Lok Sabha Elections 2024 NDTV Battleground Who Will Suffer Break Ties Of BJP-AIADMK In Tamil Nadu – NDTV Battleground : तमिलनाडु में BJP-AIADMK गठबंधन टूटने का नुकसान किसे? कौन करेगा भरपाई?
दरअसल, तमिलनाडु में गठबंधन को खटाई में डालने का काम किसी और ने नहीं, बल्कि खुद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने किया. वो न सिर्फ AIADMK के नेतृत्व के आलोचक थे, बल्कि उन्होंने सीएन अन्नादुरै के आइकन को निशाना बनाने का एक भी मौका नहीं छोड़ा. अन्नादुरै को द्रविड़ पार्टियों का जनक माना जाता है. AIADMK के कार्यकर्ताओं के मन में दोनों के प्रति सम्मान है. अब BJP-AIADMK के अलग होने और BJP-PMK के साथ आने से समीकरण बदल चुके हैं.
लोकनीति के नेशनल कंविनर और इलेक्शन डेटा एनालिस्ट संदीप शास्त्री ने कहा, “मैं तमिलनाडु को कई कारणों से चुनाव में अहम मानता हूं. यहां दो गठबंधनों का मुकाबला है. पहला गठबंधन DMK-कांग्रेस का और दूसरा BJP-PMK का. बेशक PMK एक छोटी पार्टी है, लेकिन उसे साथ लेने से फायदा BJP का ही है. BJP का वोट शेयर बढ़ सकता है.”
इलेक्शन एनालिस्ट मनीषा प्रियम ने कहा, “2019 के चुनाव में पुलवामा अटैक को लेकर एक लहर थी. अब 2024 के चुनाव में कलर ऑफ स्टेट पॉलिटिक्स अहमियत रखता है. खासतौर पर जब हम तमिलनाडु की बात करते हैं, जहां लोग जानना चाहते हैं कि BJP के पास उनके लिए क्या है.”
संदीप शास्त्री कहते हैं, “अगर दो पार्टियां आपस में वोट बांटती हैं, तो DMK को फायदा होगा. फिलहाल ये होता नहीं दिख रहा है. BJP के लिए तो यही बहुत है कि उसका वोटिंग प्रतिशत थोड़ा बढ़ जाए. लेकिन AIDMK और पलानीस्वामी के लिए तो सीटें जीतना ज़रूरी हैं, वरना उनके नेतृत्व को ख़तरा पैदा हो जाएगा.”
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वहीं, सत्ताधारी DMK के प्रवक्ता मनुराज सुंदरम ने कहा, “मीडिया जगत और आम लोगों के बीच प्रधानमंत्री को काफी तवज्जो मिलती है… हमें खुशी है कि प्रधानमंत्री अक्सर तमिलनाडु आते रहते हैं.” सुंदरम ने कहा-“हालांकि, इसमें दो महत्वपूर्ण बातें हैं. पहला- अब दिल्ली पर अविश्वास करने की प्रवृत्ति है. साथ ही परिसीमन प्रक्रिया को लेकर काफी आशंकाएं हैं. इससे उत्तर की तुलना में दक्षिणी राज्यों का संसद में प्रतिनिधित्व अनिवार्य रूप से कम हो जाएगा. दूसरा- तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है, जिसमें एक प्रकार की राजनीति का वर्चस्व रहा है. द्रविड़ या समाजवादी राजनीति की पहचान हमारी मजबूत भावना है.” सुंदरम ने कहा, “चुनाव में जो इन मुद्दों को उठाएगा और समाधान बताएगा, जनता उसका साथ देगी.”
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पीएम मोदी ने संभाला मिशन साउथ
खुद पीएम मोदी मिशन साउथ को पूरा करने में लगे हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी 50 बार तमिलनाडु का दौरा कर चुके हैं. इस साल जनवरी से अभी तक पीएम मोदी ने दक्षिण भारतीय राज्यों के 20 से अधिक दौरे किए हैं.
अभी दक्षिण भारत में बीजेपी की क्या है स्थिति?
केरल में पिछले 3 लोकसभा चुनाव की बात करें, तो यहां NDA को एक भी सीट नहीं मिली. तमिलनाडु में सहयोगी पार्टी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के अलग होने के बाद BJP अलग-थलग पड़ गई है. तेलंगाना में 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP ने 4 सीटें जीती थीं, लेकिन 2023 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद यहां कांग्रेस मजबूत नजर आ रही है.