Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में अब पालक मंत्री पर झगड़ा, जानें किन नेताओं के बीच टक्कर, किनका भारी है पलड़ा
महाराष्ट्र में पालक मंत्री पदों के लिए शिवसेना और एनसीपी में खींचतान.पंकजा मुंडे और धनंजय मुंडे के बीच बीड़ जिले के लिए प्रतिस्पर्धा.चंद्रकांत पाटिल का नाम कोल्हापुर और पुणे के लिए चर्चा में.
महाराष्ट्र की महायुति सरकार में विभागों के बंटवारे के बाद अब पालक मंत्री (Guardian Minister) पद का इंतजार है. मंत्रालयों के बाद अब पालक मंत्री पद को लेकर भी एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के बीच खींचतान शुरू हो गई है. इसे लेकर कुछ जिलों में संघर्ष तेज होने की आशंका है.
महाराष्ट्र चुनाव में महायुति की तीन बड़ी पार्टियां बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी एक साथ आईं और विधानसभा में बड़ी सफलता हासिल की. इस जीत के बावजूद वहां कैबिनेट विस्तार में 16 दिन लग गए. इस कैबिनेट विस्तार में तीनों दलों के प्रमुखों को फूंक-फूंककर कदम रखना पड़ा. इस बीच शिवसेना और एनसीपी में नाराजगी भी देखने को मिली. अब वह मामला शांत हुआ, तो पालक मंत्री के पद को लेकर तीनों दल एक बार फिर गुत्थम-गुत्था होते दिख रहे हैं.
इन जिलों में पालक मंत्री पद को लेकर विवाद
पालक मंत्री पद के लिए बीड़ में कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है. यहां से आने वाली पंकजा मुंडे और धनंजय मुंडे दोनों भाई-बहन हैं. देवेंद्र फडणवीस सरकार में दोनों को ही मंत्री बनाया गया है. ऐसे में सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि इन दोनों में से किसे पालक मंत्री पद मिलेगा.
लंबे इंतजार के बाद महाड पोलादपुर के विधायक भरत गोगावले को मंत्री पद मिला, लेकिन अब रायगढ़ के संरक्षक मंत्री पद को लेकर विवाद छिड़ गया है. गोगावले ने पालकमंत्री पद पर दावा किया है. वहीं लगातार दूसरी बार मंत्री पद पर काबिज अदिति तटकरे भी पालक मंत्री पद की दौड़ में हैं.
अजित दादा का चंद्रकांत पाटिल से मुकाबला
सतारा में पालक मंत्री पद के लिए शंभुराज देसाई और पहली बार मंत्री बने शिवेंद्रराजे भोसले में कड़ी टक्कर है. चर्चा है कि कोल्हापुर के पालक मंत्री पद के लिए हसन मुश्रीफ के साथ-साथ प्रकाश अबितकर भी मजबूती से मैदान में उतर रहे हैं.
पालक मंत्री के लिए चंद्रकांत पटिल का नाम भी रेस में हैं. खास बात यह है कि चंद्रकांत के नाम की चर्चा सिर्फ कोल्हापुर के लिए नहीं है, बल्कि पुणे के पालक मंत्री पद के लिए भी उनके नाम की चर्चा है. लेकिन उनका मुकाबला सीधे अजित दादा से है.
क्या होता है पालक मंत्री?
महाराष्ट्र में ‘पालक मंत्री’ एक विशिष्ट पद होता है, जो राज्य सरकार की तरफ से हर जिले के लिए नामित किया जाता है. यह मंत्री उस जिले के प्रशासन और विकास कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है. यह पद राज्य में सुशासन सुनिश्चित करने और जिलों के समग्र विकास में सहायता करने के उद्देश्य से बनाया गया है.
पालक मंत्री का क्या-क्या काम?
जिले का प्रतिनिधित्व: पालक मंत्री अपने जिले में सरकार की योजनाओं और नीतियों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करता है.
समन्वय: जिलास्तरीय प्रशासन, जैसे जिला कलेक्टर, जिला परिषद, और अन्य सरकारी विभागों के साथ तालमेल बैठाने में मदद करता है.
विकास कार्यों की निगरानी: जिले में चल रहे विकास कार्यों, परियोजनाओं और योजनाओं की समीक्षा और प्रगति पर नजर रखता है.
समस्याओं का समाधान: जिले में जनता से जुड़ी समस्याओं को समझने और उनका समाधान निकालने में भूमिका निभाता है.
विशेष अधिकार: प्राकृतिक आपदाओं या अन्य आपात स्थितियों में जिले के राहत और बचाव कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने की जिम्मेदारी.
पालक मंत्री बनाने का मकसद
पालक मंत्री की नियुक्ति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य सरकार की योजनाएं और नीतियां हर जिले में प्रभावी तरीके से लागू हों. यह व्यवस्था जिलों के बीच असंतुलन को कम करने और विकास में तेजी लाने के लिए की जाती है.
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FIRST PUBLISHED : December 24, 2024, 05:01 IST