Lok Sabha Elections 2024: Triangular Contest On Three Lok Sabha Seats In Bihar – बिहार में तीन लोकसभा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला, क्या पवन सिंह बिगाड़ देंगे कुशवाहा का खेल?



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करकट लोकसभा क्षेत्र

काराकाट में एनडीए उम्मीदवार के तौर पर उपेन्द्र कुशवाहा चुनाव लड़ रहे थे और विपक्षी महागठबंधन के राजाराम सिंह (सीपीआई-एमएल) को चुनौती दे रहे थे. हालांकि, बुधवार को भोजपुरी ‘पावर स्टार’ पवन सिंह ने बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.

उपेन्द्र कुशवाह और राजाराम सिंह कुशवाह समुदाय से आते हैं, जिनके इस क्षेत्र में मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है. पवन सिंह ऊंची जाति से आते हैं, हालांकि भोजपुर, रोहतास, औरंगाबाद, कैमूर आदि ग्रामीण इलाकों में उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है. ऊंची जाति के वोटर बीजेपी का कोर वोट बैंक माने जाते हैं. इसके चलते इस चुनाव में पवन सिंह की एंट्री से उपेन्द्र कुशवाहा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.

काराकाट लोकसभा सीट पर करीब तीन लाख यादव, करीब दो लाख राजपूत, 3.5 लाख कुशवाह और दो लाख गुप्ता मतदाता हैं. इसके अलावा भूमिहार, दलित, महादलित और कुर्मी समुदाय के मतदाताओं की भी अच्छी खासी संख्या है. काराकाट लोकसभा सीट की स्थापना 2008 में परिसीमन प्रक्रिया के बाद हुई थी. पहले, इसे विक्रम लोकसभा क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई थी. काराकाट लोकसभा सीट में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, अर्थात् काराकाट, डेहरी और नोखा (सभी रोहतास जिले में स्थित हैं) और नबीनगर, ओबरा और गोह (सभी औरंगाबाद जिले में स्थित हैं).

2014 में, इस सीट पर एनडीए उम्मीदवार के तौर पर उपेंद्र कुशवाहा (राष्ट्रीय लोक समता पार्टी-आरएलएसपी से) ने चुनाव जीता था. हालांकि, 2019 में किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और वह हार गए. 

पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र

बिहार में पूर्णिया की लड़ाई सबसे अहम है. प्रारंभ में, ऐसा लग रहा था कि मुकाबला एनडीए उम्मीदवार संतोष कुशवाहा (जेडी-यू) और इंडिया ब्लॉक की बीमा भारती (आरजेडी) के बीच होगा. हालांकि, पूर्णिया में पप्पू यादव के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरने के बाद मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.

पप्पू यादव को कांग्रेस से टिकट की उम्मीद थी, लेकिन सीट राजद के खाते में चली गयी. इसके बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया. बिहार के सीमांचल और कोसी क्षेत्रों में यादव का गढ़ है और इन चुनावों में वह राजद के कोर वोट बैंक (यादव) में कटौती कर सकते हैं.

किशनगंज लोकसभा क्षेत्र

किशनगंज एक और सीट है जहां त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है. एनडीए की ओर से मुजाहिद आलम जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और मौजूदा सांसद डॉ. जावेद आजाद इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार हैं. वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के उम्मीदवार अख्तरुल ईमान की एंट्री ने यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.

2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान, एआईएमआईएम ने पांच सीटें जीतीं और 20 से अधिक सीटों पर विपक्ष के वोट काटे. इस बार भी यही स्थिति दोहराई जाती दिख रही है. एआईएमआईएम की मुस्लिम बहुल किशनगंज और सीमांचल क्षेत्र के अन्य हिस्सों में अच्छी पकड़ है और इसकी मौजूदगी राजद और कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है.



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