Lok Sabha Elections 2024 NDTV Battleground How Modi Factor Change Uttar Pradesh Political Scenario From Varanasi – NDTV Battleground: मोदी फैक्टर ने यूपी में कैसे बदली राजनीतिक जमीन? कितनी टक्कर दे पाएगा INDIA अलायंस?



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2019 के इलेक्शन में बीजेपी ने यूपी में बनाया 50% वोट बैंक

लोकनीति नेटवर्क के नेशनल को-ऑर्डिनेटर संदीप शास्त्री ने कहा, ”2014 में जब बीजेपी रणनीति बना रही थी, तो उन्हें शानदार प्रदर्शन की जरूरत थी. बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए उन्हें यूपी में बेस्ट परफॉर्मेंस करना था. 2014 के बाद से बीजेपी ने उत्तर प्रदेश को अपना बना लिया है. 2019 के इलेक्शन में बीजेपी ने राज्य में 50 प्रतिशत वोट बैंक बनाया है. जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी की बड़ी भूमिका थी.”

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यूपी के चुनाव में रिजनल पार्टियां कितनी अहम?

इसके जवाब में यशवंत देशमुख कहते हैं, “चुनाव में रिजनल पार्टियां अहम हैं. पिछले 10 साल में बीजेपी ज्यादातर चुनाव जीती है. इस बार के लोकसभा चुनाव में 200 सीटों पर मुकाबला बीजेपी बनाम कांग्रेस है. जबकि 243 सीटों में बीजेपी बना रिजनल पार्टियां है. कांग्रेस की स्थिति खराब है. पंजाब, कर्नाटक और तेलंगाना में यह अकेले लड़ रही है. वो अन्य राज्यों में जूनियर पार्टनर के रूप में है. इन कुछ राज्यों में उन्हें फायदा हो सकता है. एनडीए में बीजेपी की हिस्सेदारी बढ़कर 370 हो गई है और सहयोगी पार्टियों की हिस्सेदारी 30 हो गई है.”

यूपी के गेमचेंजर मोदी

यशवंत देशमुख कहते हैं, “ये देश पहले से इतना बदल चुका है कि लोग कल्पना नहीं कर पा रहे. वो जितना सोचते हैं कि देश बदल गया है, देश वास्तव में उससे भी ज्यादा बदल गया है. इस बदलाव को एकमात्र इंसान अच्छे से समझता है. वो इंसान हैं वाराणसी से सांसद पीएम नरेंद्र मोदी. पीएम मोदी ने महिला वोटर्स को लाभार्थियों में जोड़ दिया है. चुनाव में देखिए ज्यादातर पार्टियां महिला वोटर्स को साधने में लगी हैं.”

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वाराणसी से कैसे पीएम ने पूर्वी और दक्षिण भारत को साधा?

2009 तक के चुनावों में बीजेपी का वोट शेयर औसत 28 फीसदी होता था. अब यूपी में ही 50 फीसदी वोट शेयर हो गया है. अकेले वाराणसी सीट की बात करें, तो बीजेपी का वोट शेयर उससे भी ज्यादा है. मोदी ने जातीय समीकरण के लिए भी बनारस को एक प्रयोग के तौर पर इस्तेमाल किया. ऐसे में मोदी का बनारस चुनना और किन मामलों में अहम है? इसका जवाब देते हुए देशमुख कहते हैं, “मोदी का बनारस चुनना चुनाव के लिहाज से बहुत अहम हिस्सा इसलिए भी है, क्योंकि बनारस की एक सांस्कृतिक धरोहर है. हिंदुत्व के साथ उसका एक जुड़ाव है. 1979 के बाद से यहां के वोटर हमेशा से बीजेपी के साथ जुड़े रहे. बनारस, काशी सिर्फ यूपी वाला इश्यू नहीं है. यहां से पूर्वी भारत से लेकर कलकत्ता तक का इंपैक्ट है. जाहिर तौर पर यहां से पीएम ने देशभर के वोटरों को मैसेज दिया.”

लोकनीति के नेशनल को-ऑर्डिनेटर संदीप शास्त्री कहते हैं, “बनारस से दक्षिण भारत को भी साधा गया है. इसे समझने के लिए 2014 के इलेक्शन की बात करनी होगी. उस समय बीजेपी अपनी रणनीति तैयार कर रही थी. तब एक बात साफ थी कि यूपी में बीजेपी के अच्छे परफॉर्मेंस की जरूरत थी. बनारस से चुनाव लड़ने से पूरे एरिया पर असर पड़ा. 2014 के नतीजे देखें, तो बीजेपी ने न सिर्फ बनारस बल्कि इसके इर्द-गिर्द क्षेत्रों पर भी असर डाला. 2014 के बाद से जो बदलाव यूपी में आया, उसके बल पर मोदी ने यहीं से दक्षिण भारत को भी सकारात्मक तस्वीर दिखाई.

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गठबंधन में टूट और मनमुटाव का भी दिखेगा असर

लोकसभा चुनाव के अभी तक के सफर को देखते हुए क्या टेक अवे निकल रहा है? इसके जवाब में सी वोटर के फाउंडर डायरेक्टर यशवंत देशमुख कहते हैं, “2004 की कवायद 2024 में तो नहीं होगी. 2024 का कैलकुलेशन अलग था. 2024 का कैलकुशन अलग है. जाहिर तौर पर NDA और पीएम मोदी के सामने INDIA गठबंधन को दिक्कत होगी. खासकर तब, जब गठबंधन में टूट और मनमुटाव सामने आ रहा है.”

2019 के इलेक्शन में 4 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीते थे मोदी

बता दें कि 2019 के इलेक्शन में पीएम मोदी वाराणसी में बंपर जीत मिली थी. वो 4 लाख 79 हजार 505 वोटों से जीते थे. पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां 6 लाख 74 हजार 664 वोट हासिल कर जीत दर्ज की. दूसरे स्थान पर सपा-बसपा गठबंधन से सपा प्रत्याशी शालिनी यादव रहीं. जबकि कांग्रेस के अजय राय 1,52,548 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

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