Law Commission On Sedition Law Said Section 124A Of IPC Should Be Retained With Safeguards To Prevent Misuse


Law Commission On Sedition Law: लॉ कमीशन ने गुरुवार (1 जून) को देशद्रोह कानून पर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देशद्रोह से निपटने वाली आईपीसी की धारा 124ए को इसके दुरुपयोग से रोकने के लिए कुछ सुरक्षा उपायों के साथ बरकरार रखा जाना चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया कि हालांकि प्रावधान के उपयोग को लेकर ज्यादा स्पष्टता के लिए कुछ संशोधन किए जा सकते हैं.

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में पैनल ने कहा कि धारा 124ए के दुरुपयोग पर विचारों का संज्ञान लेते हुए ये अनुशंसा करता है कि उन्हें रोकने के लिए केंद्र की ओर से दिशानिर्देश जारी किए जाएं. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे अपने कवरिंग लेटर में 22वें लॉ कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस रितु राज अवस्थी (सेवानिवृत्त) ने कुछ सुझाव भी दिए हैं.

लॉ कमीशन ने दिए सुझाव

इसमें कहा गया कि आईपीसी की धारा 124ए जैसे प्रावधान की अनुपस्थिति में, सरकार के खिलाफ हिंसा भड़काने वाली किसी भी अभिव्यक्ति पर निश्चित रूप से विशेष कानूनों और आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा, जिसमें अभियुक्तों से निपटने के लिए कहीं अधिक कड़े प्रावधान हैं. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि आईपीसी की धारा 124ए को केवल इस आधार पर निरस्त करना कि कुछ देशों ने ऐसा किया है, ये ठीक नहीं है क्योंकि ऐसा करना भारत में मौजूद जमीनी हकीकत से आंखें मूंद लेने की तरह होगा. 

रिपोर्ट में और क्या कुछ कहा गया?

रिपोर्ट में बताया गया कि इसे निरस्त करने से देश की अखंड़ता और सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है. अक्सर ये कहा जाता है कि राजद्रोह का अपराध एक औपनिवेशिक विरासत है जो उस युग (अंग्रेजों के जमाने) पर आधारित है जिसमें इसे अधिनियमित किया गया था. विशेष रूप से भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ इसके उपयोग के इतिहास को देखते हुए ये बात कही जाती है, लेकिन ऐसे में तो भारतीय कानूनी प्रणाली का संपूर्ण ढांचा एक औपनिवेशिक विरासत है. 

मानसून सत्र में पेश किया जा सकता प्रस्ताव

केंद्र सरकार देशद्रोह कानून में संशोधन की तैयारी कर रही है. इसे लेकर संसद के मानसून सत्र में एक प्रस्ताव भी लाया जा सकता है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में बीती एक मई को भी इसके बारे में जानकारी दी थी. सरकार का कहना है कि 124ए की समीक्षा की प्रक्रिया आखिरी चरण में है. इसे मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है और इसमें बदलाव को लेकर सरकार प्रस्ताव लेकर आने वाली है. बता दें कि, कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. 

सुप्रीम कोर्ट ने कानून किया था स्थगित

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल मई के महीने में देशद्रोह कानून को स्थगित कर दिया था. तब राज्य सरकारों से कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार की ओर से इस कानून को लेकर जांच पूरी होने तक इस प्रावधान के तहत सभी लंबित कार्यवाही में जांच जारी न रखें. जो केस लंबित हैं, उन पर यथास्थिति बनाई जाए.

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