Lakhimpur Kheri: हाथियों के सहारे पकड़ा जाएगा बाघ, गांवों में अभी भी दहशत बरकरार


लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के महेशपुर वन रेंज में बाघ का आतंक ग्रामीणों के लिए लगातार चिंता का विषय बना हुआ है. बाघ की बढ़ती गतिविधियों के चलते ग्रामीण अपने खेतों में काम करने से डर रहे हैं, जिससे उनकी कृषि पर बुरा असर पड़ रहा है. पिछले एक महीने से बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग कई उपाय कर रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस सफलता हाथ नहीं लगी है. बाघ की मौजूदगी के कारण क्षेत्र में भय और दहशत का माहौल बना हुआ है, जिससे ग्रामीण अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों को भी सही तरीके से नहीं कर पा रहे हैं.

बाघ पकड़ने के लिए वन विभाग की तैयारी
वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए अब तक लाखों रुपये खर्च किए हैं और कई पिंजरे व कैमरे लगाए हैं. वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए 6 पिंजरे और 24 कैमरे महेशपुर वन रेंज के गन्ने के खेतों के आसपास लगाए थे. हालांकि, बाघ की तस्वीरें कैमरे में कैद हुईं, लेकिन बाघ पिंजरे में फंस नहीं सका. अब वन विभाग हाथियों की मदद से भी बाघ की निगरानी कर रहा है, ताकि उसकी गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा सके.

विशेषज्ञों की मदद के बावजूद असफलता
बाघ को पकड़ने और उसे ट्रैंकुलाइज करने के लिए पीलीभीत से एक्सपर्ट दक्ष गंगवार को बुलाया गया था, लेकिन बाघ को पकड़ने में वह असफल रहे. इसके बाद कानपुर से डॉ. नीतेश कटियार और गोरखपुर से डॉ. दया को बुलाया गया, लेकिन फिर भी कोई सफलता नहीं मिली. अब इस अभियान की कमान डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के परियोजना निदेशक दबीर हसन ने संभाली है. इसके अलावा, दिल्ली से भी एक्सपर्ट को मार्गदर्शन के लिए बुलाया गया है, ताकि बाघ को पकड़ने की प्रक्रिया को और तेज किया जा सके.

ग्रामीणों में दहशत का माहौल
बाघ की पकड़ में ना आने के कारण महेशपुर और आसपास के गांवों के लोग डरे हुए हैं. दो किसानों की मौत बाघ के हमले में हो चुकी है, जिससे ग्रामीणों का डर और बढ़ गया है. वन विभाग की ओर से आश्वासन दिया जा रहा है कि बाघ की लोकेशन का पता लगा लिया गया है और वह मूड़ा जवाहर गांव के आसपास ही है. इसके मद्देनजर वन विभाग ने बाघ को बेहोश करने के लिए एक अस्थायी मचान बनाया है और दोनों गांवों के बीच में पिंजरे भी लगाए गए हैं.

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