Lok Sabha Elections 2024 Why Is BJP Wooing MNS Raj Thackeray In Maharashtra Political Landscape – निशाना 48 सीटें या कुछ और… BJP को क्यों चाहिए राज ठाकरे? क्या शिंदे-अजित पावर पर यकीन नहीं

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c6013l9o amit shah Lok Sabha Elections 2024 Why Is BJP Wooing MNS Raj Thackeray In Maharashtra Political Landscape - निशाना 48 सीटें या कुछ और... BJP को क्यों चाहिए राज ठाकरे? क्या शिंदे-अजित पावर पर यकीन नहीं

उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई और MNS प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) सोमवार रात बेटे के साथ नई दिल्ली पहुंचे. मंगलवार को उनकी गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात हुई. अमित शाह से मुलाकात को लेकर राज ठाकरे ने मीडिया से कहा, “मुझे दिल्ली आने के लिए कहा गया था. इसलिए मैं आया. देखते हैं.” वहीं, MNS नेता संदीप देशपांडे ने कहा है कि वे जल्द ही मीटिंग की डिटेल शेयर करेंगे. उन्होंने कहा, “जो भी फैसला लिया जाएगा, वह मराठियों, हिंदुत्व और पार्टी के हित और व्यापक भलाई के लिए होगा.”

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ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि BJP को महाराष्ट्र में शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) का साथ मिल चुका है. शरद पवार से बगावत के बाद अजित पवार भी आधी से ज्यादा पार्टी को लेकर गठबंधन में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में ताकतवर ‘बड़े भाई’ BJP को आखिर राज ठाकरे की क्यों जरूरत है?

1. उद्धव ठाकरे की काट

गठबंधन में राज ठाकरे को शामिल करने के पीछे सबसे बड़ा कारण उद्धव ठाकरे की काट ढूंढना है. एक तय रणनीति के तहत शिवसेना में पहले ही दो गुट बन गए. उद्धव ठाकरे को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी और बाद में पार्टी के नाम और निशान से भी हाथ धोना पड़ा. उससे BJP को लगता है कि चुनाव में उद्धव ठाकरे को वोटर्स की सहानुभूति का फायदा मिल सकता है. इसलिए BJP को एक ऐसे चेहरे की तलाश है, जो उद्धव ठाकरे की जगह ले सके और मराठी वोट को साथ लेकर चल सके. NDA में राज ठाकरे आएंगे, तो उद्धव ठाकरे को करारा जवाब देने के लिए गठबंधन को एक फायर ब्रांड नेता मिलेगा. 

2. हिंदुत्व और मराठी मानुष की छवि

महाराष्ट्र में राज ठाकरे को साथ लेने के पीछे कहा जा रहा है कि इससे BJP उद्धव ठाकरे फैक्टर को खत्म करके महाविकास अघाड़ी (MVA) को और कमजोर कर सकेगी. वैसे राज ठाकरे उत्तर भारतीय विरोधी नेता के रूप में जाने जाते हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या BJP उन्हें साथ लेकर क्या यूपी-बिहार जैसे हिंदी पट्‌टी वाले राज्यों में सियासी नुकसान झेलना चाहेगी? इस सवाल का जवाब एक शब्द में है- हिंदुत्व. खुद महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस कबूल कर चुके हैं कि हाल के वर्षों में राज ठाकरे की विचारधारा व्यापक हुई है. वो पहले केवल मराठी मानुष की बात करते थे. लेकिन अब हिंदुत्व की भी बात करते हैं. ऐसे में BJP को उनके साथ गठबंधन करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.

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देवेंद्र फडणवीस ने NDTV को दिए एक इंटरव्यू में इस बारे में बात की थी. राज ठाकरे से गठबंधन की संभावनाओं से जुड़े सवाल पर फडणवीस ने कहा था, “पहले हमें उनके साथ गठबंधन में दिक्कत थी. लेकिन अब मेरे ख्याल से गठबंधन में कोई समस्या नहीं है.”

3. मराठी वोट को टारगेट करना

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे का वोट बैंक मराठी मानुस ही हैं. राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) का प्रभाव मुंबई, ठाणे, कोंकण, पुणे, नासिक जैसे इलाकों में है. उनके पास करीब 2.25 प्रतिशत मराठी वोटर हैं. अगर राज ठाकरे NDA के साथ आते है, तो उन सीटों के मराठी वोट पर असर होगा, जहां उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) उम्मीदवार उतारेगी. इसका सीधा फायदा BJP को होगा और नुकसान MVA को झेलना पड़ेगा.

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4. BJP को राज और राज को BJP की जरूरत

महाराष्ट्र के सत्ता के खेल में BJP को राज ठाकरे और राज ठाकरे को BJP की जरूरत है. शिवसेना में टूट के बाद बड़ी संख्या में सांसद और विधायक तो एकनाथ शिंदे के गुट में आ गए हैं. लेकिन मराठी वोटर कितने आए ये अभी साफ नही है. इसलिए दोनों साथ आकर एक दूसरे की मदद कर सकते हैं. अगर गठबंधन हुआ, तो इसका फायदा दोनों पार्टियों को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा.

राज ठाकरे को साथ लाने की एक वजह तो यह भी है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना को जनता से उतना सपोर्ट नहीं मिल रहा जितनी बीजेपी को उम्मीद थी. हालांकि, राज ठाकरे की एंट्री के बाद महायुति गठबंधन (NDA) कैसे तालमेल बैठाएगा, ये भी देखने वाली बात होगी.

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2006 में राज ठाकरे ने बनाई थी नई पार्टी

राज ठाकरे ने 2006 में चचेरे भाई उद्धव ठाकरे के साथ मतभेदों के कारण शिवसेना छोड़ दी थी. उन्होंने उसी साल कुछ महीने बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) नाम से नई पार्टी बनाई. पार्टी को शुरुआत के सालों में उत्तर भारतीयों को मुंबई में निशाना बनाए जाने के कारण प्रसिद्धि भी हासिल हुई थी. MNS ने 2009 के विधानसभा चुनावों में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया. पार्टी ने 13 सीटें जीतीं.  इस चुनाव में उन्हें कुल 5.71 फीसदी वोट मिले थे. हालांकि, 2014 के चुनावों में यह केवल एक सीट जीत पाई. इसके बाद के सालों में पार्टी ने BMC में सीटें जीती थी, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनावों में पार्टी कोई भी सीट नहीं जीत पाई थी. पार्टी का वोट 2.25% रह गया था.

पिछले एक दशक में राज ठाकरे ने राजनीतिक सुर्खियों में बने रहने के लिए संघर्ष किया है. जब शिवसेना विभाजित हो गई, तो राज ठाकरे ने इस संकट के लिए अपने चचेरे भाई को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने एकनाथ शिंदे के प्रति भी गर्मजोशी दिखाई. दोनों नेताओं के बीच कई मौकों पर मुलाकातें भी हुई हैं. ऐसे में अगर NDA में राज ठाकरे की एंट्री हो जाती है, तो उन्हें अपनी राजनीतिक किस्मत को पुनर्जीवित करने का एक मौका मिल सकता है.

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