Mahakumbh 2025: साध्वी हर्षा रिछारिया और IIT बाबा के बीच क्या है कनेक्शन? जानिए हर एक बात
प्रयागराज:
Mahakumbh 2025: पूरे देश में इन दिनों महाकुंभ की धूम है. महाकुंभ में पहुंचे दो चेहरों की चर्चा इन दिनों पूरे देश में है. पहला नाम है IIT बाबा अभय सिंह (IIT BABA Abhay Singh) और दूसरा नाम है भोपाल की रहने वाली हर्षा रिछारिया (Sadhvi Harsha Riccharia) का. उनको कुंभ में सबसे सुंदर साध्वी कहा जा रहा है. हालांकि हर्षा खुद ये साफ कर चुकी हैं कि वह साध्वी नहीं हैं. सवाल ये है कि क्या IIT बाबा और हर्षा रिछारिया के बीच कोई कनेक्शन है.
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IIT बाबा और हर्षा रिछारिया के बारे में जानिए
- अभय सिंह हरियाणा के रहने वाले हैं
- उन्होंने मुंबई के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है
- अभय ने साइंस और टेक्नोलोजी की दुनिया को अलविदा कहकर वैराग्य का रास्ता चुना
- अभय सिंह महाकुंभ में IIT बाबा के नाम से फेमस हो गए हैं
- हर्षा रिछारिया का जन्म झांसी में हुआ, भोपाल में पली-बड़ी हैं
- हर्षा ग्लैमर की दुनिया का हिस्सा रह चुकी हैं
- हर्षा ने मॉडलिंग से लेकर एंकरिंग तक हर मंच तक अपनी छाप छोड़ी
- हर्षा महाकुंभ में सोशल मीडिया सेंसेशन बन गई हैं.
हर्षा और IIT बाबा के बीच क्या कनेक्शन?
हर्षा और आईआईटी बाबा के बीच एक अनोखा कनेक्शन सामने आया है. लोगों का ध्यान इस ओर खिंच रहा है. आईआईटी बाबा के इंस्टाग्राम अकाउंट पर 1 लाख 95 हजार के करीब फॉलोअर्स हैं. जब कि वह सिर्फ 40 लोगों को फॉलो करते हैं, जिनमें हर्षा रिछारिया भी शामिल हैं. वहीं हर्षा के फॉलोअर्स 16 लाख से ज्यादा हैं. बाबा हर्षा के पोस्ट को लाइक करने के साथ ही उन पर कमेंट भी करते हैं.
मैं साध्वी नहीं शिष्या हूं-हर्षा
सवाल ये है कि क्या ये कनेक्शन सोशल मीडिया तक ही सीमित है या दोनों के बीच कोई गहरी सांस्कृतिक या वैचारिक डोर है. ये सवाल इसलिए भी है कि जहां बाबा खुद को सत्य की खोज में बता रहे हैं और शादी और रिश्तों के सवाल पर चुप्पी साधी है तो वहीं हर्षा ने भी अब तक गुरु दीक्षा नहीं ली है. वह खुद को साध्वी कहलाना सही नहीं मानती हैं. NDTV के माइक पर उन्होंने खुद कहा है कि उनको साध्वी कहना सही नहीं है. उन्होंने इसके लिए कोई दीक्षा नहीं ली है. उनका कोई संस्कार भी नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि वह साधारण सी शिष्या हैं.
“भगवान से जुड़ने के लिए कुछ बुरा होना जरूरी नहीं”
हर्षा का कहना है कि लोग उनसे सवाल पूछ रहे हैं लेकिन उनको लगता है कि भगवान से जुड़ने के लिए या संस्कृति से जड़ने के लिए लाइफ में कुछ बुरा होना जरूरी नहीं है. कभी-कभी इंसान खुद इस ओर खिंचा चला जाता है. ये बातें सोशल मीडिया पर उनके जुड़ाव को और भी रोचक बनाती हैं. सवाल ये है कि ये क्या सिर्फ एक आध्यात्मिक सम्मान है या फिर इसके पीछे कुछ और भी है.