Mahakumbh Mela 2025 Ground Report: अखाड़ों के मुखिया कैसे बनते हैं संत,? क्या होता है पट्टाभिषेक? यहां जानिए सबकुछ



HYP 4864266 1734671376475 1 Mahakumbh Mela 2025 Ground Report: अखाड़ों के मुखिया कैसे बनते हैं संत,? क्या होता है पट्टाभिषेक? यहां जानिए सबकुछ

रजनीश यादव/प्रयागराज:  महाकुंभ 2025 के दौरान जहां देशभर के साधु संत- नागा सन्यासी गंगा यमुना के पवित्र संगम पर अपना तेज फैलाने, सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने एवं उसकी अच्छाइयों को लोगों तक पेश करने के लिए आ चुके हैं. इसमें सनातन धर्म से संबंधित प्रमुख 13 अखाड़े भी अपना अपना शिविर लगा चुके हैं. प्रत्येक अखाड़े में हजारों की संख्या में साधु सन्यासी होते हैं,  ऐसे में इसमें कुछ विशेष साधु संतों को विशेष जिम्मेदारी दी जाती है, इसके लिए उनका पट्टाभिषेक किया जाता है.

श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में हुआ पट्टाभिषेक

अखाड़े में संतों को विशेष जिम्मेदारी देते हुए उनका सम्मान के साथ फूल मालाओं से स्वागत किया जाता है. महाकुंभ के दौरान अखाड़े में सैकड़ों साधु-संतों का पट्टाभिषेक होता है.  इसके द्वारा उनको अखाड़े में एक विशेष सम्मान का दर्जा मिलता है.  श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाणी का कहना है कि जिस प्रकार राजाओं का राजतिलक होता है, उसी तरह संत परंपरा में भी पटाभिषेक होता है. इस प्रकार वह अपनी जिम्मेदारी का निर्माण करने के लिए तैयार होते हैं.

श्री राम नवमी दास बने मुखिया महंत
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की ओर से श्री रामनवमी दास को मुखिया महंत बनाया गया. जो उदासीन संप्रदाय के पश्चिमी पंगत के मुखिया महंत के तौर पर नियुक्त किए गए हैं. लोकल 18 से बात करते हुए श्री रामनवमी दास ने बताया कि श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्माण की ओर से हमें जो जिम्मेदारी मिली है इसका बखूबी पालन करेंगे एवं सनातन धर्म के हित में अखाड़े के हित में लगातार कार्य करेंगे.

ऐसे हुआ पट्टाभिषेक

मुखिया महंत पश्चिमी पंगत श्री रामनवमी दास के पट्टाभिषेक के समय श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाणी की ओर से साधु संतों ने इनका फूलमालों से स्वागत किया. वहीं चादर ओढ़ाकर सम्मान भी दिया. उदासीन परंपरा के संत ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि जिस तरह राजाओं का राज्याभिषेक होता है, ऐसे ही संत परंपरा में पट्टाभिषेक की परंपरा चलती है. इसके बाद वह मुखिया बनते हैं. चादरपोशी के बाद संत मुखिया महंत हो जाते हैं, जो पट्टाभिषेक परंपरा होती है.

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