Lok Sabha Elections 2024 NDTV Battleground BJP Samajwadi Party Who Will Benefit From Mayawati BSP Vote Bank – NDTV Battleground: यूपी में कहां जाएगा मायावती का वोट बैंक? BSP के नुकसान से BJP या SP किसे होगा फायदा
NDTV के खास शो ‘बैटलग्राउंड’ में लोकनीति के नेशनल को-ऑर्डिनेटर संदीप शास्त्री ने लोकसभा चुनाव में मायावती की पार्टी की स्थिति को लेकर बात की. उन्होंने कहा, “बीएसपी के ओबीसी वोट लगता है कि बीजेपी के पास जा रहा है. नॉन-जाटव वोट कुछ बीजेपी और कुछ समाजवादी पार्टी के साथ जा सकता है. जाटव वोट काफी हद तक बीएसपी के साथ ही रहेगा. लेकिन इसका एक हिस्सा बीजेपी या सपा के साथ जा सकता है.”
OBC सपा का कोर वोटर
वैसे OBC को सपा का कोर वोटर माना जाता है. यादव वोटर्स समाजवादी पार्टी के डेडिकेटेड वोटर्स माने जाते हैं. लेकिन 2017 में जब से BJP यूपी की सत्ता में काबिज हुई, तब से OBC वोट बैंक भी डिवाइड हो गया. BJP ने अपनी राजनीतिक रणनीतियों की मदद से सपा के इस वोटबैंक में पर्याप्त सेंधमारी की है. देखते ही देखते गैर-यादव OBC समुदाय BJP के पास आते गए और सपा से दूर होते गए.
OBC वोट को मेंटेन रखना BJP के लिए कितनी बड़ी चुनौती?
पिछले चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि BJP को OBC का बंपर वोट मिला. इस लोकसभा चुनाव में OBC वोट को मेंटेन रखना BJP के लिए बड़ी चुनौती है. 2014 में सपा और बसपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. तब अगर यादवों के वोट को छोड़ दिया जाए, तो बाकी OBC जातियों में BJP और सपा के बीच 35 से 70 फीसदी का अंतर है. 2019 में जब सपा-बसपा साथ थे, तब भी ये 50 से 84 फीसदी का अंतर है. विरोधियों के लिए इस अंतर को पाटना इतना आसान नहीं होगा.
OBC समुदाय को लुभाने में जुटी हैं मायावती
यूपी के OBC वोटर्स को लुभाने में बसपा सुप्रीमो मायावती भी पीछे नहीं हैं. साल 2007 में जब उनकी पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ यूपी में सरकार बनाई थी, तब उन्हें अच्छी-खासी मात्रा में वोट मिले थे. बसपा और सपा ने साथ मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था. इसका फायदा बसपा को मिला. उसके OBC वोट बैंक के शेयर में इजाफा हुआ था. अब 2024 के इलेक्शन में OBC वोट बैंक को साधने के लिए मायावती ने जाति जनगणना की मांग का समर्थन किया है.
इतना ही नहीं, उन्होंने महिला आरक्षण बिल में OBC कोटे की मांग भी की है, ताकि जनता के बीच ये मैसेज जाए कि बसपा ही यूपी में OBC समुदाय के बारे में सोचती है.
PDA के जरिए मायावती के वोट बैंक को साधने में जुटे अखिलेश यादव
सपा के सामने लोकसभा चुनाव में OBC वोटर्स (जाटव वोटर्स) को वापस पाने की चुनौती है. इसके लिए पार्टी की रणनीतियां भी साफ है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) का नारा भी दिया है. सपा खासतौर पर जाति जनगणना पर जोर दे रही है. जबकि BJP इसे नकारती आई है. इसके साथ ही अखिलेश यादव ने मायावती के कोर वोटर्स जाटवों को अलग से टारगेट भी कर रहे हैं.
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बीएसपी के नुकसान से किसे फायदा?
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं, “पिछले 6 चुनावों के आंकड़ों को अगर देखे, तो जब-जब बीजेपी को अधिक सीटें मिली है तब-तब बीएसपी का प्रदर्शन खराब हुआ. साल 1998 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी को 4 सीटें मिली थी. तब बीजेपी ने 52 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 1999 के चुनाव में बीएसपी के प्रदर्शन में सुधार हुआ और 14 सीटों पर जीत मिली. इस चुनाव में बीजेपी को नुकसान झेलना पड़ा था. फिर 2019 में बीएसपी के प्रदर्शन में सुधार देखने को मिला. मायावती की पार्टी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की. बीजेपी को 62 सीटें मिली थी.”
अमिताभ तिवारी कहते हैं, “ये चुनाव बहुजन समाज पार्टी के लिए वजूद की लड़ाई है. क्योंकि बीएसपी को कोर वोटर्स में बिखराव हुआ है. ऐसे में इस चुनाव में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीएसपी किसी गठबंधन का खेल बिगाड़ सकती है या नहीं.”
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