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Samajwadi Party Soft Hindutva: लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चलती दिख रही है. दो दिन पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नेताओं को धार्मिक टिप्पणियों को लेकर सख्त हिदायत दी और अब समाजवादी पार्टी 9 जून को नैमिषारण्य से अपने लोकसभा चुनाव के अभियान का आगाज करने जा रही है. 

नैमिषारण्य सनातन धर्म में पूज्य धरा है जहां पुराणों की रचना हुई है. तो क्या है समाजवादी पार्टी सॉफ्ट हिंदुत्व की कोशिश में लग गई है?  

2012 के बाद सपा के हिस्से करारी हार

समाजवादी पार्टी के पिछले कुछ चुनावी परिणामों को अगर देखा जाए तो 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद से समाजवादी पार्टी के हिस्से करारी हार आई है. चाहे वो 2014 के लोकसभा चुनाव, 2017 के विधानसभा चुनाव, 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव हो हर बार समाजवादी पार्टी को बीजेपी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है.

सपा के प्रयोग

समाजवादी पार्टी को मिलने वाली वोटिंग पैटर्न को भी अगर देखा जाए तो मुस्लिम और यादव एमवाई फैक्टर के आगे किसी जाति के बड़े हिस्से को समाजवादी पार्टी जोड़ती नहीं दिख रही है. जबकि बीजेपी अपने हिंदुत्व के एजेंडे में तमाम जातियों को अपने ओर खींचती हुई दिखाई देती है. समाजवादी पार्टी ने वह प्रयोग भी कर के देख लिया जिसमें पिछड़ों की ही राजनीति के नारे लगाने हों जिसमें रामचरितमानस को लेकर सवाल उठाना, ओबीसी और एससी एसटी के आगे अपर कास्ट की जातियों को लेकर की जाने वाली टिका टिप्पणी शामिल है.

बीजेपी की काट नैमिषारण्य!

अब समाजवादी पार्टी पिछले कुछ दिनों से गेयर चेंज करती हुई दिखाई दे रही है. सपा सॉफ्ट हिंदुत्व का नया प्रयोग कर रही है, जहां उत्तर प्रदेश बीजेपी के 3 केंद्र हैं अयोध्या, मथुरा और काशी. ऐसे में सपा नैमिषारण्य जा रही है जहां से हिंदुत्व की पॉलिटिक्स का टेक ऑफ कर सकती है. कुछ रोज पहले पार्टी की 1 घंटे की बैठक में अखिलेश यादव ने नेताओं को धार्मिक टिप्पणी को लेकर सख्त हिदायत देते हुए सोशल मीडिया पर भी धार्मिक बातें लिखने को मना किया है. 

नेता धार्मिक मामलों में सतर्कता बरतें- अखिलेश

सपा अध्यक्ष ने अपने प्रवक्ताओं को भी कहा कि धार्मिक मामलों में सतर्कता बरतें और किसी को भी आहत न करें. इस नए प्रयोग की श्रृंखला में एक बड़ा प्रयोग 9 जून को नैमिषारण्य में होने जा रहे है. सपा के दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में देखने को मिलेगा. नैमिषारण्य का धार्मिक महत्त्व बेहद ज्यादा है, जो समाजवादी पार्टी के सॉफ्ट हिंदुत्व की प्रयोगशाला के रूप में देखने को मिलेगा.

बड़े धार्मिक कार्यक्रम की तैयारी

नैमिषारण्य में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, पार्टी महासचिव शिवपाल यादव और दूसरे वरिष्ठ नेता भी पहुंचेंगे. इस कार्यक्रम के संयोजन की जिम्मेदारी पूर्व विधायक रामपाल यादव को दी गई है. सपा के नेता अभी खुलकर बात तो नहीं कर रहे हैं, पर यह बताया जा रहा है कि बड़े धार्मिक कार्यक्रम की तैयारी भी की जा रही है. इसमें अखिलेश यादव की मौजूदगी में 151 बेदी पर बैठकर वैदिक मंत्रोचार के संसाधन और ललिता देवी मंदिर में जीत के लिए देवी-देवता का आशीर्वाद लिया जाएगा.

आरोपों का खंडन!

नैमिषारण्य जाकर अखिलेश यादव इस बात के खंडन की भी कोशिश करेंगे कि बीजेपी जो सपा पर आरोप लगाती है कि उनका हिंदू प्रतीक चिन्हों से कोई लेना देना नहीं है. समाजवादी पार्टी के सॉफ्ट हिंदुत्व की चर्चा राजनीतिक विश्लेषक कर रहे हैं. 

वहीं, सपा के इस कदम पर बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि सपा सिर्फ जाति की राजनीति करती रहती है और अगर सपा को लगता है कि नैमिषारण्य जाकर पाप धुल जाएंगे तो सपा की गलतफहमी है. वहां जाकर सपा को सद्बुद्धि आ सकती है, पर पहले ये सद्बुद्धि स्वामी मौर्या को देनी पड़ेगी. मजहबी बयानबाजी करने वाली समाजवादी पार्टी का उद्धार नहीं हो सकता.

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