Mahakumbh Akhara Parishad Does Indian law not work in Akharas How do sadhus get punished


प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में मशहूर अभिनेत्री ममता कुलकर्णी चर्चा में बनी हुई हैं. बीते दिनों वह किन्नर अखाड़े में शामिल हुई थीं, जहां पट्टाभिषेक के बाद उन्हें किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की पदवी दी गई. हालांकि, विवाद खड़ा होने के बाद किन्नर अखाड़े के प्रमुख ऋषि अजय दास ने उन्हें पद से हटा दिया, साथ ही अखाड़े से भी बर्खास्त कर दिया. इसी तरह की कार्रवाई किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर भी हुई और उन्हें भी अखाड़े से अलग कर दिया गया. 

इस घटना के बाद लोग अखाड़ों के बारे में जानना चाहते हैं. कहते हैं कि अखाड़ों के अपने कायदे-कानून होते हैं और किसी भी संत की भूल पर सजा का भी प्रावधान है? ऐसे में सवाल यह है कि अखाड़ों में सजा कैसे दी जाती है? सजा कौन दे सकता है? सजा के प्रावधान क्या हैं? क्या अखाड़ों पर भारतीय कानून लागू नहीं होता है? आइए जानते हैं… 

कौन है सभी अखाड़ों का प्रमुख?

भारत में शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों के कुल 13 अखाड़ों को मान्यता प्राप्त है. इन सभी अखाड़ों के नियम अलग-अलग हैं और अखाड़ों से जुड़े सभी संन्यासियों को इन नियमों का पालन करना होता है. सभी अखाड़ों में आचार्य महामंडलेश्वर होते हैं, जिनका कर्तव्य कायदे-कानून का पालन करवाना होता है. हालांकि, अगर सभी 13 अखाड़ों की बात की जाए तो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद सबसे बड़ी संस्था है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी हैं. धार्मिक आयोजनों में साधु-संतों के बीच टकराव व अन्य मामलों में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है. 

कैसे मिलती है साधुओं को सजा?

महाकुंभ में सभी संन्यासियों व साधुओं के लिए नियम होते हैं. इन नियमों को तोड़ने वाले को अखाड़ा परिषद सजा देता है. अगर किसी साधु से छोटी चूक होती है तो साधुओं को गंगा में 108 डुबकी लगाने की सजा दी जाती है. इस दौरान साधुओं को आखाड़ा कोतवाल के साथ जाकर गंगा में डुबकी लगानी होती हैं और फिर भीगे कपड़ों में ही देवस्थान पर लौटना होता है और क्षमा मांगनी होती है. प्रसाद देकर उन्हें दोषमुक्त किया जाता है. 

कब लागू होता है भारतीय कानून

ऐसा नहीं है कि अखाड़े के संन्यासियों पर भारतीय कानून लागू नहीं होता है. साधुओं से धार्मिक गलतियों के लिए सजा का प्रावधान अखाड़ा परिषद ही करता है. हालांकि, आपराधिक मामलों में उस पर भारतीय न्याय संहिता के तहत ही धाराएं लागू होती हैं. हत्या या दुष्कर्म जैसे अपराध पर उसे अखाड़ा परिषद से निष्कासित कर दिया जाता है, जिसके बाद भारतीय संविधान के तहत उन पर कार्रवाई की जाती है. 

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