Yogi Sarkar के पांचवें बजट में सबके लिए होगा कुछ खास, परिवार के एक युवा को नौकरी देने की गारंटी
Yogi Sarkar:
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का पांचवां बजट पिछले चार बजट से बिल्कुल जुदा नजर आ सकता है। पिछले चार बजट हर वर्ष किसी न किसी खास सेक्टर पर फोकस रहे, लेकिन पांचवें बजट को हर किसी की उम्मीदों का गुलदस्ता साबित करने की तैयारी है। विभागों की शुरुआती बजट तैयारी से इसके संकेत मिलने शुरू हो गए हैं।
दरअसल, वित्तीय वर्ष 2021-22 में योगी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बजट होगा। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले के इस बजट को सबसे खास बनाने की कोशिश शुरू हो गई है। जानकार बताते हैं कि यह बजट एक नए रूप में सामने आ सकता है। इसमें हर गांव, घर, परिवार की बात होगी तो उद्यमी, किसान, महिला, नौजवान की भी चिंता नजर आएगी। व्यापारी और बेरोजगार के लिए कुछ खास होगा तो बेसहारा की सहारा बनने वाली कोई न कोई सौगात भी संभव है।
मसलन, बजट में हर गांव को डिजिटल बनाने का एलान हो सकता है तो हर गांव को सड़क से जोड़ने का एलान भी संभव है। हर गांव में बैंक खोलने की बात हो सकती है तो हर घर को भरपूर बिजली की सौगात भी संभव है। हर परिवार के एक युवक को रोजगार की गारंटी देने की तैयारी है तो हर पात्र को पेंशन सुनिश्चित करने का एलान भी संभव है।
हर उद्यमी के लिए उद्योग लगाना आसान बनाने के उपाय का एलान नजर आ सकता है तो हर व्यापारी को बेहतर कारोबारी माहौल की सौगात संभव है। हर किसान के लिए सरकारी दर पर उपज बेचना और भी आसान बनाने तथा हर खेत को पानी के लिए भी कोई सौगात नजर आ सकती है। नए बजट में हर महिला को सुरक्षा, हर जुल्मी को जेल और हर बच्चे को पौष्टिक भोजन जैसे एलान भी संभव है।विज्ञापन
पिछले चार बजट में इन बिंदुओं पर रहा है फोकस
– 2017-18 में किसानों की कर्जमाफी हुई और किसान केंद्र में थे।
– 2018-19 में इन्फ्रास्ट्रक्चर व छोटे-मझोले उद्योगों पर फोकस रहा। बुंदेलखंड व गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे का एलान हुआ।
– 2019-20 में महिलाओं और बेटियां रहीं। ‘कन्या सुमंगला योजना’ सबसे महत्वपूर्ण रही।
– 2020-21 में सरकार का फोकस युवाओं पर रहा। आधा दर्जन राज्य विश्वविद्यालयों व युवाओं को नौकरी व स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने से संबंधित कई एलान हुए।
तमाम सीमाओं में तैयार हो रहा पांचवां बजट
प्रदेश सरकार का पांचवां बजट तमाम तरह की सीमाओं में तैयार हो रहा है। कोविड-19 महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था काफी दबाव में है। संसाधनों की कमी है लेकिन वचनबद्ध खर्च बने हुए हैं। तमाम इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का एलान पूर्व के बजट में हो चुका है, उसके लिए संसाधन का प्रबंधन किया जाना है। सरकार पर ऋण दबाव बढ़ रहा है।
अगले वित्त वर्ष से विधायक निधि बहाल करनी होगी। एक वित्तीय वर्ष के लिए ही विधायक निधि स्थगित हुई थी। कर्मचारियों का डीए भी बहाल करना होगा। ऐसे में आगे खर्च और बढ़ेंगे तथा चुनावी बजट के लिए मंथन भी तेज होगा।