Making Process Of Cricket Leather Ball Used In Ipl 2023 And All Other Cricket Matches Watch Video
Cricket Ball Making Process: क्रिकेट को दुनियाभर के देशों में पसंद किया जाता है. भारत में तो इस खेल के चाहने वालो की भरमार है. शहरों और गांवों की गली-मोहल्लों तक में यह खेल अपनी जगह बना चुका है. क्रिकेट शुरुआत से ऐसा नहीं था जैसा आज हम सबके सामने है. समय के साथ इसमें भी काफी बदलाव हुए हैं. आज से लगभग 300 साल पहले क्रिकेट में कपड़े या ऊन से बनी गेंद इस्तेमाल होती थी. वहीं, आज कॉर्क या लेदर की बॉल का इस्तेमाल होता है. आपने न जाने कितने क्रिकेट मैच देखे होंगे, लेकिन क्या कभी सोचा है मैच में इस्तेमाल होने वाली लेदर की बॉल बनती कैसे है?
मशीन से लेकर कलाकारी का होता है इस्तेमाल
फिलहाल क्रिकेट मैच में जिस गेंद का इस्तेमाल किया जाता है, वो लेदर की बनी होती है. आमतौर पर यह लगभग 160 ग्राम वजनी होती है. देश में क्रिकेट की गेंद अधिकतर उत्तरप्रदेश के मेरठ और पंजाब के जालंधर में बनाई जाती हैं. गेंद को बनाने में मशीन से लेकर हाथों की कलाकारी तक का इस्तेमाल होता है.
क्रिकेट की गेंद में किस मैटेरियल का होता है इस्तेमाल?
क्रिकेट की गेंद बनाने से के लिए सबसे पहले कॉर्क को गेंद के आकार के सांचे में रखकर गोल आकार में ढाल लिया जाता है. कॉर्क (Cork) एक प्रकार से पेड़ों की छाल होती है. इसके लिए ज्यादातर ओक (Oak) के पेड़ों का इस्तेमाल किया जाता है. कॉर्क को सांचे में ढालकर गेंद बनाने के बाद इस पर लेदर की परत चढ़ाने का काम होता है. इसके लिए पहले लेदर को सुखा लिया जाता है, जिसके बाद गेंद के साइज के मुताबिक लेदर के छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं.
The process of making a cricket ball 🏏#forward. pic.twitter.com/4WEyRsfOyb
— Nigel D’Souza (@Nigel__DSouza) May 24, 2023
ऐसे होता है सही गेंद का सिलेक्शन
गेंद को पूरी तरह से तैयार होने के लिए कई चरणों से गुजरना होता है, जिसमें नापतौल से लेकर कई तरह के परीक्षण शामिल होते हैं. लेदर चढ़ जाने के बाद उसकी हाथों से सिलाई की जाती है. गेंद का सिलेक्शन और रिजेक्शन उसकी बाहरी सिलाई पर ही निर्भर करता है. अगर बॉल 1400 पाउंड तक के वजन को झेल जाती है, तो इसे सही की श्रेणी में रखा जाता है. अगर बॉल इसे पहले या इतने वजन पर आकर बदल देती है तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है.
सबसे आखिर में चुनी गई सही गेंदों पर चमक के लिए पॉलिश और स्टैम्प का काम किया जाता है. उसके बाद इसे मार्केट में बिक्री के लिए भेज दिया जाता है.
यह भी पढ़ें – लाइट पॉल्यूशन क्या होता है? आखिर इससे कैसे होता है प्रदूषण और कैसे करता है नुकसान