है . ऐसे में कुल्लू , लाहौल स्पीति और आसपास के जिलों की मांग को पूरा करने के बाद ही कुछ पौधों को अन्य राज्यों के लिए भी भेजा जाता है. उत्तम पराशर बताते है कि टोटल तैयार पौधों में से 80% पौधों को स्थानीय बागवानों की जरूर ही पूरी की जाती है. इसके बाद ही पौधों को बाहरी राज्यों जैसे जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड आदि के लिए भेजा जाता है.नर्सरी संचालकों को पौधे बेचने के साथ बिल देने के निर्देश दिए गए है ताकि बागवान को भी यह पता हो कि उन्हें कौनसी वैरायटी का पौधा खरीदा है और इसकी कंडीशन कैसी है.
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FIRST PUBLISHED : December 12, 2024, 10:12 IST