Maldives President Mohamed Muizzu Won Control Of Parliament In Sunday Election – मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी की संसदीय चुनाव में भारी जीत, क्या ये भारत के लिए है झटका?


मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी की संसदीय चुनाव में भारी जीत, क्या ये भारत के लिए है झटका?

माले:

मालदीव (Maldives) के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muizzu)की पार्टी ने रविवार को हुए संसदीय चुनाव में भारी जीत हासिल की है. इसके साथ ही मुइज्जू ने संसद पर नियंत्रण हासिल कर लिया. मालदीव के चुनाव आयोग (Election Commission of Maldives) के इलेक्शन डेटा के मुताबिक, मुइज्जू की पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (PNC) ने घोषित पहली 86 सीटों में से 66 सीटें जीतीं. ये 93-सदस्यीय मजलिस या संसद में सुपर-बहुमत के लिए पहले से ही पर्याप्त से अधिक है. 

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मालदीव में रविवार सुबह 8 बजे से लेकर शाम 5:30 बजे तक मतदान हुआ. मालदीव के चुनाव आयोग के अनुसार, वोट देने के लिए योग्य 2,84,663 लोगों में से 2,07,693 लोगों ने वोट डाला. मत प्रतिशत 72 फीसदी रहा. मालदीव के रिसोर्ट, जेल और औद्योगिक द्वीपों पर भी वोट डाले गए. भारत में तिरुवनंतपुरम, श्रीलंका के कोलंबो, मलेशिया के कुआलालंपुर में भी मालदीव चुनाव के लिए वोट डाले गए. मालदीव में 93 संसदीय सीटों के लिए छह पार्टियों के 368 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. इनमें मुइज्जू की पार्टी पीपल्स नेशनल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी समेत 130 निर्दलीय उम्मीदवार भी शामिल हैं. 

मालदीव के मीडिया हाउस ‘द ए़डिशन’ के मुताबिक, ये चुनाव राष्ट्रपति मुइज्जू के 6 महीनों के कार्यकाल की परीक्षा थी. मुइज्जू सितंबर 2023 में ‘इंडिया आउट’ कैंपेन चलाकर देश के राष्ट्रपति बने. इसके बाद दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ते चले गए. मालदीव का विपक्ष भारत से अच्छे संबंध रखने की मांग करता है, जबकि सत्ताधारी गठबंधन विदेश नीति में भारत से ज्यादा चीन को तवज्जो देता है.

मालदीव की संसद में विपक्षी पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत था, जो भारत समर्थक मानी जाती है. यही वजह थी कि मुइज्जू को संसद में भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा था. अब संसदीय चुनाव में मुइज्जू की पार्टी की जीत भारत की चिंता बढ़ाने वाली है. आशंका है कि अब मालदीव में चीन का प्रभाव बढ़ सकता है, क्योंकि मुइज्जू की पार्टी का संसद में बहुमत होने के चलते सरकार को नीतिगत फैसले लेने में आसानी होगी.



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