Lok Sabha Elections 2024 Bjp Mission South Kerala Left Congress Pm Narendra Modi Strategy Political Equation – तीन चुनाव में स्कोर-0, इस बार क्या रणनीति? BJP के लिए केरल में सेंधमारी कितनी मुश्किल, समझें – सियासी समीकरण



v2l5q8mg modi Lok Sabha Elections 2024 Bjp Mission South Kerala Left Congress Pm Narendra Modi Strategy Political Equation - तीन चुनाव में स्कोर-0, इस बार क्या रणनीति? BJP के लिए केरल में सेंधमारी कितनी मुश्किल, समझें - सियासी समीकरण

लोकसभा चुनाव में BJP और पीएम नरेंद्र मोदी का फोकस दक्षिण भारत के राज्य ही हैं. उनमें भी खासतौर पर कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल का नंबर आता है. बीते दो महीनों में पीएम मोदी ने तमिलनाडु और केरल के धुआंधार दौरे किए हैं. बीते कुछ सालों में BJP ने केरल में लेफ्ट के हिंदू वोटों में सेंध लगाया है. जबकि अल्पसंख्यक मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस की तरफ है.

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दरअसल, केरल में वोट शिफ्टिंग का ट्रेंड रहा है. CPM-कांग्रेस को जब भी लगता है कि कहीं BJP जीतने वाली है, तो वहां वे दोनों वोटों को आपस में शिफ्ट कर लेते हैं, ताकि किसी भी तरह BJP को हराया जा सके. अब देखना है कि पीएम मोदी की रणनीति के सामने CPM-कांग्रेस का फॉर्मूला कितना चलता है.

केरल में पिछले 3 लोकसभा चुनावों के नतीजे

2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के आंकड़ों को देखें, तो केरल में कांग्रेस का दबदबा रहा है. 2009 में हुए चुनावों में लेफ्ट प्लस को 4, 2014 में 8 और 2019 में 1 सीट मिली. कांग्रेस प्लस ने 2009 में 20 में से 16 सीटें जीतीं. 2014 में 12 सीटों पर विजय हासिल की और 2019 के चुनावों में कांग्रेस के खाते में 20 में से 19 सीटें आईं.    BJP प्लस की बात करें, तो 2009, 2014 और 2019 में केरल में पार्टी के हाथ खाली हैं. BJP का खाता तक नहीं खुल पाया है.

अगर वोट शेयर पर नज़र डालें तो, 2009 में लेफ्ट प्लस को 40%, 2014 में 40% और 2019 में 36% वोट मिले. कांग्रेस प्लस को 2009 में 48%, 2014 में 42% और 2019 के चुनाव में 48% वोट मिले. जबकि 2009 में BJP का वोट शेयर 6%, 2014 में 11% और 2019 में 16% रहा.    

केरल में क्या है सियासी समीकरण?

केरल में 4 प्रमुख जातियां और समुदाय हैं, जो वहां जीत हार तय करते हैं. केरल में BJP के लिए जगह बना पाना इसलिए मुश्किल है, क्योंकि यहां कांग्रेस के नेतृत्व वाले UDF और लेफ्ट-CPM के LDF का अपना-अपना मजबूत वोट बैंक है. 45 फीसदी अल्पसंख्यक वोट बैंक कांग्रेस नेतृत्व वाले UDF का माना जाता है. ईसाई और मुस्लिम ज्यादातर इसी फ्रंट को चुनते हैं. जबकि, केरल की पिछड़ी जातियों में लेफ्ट का काफी ज्यादा प्रभाव माना जाता है. केरल में हिंदू वोट करीब 55 फीसदी है. ये वोट LDF और UDF के बीच बंटा है. 

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लेफ्ट के हिंदू वोट में BJP की सेंध     

BJP ने बीते कुछ सालों में लेफ्ट के हिंदू वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी की है. 2006 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनावों में मिले वोट पर्सेंटेज से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. पिछले चुनावों में BJP का केरल के नायर समुदाय में वोट बैंक बढ़ा है. सबरीमाला के मुद्दे के बाद से ही ये समुदाय BJP की तरफ झुकता नजर आया. केरल की कुल आबादी में नायर समुदाय करीब 15 फीसदी हिस्सेदारी रखता है. इसमें केरल के अपर कास्ट हिंदू आते हैं. इसके अलावा पिछड़ा वर्ग के तहत आने वाले एझवा समुदाय भी काफी अहम भूमिका निभाता है. इसकी केरल में कुल आबादी करीब 28 फीसदी है. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन खुद इस समुदाय से आते हैं. यानी विजयन का ये पारंपरिक वोट बैंक है. इसीलिए इस पर CPM का एकाधिकार माना जाता है. 

अल्पसंख्यकों में कांग्रेस की पकड़

दूसरी ओर, मुस्लिम और ईसाई मतदाताओं में कांग्रेस की मज़बूत पकड़ दिखती है. 2006 के विधानसभा चुनाव में लेफ्ट को 39 फीसदी मुस्लिम वोट मिले. जबकि कांग्रेस को 57 फीसदी वोट मिले. वहीं, 2019 के लोकसभा चुनावों में लेफ्ट को 25 फीसदी मुस्लिम वोट मिले. यानी लेफ्ट को 14 फीसदी मुस्लिम वोट का नुकसान हुआ. जबकि कांग्रेस को 70 फीसदी वोट मिले. यानी कांग्रेस के 13 फीसदी मुस्लिम वोट बढ़े हैं. 

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कांग्रेस का ईसाई वोट घटा

ईसाई समुदाय के वोट की बात करें, तो 2006 के असेंबली इलेक्शन में लेफ्ट को 27 फीसदी वोट मिला. कांग्रेस को 67 फीसदी वोट मिले. जबकि 2019 के लोकसभा चुनावों में लेफ्ट को 30 फीसदी ईसाई वोट मिले. वहीं, कांग्रेस के 65 फीसदी ईसाई वोट मिले. यानी पार्टी के 2 फीसदी ईसाई वोट घट गए.

कई दशकों में BJP ने दक्षिण भारत के केरल जैसे बड़े राज्य में घुसने की हर कोशिश की. पूरा दमखम लगा दिया, लेकिन हर बार सूपड़ा साफ हुआ. केरल की राजनीति को जानने वाले BJP की हार का कारण केरल की साक्षरता दर को भी मानते हैं. उनका कहना है कि केरल में देश के बाकी राज्यों के मुकाबले ज्यादा पढ़े-लिखे लोग हैं, जो किसी भी मुद्दे पर भावनाओं में बहकर वोट नहीं करते हैं. लोगों को हर विषय की अच्छी जानकारी होती है और वो स्पष्ट होते हैं कि उन्हें कहां और किसे वोट करना है.       

कांग्रेस के दबदबे वाले केरल में लेफ्ट-BJP के लिए क्या-क्या संभावनाएं? 

पहली संभावना- अगर कांग्रेस प्लस का 2.5% वोट लेफ्ट प्लस काट ले. इस स्थिति में 2024 के इलेक्शन में लेफ्ट के पास 5 सीटें हो जाएंगी. जबकि कांग्रेस के पास 15 सीटें रहेंगी. इस केस में BJP की झोली खाली रहेगी.

दूसरी संभावना- अगर कांग्रेस प्लस का 5% वोट लेफ्ट में ट्रांसफर हो जाए. इस स्थिति में लेफ्ट प्लस के खाते में 11 सीटें आएंगी. जबकि कांग्रेस के हिस्से में 8 सीटें जाएंगी. वहीं, BJP का खाता खुलेगा, उसे 1 सीट मिल सकती है.    

तीसरी संभावना- अगर कांग्रेस प्लस का 7.5% वोट लेफ्ट प्लस काट ले. इस केस में लेफ्ट के खाते में 13 सीटें आएंगी. कांग्रेस के पास 6 सीटें मिलेंगी. BJP को 1 सीट मिलेंगी.

सीटें जीतने के लिए BJP के पास 2 ही विकल्प            

इस केस में अब BJP के सामने दो विकल्प हैं. पहला-वो हिंदू वोटर (55%) का पूरी तरह ध्रुवीकरण कर अपना जनाधार बनाए. दूसरा- अल्पसंख्यक वोट बैंक (45%) में सेंधमारी कर अपने लिए जमीन बनाने का काम करे. क्योंकि पार्टी को मुस्लिम वोटों से ज्यादा उम्मीद नहीं है, लेकिन ईसाई वोटर्स को अपने पाले में खींचने की पूरी कोशिश हो रही है. ईसाई वोटों को कांग्रेस नेतृत्व वाले UDF से तोड़कर अब बीजेपी अपने पाले में खींच रही है. इसके लिए RSS भी भूमिका निभा रहा है.

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