Lok Sabha Elections 2024 Bjp Or Congress Who Is The True Sympathizer Of Muslim Voters – Analysis: BJP या कांग्रेस… मुसलमानों का सच्चा हमदर्द कौन? क्या वाकई बदल रहा है मुस्लिम वोटिंग पैटर्न



voters in gujarat assembly elections Lok Sabha Elections 2024 Bjp Or Congress Who Is The True Sympathizer Of Muslim Voters - Analysis: BJP या कांग्रेस... मुसलमानों का सच्चा हमदर्द कौन? क्या वाकई बदल रहा है मुस्लिम वोटिंग पैटर्न

लोकसभा चुनाव से पहले और चुनाव के आगाज के दौरान पीएम मोदी की कई ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जो चर्चा का विषय रहीं. मुस्लिम समुदाय के पीएम मोदी. बोहरा समाज के लोगों के साथ पीएम मोदी. क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल में भारत की हार पर टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में मोहम्मद शमी को गले लगाते पीएम मोदी. सऊदी अरब, यूएई के नेताओं से गले मिलते पीएम मोदी. कश्मीरी बच्चों से मिलते पीएम मोदी. इन तस्वीरों को लेकर सवाल उठता है कि देश में मुसलमानों का सच्चा हितैषी कौन है?

क्या मुसलमानों की सच्ची हितैषी कांग्रेस है, जिसने केंद्र की सत्ता में सबसे ज्यादा समय तक राज किया. चुनाव के वक्त पार्टी ने मुस्लिम आरक्षण का दांव चला है. या पीएम नरेंद्र मोदी मुस्लिमों के हमदर्द हैं. दावा किया जा रहा है कि अब मुसलमान भी अब मोदी के साथ आ रहे हैं.

कांग्रेस मुस्लिमों को लेकर कितनी गंभीर?

कर्नाटक में कांग्रेस ने OBC कैटेगरी से मुसलमानों को 4 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है. इसे लेकर पीएम मोदी और बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर हैं. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के एक बयान को पीएम मोदी चुनावी रैलियों में उठा रहे हैं. बीजेपी और मोदी का दावा है कि मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है, पहला हर मुसलमानों का है. पीएम ने जनता से कहा- “इन्हें ऐसा सबक सिखाइए कि ये लोग आरक्षण में छेड़छाड़ करने से डर जाएं.”

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जेपी नड्डा ने किया डॉ. अंबेडकर की आपत्ति का जिक्र

कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए बीजेपी ने एक और वीडियो जारी किया. इसमें दावा किया गया कि मनमोहन सिंह ने साल 2006 में मुसलमानों को लेकर जो बयान दिया था, उसपर वो 2009 में भी कायम थे. इन बयानों को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वो SC/ST और OBC के अधिकार छीनकर उसे मुसलमानों को देना चाहती है. बीजेपी का यह भी दावा है कि खुद डॉ. भीमराव अंबेडकर ने पंडित जवाहर लाल नेहरू पर दलितों की उपेक्षा का आरोप लगाया था.

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक चुनावी सभा में कहा, “बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था कि पंडित नेहरू ने 2000 भाषण दिए, लेकिन एक बार भी अनुसूचित जाति के कल्याण की बात नहीं की.”

कांग्रेस ने कब-कब मुसलमानों के लिए किया आरक्षण का ऐलान? 

यह पहला मामला नहीं है, जब कांग्रेस पार्टी मुसलमानों को आरक्षण देने और उस पर उपजे विवादों की वजह से चर्चा में है. बीते 30 साल में मुस्लिम आरक्षण को लेकर कांग्रेस 5 बार बैकफुट पर जा चुकी है. 

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पहला ऐलान- आंध्र प्रदेश में मुसलमानों को 5 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा

1994 में पहली बार कांग्रेस पार्टी ने मुसलमानों को अलग से आरक्षण देने का वादा किया था. उस वक्त आंध्र प्रदेश में विजय भास्कर रेड्डी की सरकार ने मुसलमानों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की थी. रेड्डी ने अपने आदेश में कहा था- “हम फिर से सरकार में आते हैं, तो मुसमलानों के 14 जातियों को OBC के सब कोटे से 5 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा.” रेड्डी के इस फैसले का आंध्र प्रदेश में घोर विरोध हुआ. चुनाव में भी इसका असर देखा गया. इस आरक्षण का विरोध सबसे ज्यादा तेलगु देशम पार्टी ने किया था. आखिरकार कांग्रेस विधानसभा चुनाव हार गई.  

दूसरा ऐलान- 2004 में कही मुसलमानों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने की बात

2004 में कांग्रेस ने अलग से मुसलमानों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही. सरकार बनने के बाद इसे लागू भी किया गया. हालांकि, 2010 में इस पर रोक लगा दी गई. अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के पास है.

तीसरा ऐलान-2009 में भी आरक्षण देने का वादा

कांग्रेस पार्टी ने 2009 के लोकसभा चुनाव में अपने मेनिफेस्टो में रंगनाथ मिश्र और अमिताभ कुंडू कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण देने की बात कही थी. बीजेपी ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया था. रंगनाथ मिश्र आयोग ने देशभर में मुसलमानों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की थी. कमीशन ने यह भी कहा था कि मुसलमानों की भागीदारी बढ़ाने के लिए दलित कैटेगरी में बदलाव किया जाए.

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चौथा ऐलान- 2012 में यूपी चुनाव में भी की मुस्लिम आरक्षण की घोषणा

2012 में यूपी समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने शैक्षणिक संस्थानों में मुसलमानों को आरक्षण देने की घोषणा कर दी. केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में OBC के लिए आवंटित 27% आरक्षण में से 4.5 प्रतिशत आरक्षण मुस्लिम समुदाय को दी जाएगी. सरकार ने इसमें मुस्लिम समुदायों के 20 जातियों को शामिल किया. कांग्रेस की इस घोषणा पर पूरे देश में बवाल मच गया. चुनाव की घोषणा होने की वजह से आयोग भी एक्शन में आ गया. आयोग ने केंद्र की इस घोषणा पर रोक लगाने का फैसला सुनाया. हालांकि, 2012 में यूपी में कांग्रेस कोई करिश्मा नहीं दिखा पाई. ऐसे में ये मामला भी शांत हो गया. 

पांचवां ऐलान- महाराष्ट्र में भी मुसलमानों को दिया आरक्षण

2014 में महाराष्ट्र की पृथ्वीराज चव्हाण सरकार ने भी मुसलमानों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की थी. सरकार ने यह घोषणा मराठाओं को 16 प्रतिशत आरक्षण देते वक्त की थी. तब शिवसेना और बीजेपी ने इसका पुरजोर विरोध किया था. हालांकि, महाराष्ट्र सरकार का कहना था कि 32 प्रतिशत मराठाओं को अगर 16 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है, तो फिर 11 प्रतिशत मुसलमानों को 5 प्रतिशत आरक्षण क्यों नहीं? 2014 में केंद्र में कांग्रेस की सत्ता चली गई. जिसके बाद ये मोदी सरकार ने इस आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया था. 

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क्या बीजेपी के साथ आ रही मुस्लिम आबादी? 

एक रिसर्च के मुताबिक, 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 4% मुसलमानों का वोट मिला. जबकि 2014 के इलेक्शन में 8% मुसलमानों ने बीजेपी को वोट दिया. माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी आंकड़ा यही रहा. यानी 8% मुसलमानों ने बीजेपी को वोट दिया. आंकड़ों से समझ में आता है कि मु्स्लिम वोट कुछ हद तक खिसककर बीजेपी के साथ आया है.

बीजेपी किस आधार पर करती है मुस्लिमों की हितैषी होने का दावा?

सवाल उठते हैं कि बीजेपी ने ऐसे कौन से फैसले किए, जिनके आधार पर वो मुसलमानों का हितैषी होने का दावा कर रही है? माना जा रहा है कि मोदी सरकार की नीतियों ने मुस्लिम आबादी को बीजेपी के करीब लाने में बड़ी भूमिका निभाई है. पहले 5 साल में सरकार ने इस समाज के लिए 22 हजार करोड़ रुपये की अलग-अलग योजनाएं शुरू की. सरकार ने कानून बनाकर 3 तलाक को खत्म किया. हज कोटे को 2 लाख तक बढ़ाया गया है. इन फैसलों का मुस्लिम मतदाताओं पर असर भी हुआ.

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पीएम मोदी के मन की बात सुनने के लिए इकट्ठा हुईं कुछ मुस्लिम महिलाएं उन्हें अपना भाई बताती हैं. मुस्लिम महिलाएं कहती हैं, “मोदी हमारे भाईजान हैं. तीन तलाक को खत्म करने के फैसले को याद करते हुए महिलाएं कहती हैं कि किसी राजनीतिक पार्टी ने उनके लिए वो काम नहीं किया, जो प्रधानमंत्री मोदी ने कर दिखाया है.

मुसलमानों के बीच प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता की जो तस्वीरें दिखती हैं, वो अपने आप में इस बात की तस्दीक करता है कि मोदी क्षेत्र, उम्र और सीमा से परे हैं. मुस्लिम देशों में प्रधानमंत्री मोदी और अरब के नेताओं के बीच रिश्तों की जो मिठास और गहराई दिखी, उसने भी ग्लोबल डिप्लोमेसी में भारत का मान बढ़ाया. माना जा रहा है कि देश के अंदर भी प्रधानमंत्री मोदी कि छवि को नए आयाम मिले.

मुस्लिम वोटरों के बीच ऐसे जगह बना रही बीजेपी

पीएम मोदी के निर्देश पर बीजेपी पिछले कुछ सालों से मुसलमानों के बीच अपनी जगह बनाने में जुटी है. बीजेपी ने हाल के दिनों में मुस्लिम समाज के अलग-अलग वर्गों से जुड़ने के लिए कई अभियान चलाएं. कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा देशभर में मुस्लिम समाज के बीच इस तरह के 23 हजार के लगभग ‘संवाद कार्यक्रम’ कर चुका हैं. इन कार्यक्रमों के जरिए देश के 1500 के लगभग विधानसभा क्षेत्रों के कवर किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, देश की सभी लोकसभा सीटों पर कुल मिलाकर 18 लाख से ज्यादा मोदी मित्र बनाए गए हैं. बीजेपी ‘ना दूरी है ना खाई है, मोदी हमारा भाई है’ के नारे के साथ मुस्लिम समाज को पीएम मोदी के साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है.

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