Loksabha Election 2024 Third Phase Voting: Shivraj Singh Chauhan Jyotiraditya Scindia Yusuf Pathan Dimple Yadav Supriya Sule Sunetra Pawar Dimple Yadav – मामा Vs दादा, क्रिकेटर का डेब्यू; पारिवारिक झगड़ा: तीसरे चरण में मुख्य मुकाबला
गुजरात का गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र बीजेपी का गढ़ है. 1989 के बाद से यहां पार्टी को लगातार जीत मिली है, जिसमें बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी के 6 जीतें शामिल हैं. हाल ही की बात करें तो 2019 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 5 लाख से ज्यादा वोटों से शानदार जीत हासिल की. इस बार गृह मंत्री अमित शाह का लक्ष्य कांग्रेस उम्मीदवार सोनल पटेल को शिकस्त देना है.
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मैनपुरी: डिंपल यादव Vs जयवीर सिंह Vs शिव प्रसाद यादव
उत्तर प्रदेश की मैनपुरी में सांसद डिंपल यादव का मुकाबला बीजेपी के जयवीर सिंह से है. हालांकि शुरुआत में दोनों के बीच आमने-सामने की लड़ाई माना जा रही थी, लेकिन बीएसपी से शिव प्रसाद यादव को चुनावी मैदान में उतारकर तीसरा दावेदार पेश कर दिया है. साल 2022 में मुलायम सिंह यादव की मौत के निधन के बाद हुए उपचुनाव में डिंपल यादव ने सहानुभूति वोटों के साथ शानदार जीत हासिल की थी. यह लोकसभा चुनाव डिंपल के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है.
बारामती: सुप्रिया सुले Vs सुनेत्रा पवार
महाराष्ट्र के बारामती में, सभी की निगाहें पवार परिवार की दरार पर हैं. एनसीपी के शरद पवार गुट की सुप्रिया सुले और उनके चचेरे भाई अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के बीच मुख्य टकराव है. सबकी निगाहें ननद-भाभी पर लगी हुई हैं. साल 2009 के बाद से, शरद पवार की बेटी और मौजूदा सांसद सुप्रिया सुले बारामती से लगातार जीत हासिल करती रही हैं. बारामती लंबे समय से शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी का गढ़ रहा है, जिसका इतिहास 1967 में उनके विधायक बनने से जुड़ा है. बाद के लोकसभा चुनावों में, उनके समर्थित उम्मीदवार बारामती में जीते, जिसमें 1991 में अजित की जीत भी शामिल है.
शिवमोग्गा: बीवाई राघवेंद्र Vs गीता शिवराजकुमार Vs केएस ईश्वरप्पा
कर्नाटक के शिवमोग्गा लोकसभा क्षेत्र में, निलंबित बीजेपी नेता केएस ईश्वरप्पा एक निर्दलीय के रूप में, पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे, मौजूदा सांसद बीवाई राघवेंद्र और कांग्रेस उम्मीदवार गीता शिवराजकुमार को चुनौती दे रहे हैं. गीता कन्नड़ सुपरस्टार शिव राजकुमार की पत्नी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे सारेकोप्पा बंगारप्पा की बेटी हैं.
आठ विधानसभा क्षेत्रों वाले इस संसदीय क्षेत्र में 2009 से येदियुरप्पा परिवार का कब्जा रहा है. 2009 के आम चुनावों में, बीवाई राघवेंद्र ने 4.82 लाख से ज्य़ादा वोटों के अंतर और 50.58 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी. साल 2014 में उन्होंने अपने पिता बीएस येदियुरप्पा के लिए सीट छोड़ दी थी, जिन्होंने 6 लाख से अधिक वोटों और 53.69 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी. साल 2019 में राघवेंद्र ने वापसी करते हुए 7.29 लाख से ज्यादा वोटों और 56.86 प्रतिशत वोट शेयर के साथ शानदार जीत हासिल की थी.
बरहामपुर: युसूफ पठान Vs अधीर रंजन चौधरी
पश्चिम बंगाल का बेरहामपुर लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ रहा है.अधीर रंजन चौधरी 1999 से इस सीट से जीतते आ रहे हैं, साल 2019 और 2014 दोनों लोकसभा चुनावों में, अधीर रंजन चौधरी ने टीएमसी उम्मीदवारों पर काफी अंतर से जीत हासिल की थी. 2024 के लोकसभा चुनावों में बरहामपुर में अधीर का मुकाबला बीजेपी के निर्मल कुमार साहा और टीएमसी के पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान के बीच है. अधीर रंजन 2009 से 2019 तक लगातार तीन बार बरहामपुर में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं.
विदिशा: शिवराज सिंह चौहान Vs भानु प्रताप शर्मा
मध्य प्रदेश के विदिशा में मामा और दादा के बीच मुकाबला है. 1967 के बाद से, जनसंघ का कब्जा मुख्य रूप से विदिशा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पर रहा. 1980 और 1984 में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. 1989 से विदिशा सीट पर लगातार बीजेपी ने जीत हासिल की. शिवराज सिंह चौहान, करीब दो दशकों के बाद इस सीट पर वापसी कर रहे हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस के श्री शर्मा से है, जो इस निर्वाचन क्षेत्र के इतिहास में एकमात्र कांग्रेस विजेता हैं. शिवराज को यहां के लोग प्यार से “मामाजी” कहते हैं. मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद से उनका रिश्ता यहां के लोगों संग और मजबूत हुआ है.
गुना: ज्योतिरादित्य सिंधिया Vs कांग्रेस के राव यादवेंद्र सिंह यादव
कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने के चार साल से ज्यादा समय बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. यह सीट उनके परिवार का ऐतिहासिक गढ़ रही है, जिसे वह पिछले चुनाव में हार गए थे. बीजेपी के टिकट पर वह इस सीट को फिर से हालिल करने के लिए तैयार हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस के टिकट पर गुना सीट जीती थी. इसके बाद, उन्होंने भारतीय जनसंघ और बाद में बीजेपी के साथ गठबंधन किया. उन्होंने पांच अतिरिक्त कार्यकाल तक इस निर्वाचन क्षेत्र की सेवा की, जिसमें 1967 में स्वतंत्र पार्टी के तहत एक कार्यकाल शामिल था. इसके बाद 1989 से 1998 तक वह चार बार बीजेपी के टिकट पर गुना से सांसद रहीं. इस चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधया का मुकाबला गुना में कांग्रेस उम्मीदवार राव यादवेंद्र सिंह यादव से है.
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