kumaun Ramlila : कुमाऊं में सबसे पहले यहां हुई थी रामलीला, 150 साल से अधिक पुराना है इतिहास


अल्मोड़ा. उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की रामलीला कुमाऊं की सबसे पुरानी रामलीला मानी जाती है. अल्मोड़ा में सबसे पहले 1860 में बद्रेश्वर मंदिर से रामलीला का मंचन शुरू हुआ था, जिसके बाद अब ये रामलीला अल्मोड़ा के नंदा देवी परिसर में करी जाती है, जिसे 164 साल पूरे अब हो चुके हैं. दरअसल, अल्मोड़ा की सबसे पुरानी रामलीला नंदा देवी की रामलीला है. स्थानीय लोग बताते हैं कि बद्रेश्वर मंदिर में सबसे पहले इस रामलीला को यहां आयोजित किया जाता था. उसके बाद धीरे-धीरे कर इस रामलीला को नंदा देवी में कराया जाने लगा. अल्मोड़ा की रामलीला वैसे तो देश-विदेश में मशहूर है यहां के कलाकार बाहर जाकर यहां की रामलीला का मंचन करते हैं. नंदा देवी परिसर में रामलीला देखने के लिए लोग रात भर जाकर इस रामलीला को देखते हैं.

1860 में बद्रेश्वर मंदिर में हुई थी पहली रामलीला

वरिष्ठ कलाकार प्रकाश पांडे ने बताया कि कुमाऊं की सबसे पुरानी रामलीला नंदा देवी की है. सबसे पहले 1860 में बद्रेश्वर मंदिर में इस रामलीला का आयोजन किया गया. पहले रामलीला के लिए इतने संसाधन नहीं हुआ करते थे. आज विभिन्न तरीके के आधुनिक साधन होने की वजह से रामलीला का रूप रंग काफी बदला है. यहां की रामलीला को देखने के लिए देर रात्रि तक लोग बैठे रहते हैं. उसके अलावा वरिष्ठ कलाकारों के साथ युवक कलाकार भी अपने पत्रों के अभिनय में जान फूंकने का काम करते हैं.

युवा कलाकार अर्जुन बिष्ट ने बताया कि वह नंदा देवी की रामलीला में बचपन से पाठ खेल रहे हैं और उन्हें यहां पर आना काफी अच्छा लगता है. यहां के युवा कलाकारों के साथ बड़े कलाकार अपनी सहभागिता निभाते हैं. उन्हें काफी खुशी होती है कि नंदा देवी की रामलीला को देखने के लिए दशकों में काफी उत्साह रहता है और दर्शन पूरी रामलीला का मंचन देखते हैं और कलाकारों का उत्साह वर्धन करते हैं.

FIRST PUBLISHED : October 7, 2024, 16:32 IST



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