Like Ganges in India where are ashes of Hindus immersed in Pakistan
पाकिस्तान में हिंदुओं की हालत किसी से छिपी नहीं है, उनकी स्थिति बदतर हो चुकी है. कई बार पाकिस्तान से हिंदू अल्पसंख्यकों को लेकर परेशान करने वाली खबरें सामने आती रहती हैं. ऐसे में क्या आपके मन में कभी यह ख्याल आया है कि पाकिस्तान में हिंदुओं का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है? जैसे भारत में हिंदू समुदाय के लोग गंगा में अस्थियां विसर्जित करते हैं, वैसे पाकिस्तान में किस नदी में अस्थि विसर्जन होता है?
हिंदु समुदाय में मृत्यु के बाद दाह संस्कार का नियम है. दाह संस्कार के बाद अस्थियां गंगा नदी में विसर्जित की जाती हैं. माना जाता है कि अस्थि विसर्जन के बाद मृतक की आत्मा को शांति मिलती है. हालांकि, पाकिस्तान में रहने वाले हिंदु समुदाय के लोगों को अस्थि विसर्जन के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है.
पाकिस्तान में बहुत कम होता है हिंदुओं का दाह संस्कार
पाकिस्तान में हिंदुओं के दाह संस्कार पर किसी तरह की रोक नहीं है. पाकिस्तान सरकार ने मुस्लिमों की तरह हिंदुओं को भी अंतिम संस्कार के लिए कई जिलों में जमीनें आवंटित की हैं. यहां कराची के ल्यारी में हिंदुओं का सबसे बड़ा श्मशाम घाट बना हुआ है. कहा जाता है इस श्मशाम घाट का निर्माण अंग्रेजों के जमाने में हुआ था. एक रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, पाकिस्तान में दाह संस्कार की सामग्री काफी महंगी और हर जिले में उपलब्ध नहीं है, ऐसे में हिंदू समुदाय के लोगों को मृतकों को दफन करना पड़ता है. हालांकि, उनकी प्रक्रिया मुस्लिमों से काफी अलग होती है. हिंदुओं में शव को बिठाकर उसे दफनाते हैं. शव दफनाने के बाद उस पर शंकु के आकार की समाधि बना दी जाती है.
कहां होता है विसर्जन
पाकिस्तान में जिन हिंदु समुदाय के लोगों का दाह संस्कार होता है, उनकी अस्थियों को वहां की नदियों में ही विसर्जित किया जाता है. हालांकि, गंगा में अस्थि विसर्जन के लिए उन्हें काफी इंतजार करना पड़ता है. कई हिंदू परिवारों की इच्छा होती है कि उनके पूर्वजों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित हों. ऐसे में अस्थियों को भारत लाने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.
भारत लाए गए 400 से ज्यादा अस्थि कलश
हाल ही में पाकिस्तान से 400 से ज्यादा अस्थि कलश भारत लाए गए हैं, जिनका विसर्जन हरिद्वार में गंगा नदी में किया जाएगा. ये अस्थियां अटारी बॉर्डर के रास्ते भारत पहुंची हैं. कराची के श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर के महंत राम नाथ मिश्र के मुताबिक, ये अस्थियां 8 साल से पाकिस्तान में रखी हुई थीं. उन्होंने बताया कि जब अस्थियों की संख्या काफी हो जाती है, तो उन्हें भारत लाकर गंगा में विसर्जित किया जाता है. भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद अब तक तीन बाद अस्थियों को भारत लाया गया है. इससे पहले 2011 और 2016 में भी अस्थियां लाई जा चुकी हैं .
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