mamta kulkarni changed her name after become sanyasi is it necessary to do it know the asnwer


Name Change Reason For Sanyasi: बॉलीवुड की एक समय की मशहूर अदाकारा ममता कुलकर्णी ने संन्यास धारण कर लिया है. प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ में ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर भी बनाया गया था. हालांकि विवाद उठने पर उन्हें इस पद से हटा दिया गया था. बॉलीवुड की पूर्व अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने संन्यास धारण करने के बाद अब अपना नाम भी बदल लिया.

संन्यास करने के बाद ममता कुलकर्णी से अब वह श्रीयामाई ममता नंद गिरि हो गईं हैं. कई लोगों के मन में यह सवाल भी आ रहा है क्या सन्यास धारण करने के बाद नाम बदलना जरूरी होता है. क्या इसे लेकर किसी तरह के नियम तय किए गए हैं. चलिए आपको बताते हैं इन सभी बातों का जवाब. 

जरूरी होता है संन्यास के बाद नाम बदलना

संन्यास का मतलब होता है सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर भगवान का निरंतर ध्यान करना. जीवन को शांतिपूर्ण तरीके से आध्यात्मिक बनाना. शास्त्रों के अनुसार संन्यास को जीवन की सर्वोच्च अवस्था माना गया है. इसीलिए जब कोई सन्यासी बनता है तो उसका नाम भी बदल जाता है. नाम बदलना है इस बात का प्रतीक भी होता है कि अब उस इंसान ने पुराने जो भी सांसारिक नाते रिश्ते थे वह सभी तोड़ दिए हैं.

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नया नाम नई दुनिया में नई पहचान का प्रतीक माना जाता है. इसीलिए ज्यादातर देखा गया है तमाम सन्यासियों के नाम उनके वास्तविक नामों से अलग होते हैं.  साधु-संन्यासियों में परंपरा बहुत पहले से चली आ रही हैं. यही कारण है कि ममता कुलकर्णी ने भी संन्यास लेने के बाद अपना नाम बदला. 

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इन वजहों से भी बदला जाता है नाम

सिर्फ सांसारिक बंधनों का त्याग करने के चलते ही नाम नहीं बदला जाता. बल्कि इसके और भी कारण होते है. किसी भी सन्यासी का जब नाम बदल जाता है. तो उसका नया नाम अध्यात्म को समर्पित होता है और उसके आध्यात्मिक लक्ष्य और दर्शन का प्रतीक होता है. संन्यास लेने के बाद कोई खुद से अपना नाम नहीं बदल सकता.

बता दें गुरू से दीक्षा लेने के बाद गुरु द्वारा ही नया नाम दिया जाता है. गुरु द्वारा दिया गया यह नाम गुरु के प्रति समर्पण और आशीर्वाद का एक प्रतीक भी माना जाता है. हालांकि आपको बता दें इसे लेकर किसी तरह का कोई कानून नियम नहीं है. 

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