Lok Sabha Elections 2024 When BJP Pick Bansuri Swaraj For New Delhi Constituency – अपनी मां की वजह से राजनीति में नहीं आई… : बांसुरी स्वराज ने NDTV के साथ इंटर्नशिप को भी किया याद
2007 में दिल्ली बार काउंसिल से जुड़ी
बांसुरी ने 2007 में दिल्ली बार काउंसिल से जुड़ी थीं. उनके पास लीगल प्रोफेशन में 16 साल का तजुर्बा है. बांसुरी कहती हैं, “मेरे पिता और मां दोनों लीगल प्रोफेशन में थे और पॉलिटिक्स में भी थे. लिहाजा मैं शुरुआत से ही इन दोनों चीजों को लेकर गंभीर थी. मेरी परवरिश एक ऐसी बच्ची के तौर पर हुई, जिसके सुबह की शुरुआत एक गिलास दूध के साथ अखबार पढ़ने से होती थी. स्कूल जाने से पहले ये मेरा रोज का रूटीन होता था. इसलिए राजनीतिक घटनाओं को लेकर मेरी दिलचस्पी बचपन से ही रही है. हालांकि, मैं अपनी मां सुषमा स्वराज की वजह से राजनीति में नहीं आई.”
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ऐसे बनी नई दिल्ली से बीजेपी कैंडिडेट
राजनीति में एंट्री को लेकर बांसुरी स्वराज ने बताया, “मैं एक दशक से बीजेपी के साथ जुड़ी हुई थी. एक साल पहले मुझे अचानक कॉल आया. पार्टी लीडरशिप ने बताया कि वो दिल्ली बीजेपी लीगल सेल की टीम का विस्तार करना चाहते हैं. फिर मुझे लीगल सेल का को-कनवीनर बनाया गया. इस तरह मुझे लोगों के बीच सक्रिय तौर पर काम करने का मौका मिल गया. फिर मुझे दिल्ली बीजेपी का सेक्रेटरी बनाया गया. इसके बाद हाल ही में मुझे टीवी चैनलों के जरिए मालूम हुआ कि मुझे नई दिल्ली लोकसभा सीट से कैंडिडेट बनाया गया है.”
कॉलेज के फर्स्ट ईयर में ज्वॉइन किया AVBP
वह आगे कहती हैं, “स्कूल खत्म होने के बाद जब मैं कॉलेज के फर्स्ट ईयर में थी, तभी मैंने AVBP ज्वॉइन कर लिया था. इसलिए मैं कह सकती हूं कि मैं 24 साल से संघ से जुड़ी हुई हूं” बता दें कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन हैं.
BJP ने मेरी योग्यताओं को समझा
बांसुरी स्वराज कहती हैं, “17 साल से मैं लॉ की प्रैक्टिस कर रही हूं. अब दिल्ली में मेरा अपना चेंबर है. मैं शुक्रगुजार हूं कि पार्टी ने एक वकील के तौर पर मेरी योग्यताओं और मेरी क्षमताओं को समझा. मुझे लोगों की सेवा का मौका दिया.”
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NDTV के साथ थी पहली जॉब
बांसुरी स्वराज की NDTV के साथ खास यादें भी जुड़ी हुई हैं. उन्होंने अपने स्कूल के दिनों में NDTV के ऑफिस में इंटर्नशिप की थी. बांसुरी स्वराज कहती हैं, “मैं तब स्कूल में थी. समर जॉब के तौर पर मेरी जिंदगी की पहली नौकरी NDTV में थी. मैंने यहां के स्टूडियो में बहुत सारे वायर्स किए हैं. इंटर्नशिप के लिए मुझे 3000 रुपये का पे चेक भी मिला था. मैंने पंजाब नेशनल बैंक में अपना अकाउंट खुलवाया था और पैसे जमा कराए थे.”
मां से सीखा निडर होना
बांसुरी बताती हैं, “मैंने अपनी मां सुषमा स्वराज से सबसे बड़ी चीज जो सीखी, वो निडरता है. मां ने मुझे यही सिखाया, “हमेशा बिना डरे अपनी बात कहो. जो भी काम हो, उसे पूरे लगन के साथ करो और बाकी सब भगवान यानी श्रीकृष्ण पर छोड़ दो.”
अपनी मां की वजह से राजनीति में नहीं आई
वंशवाद की राजनीति को लेकर बीजेपी हमेशा कांग्रेस पर हमलावर रही है. क्या बीजेपी ने आपको चुनकर वंशवाद की राजनीति का समर्थन किया है? इस सवाल के जवाब में बांसुरी कहती हैं, “मैं अपनी मां सुषमा स्वराज की वजह से राजनीति में नहीं आई. मेरी मां के इस दुनिया से जाने के 4 साल बाद मैंने राजनीति में कदम रखा. मैंने 24 साल से AVBP कार्यकर्ता रही हूं. एक वकील के तौर पर भी मैं एक दशक से पार्टी से जुड़ी रही हूं. फिर मुझे दिल्ली बीजेपी के लीगल सेल का को-कनवीनर चुना है. मतलब चीजें एक बार में नहीं हुई हैं. ऐसा नहीं है कि मेरी मां सुषमा स्वराज बीजेपी में थी और एक अच्छी पोजिशन में थीं, सिर्फ इसलिए मुझे राजनीति में आने का मौका मिला.”
बांसुरी स्वराज कहती हैं, “मुझे ये मौके गिफ्ट में नहीं मिले. मुझे भी बाकियों की तरह संघर्ष करना पड़ा. कोशिशें करनी पड़ी. ये वंशवाद की राजनीति तब होती, जब एक परिवार विशेष में आने की वजह से मुझे मौके मिल जाते, चाहे वो सीएम का पद हो, लीगल सेल का को-कनवीनर हो या फिर निर्वाचन क्षेत्र का उम्मीदवार चुना जाना हो.”
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