Maharashtra Chunav: ‘इंडिया’ में बवाल, शिवसेना ठाकरे गुट ने इतनी सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया


महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो चुकी है. दोनों प्रमुख गठबंधनों इंडिया अलायंस और एनडीए के भीतर ही अभी सिर फुटौव्वल चल रहा है. सीट बंटवारें को लेकर दोनों प्रमुख गठबंधनों के सहयोगी दल बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं. इस बीच इंडिया अलायंस के भीतर से बवाल बाहर आ गया है. विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने राज्य की सभी 288 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. अंबादास दानवे के बयान से इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं होने की भनक लग रही है.

अंबादास दानवे ने कहा है कि सभी की मांगें चल रही हैं, योग्यता के आधार पर सीटों पर चुनाव लड़ने की चर्चा है, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो शिवसेना ने 288 सीटों की तैयारी की है, लेकिन हम इंडिया गठबंधन के तौर पर लड़ रहे हैं. अंबादास दानवे ने भी विश्वास व्यक्त किया है कि अनुरोधित सीटें आवंटित की जाएंगी. अंबादास दानवे धाराशिव में पत्रकारों से बात कर रहे थे.

अंबादास दानवे ने कहा कि संख्या का मुद्दा ही नहीं उठता. योग्यता मायने रखती है, नंबर ऊंचे, नीचे होंगे. इंडिया गठबंधन में यह मुद्दा महत्वपूर्ण नहीं होगा. फॉर्मूला यही रहता है कि जिसका जिस जगह काम अच्छा होगा, कार्यकर्ता अच्छे होंगे, नेतृत्व अच्छा होगा, वही उस जगह के लिए लड़ेगा. हम 288 सीटों के लिए तैयार हैं, लेकिन जब इंडिया अलायंस का गठन हो रहा है, तो सभी की सीटें साझा की जा रही हैं, यही तरीका होगा.

मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद
इससे पहले इंडिया गठबंधन में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर विवाद देखने को मिला था. इंडिया गठबंधन के कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे ने शरद पवार और कांग्रेस नेताओं के सामने यह पक्ष रखा कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा की जानी चाहिए. साथ ही, जिसके पास सबसे ज्यादा सीटें होंगी, वह मुख्यमंत्री बनेगा, इस फॉर्मूले को भी उद्धव ठाकरे ने खारिज कर दिया. उद्धव ठाकरे ने कहा था कि अगर सीटें ज्यादा आईं तो मैं मुख्यमंत्री बनूंगा, इसमें सहयोगी दलों के उम्मीदवारों की ही हार हुई है.

शरद पवार और कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद का चेहरा पहले से घोषित करने की मांग को खारिज कर दिया. शरद पवार ने साफ किया कि चुनाव नतीजे आने के बाद विधायकों की संख्या से तय होगी. इसके बाद कांग्रेस भी शरद पवार के साथ आ गई.



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