Mamta Kulkarni Mahamandaleshwar controversy Can a man also join the kinnar akhada Mahakumbh


Mamta Kulkarni Mahamandaleshwar: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ से पिछले दिनों सामने आई एक तस्वीर ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था. यह तस्वीर थी फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी की. इन तस्वीरों के जरिए खबर आई कि ममता कुलकर्णी ने संन्यास ले लिया है और वह किन्नर अखाड़े में शामिल हो गई हैं. इतना ही नहीं उन्हें किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर की पदवी भी दी गई. 

ममता कुलकर्णी को यह पद किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने दिया. इसके साथ ही उन्होंने ही ममता कुलकर्णी को उनका नया नाम यमाई ममता नंद भी दिया. बस इसी के बाद विवाद शुरू हो गया और इस बात पर बहस शुरू हो गई कि ममता कुलकर्णी को किन्नरअखाड़े का महमंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है. इस बीच खबर है कि किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और ममता कुलकर्णी को महामंडेश्वर के पद से हटा दिया है. अब सवाल यह है कि जिस तरह ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़े में शामिल हुईं, वैसे ही क्या कोई पुरुष भी इस अखाड़े में शामिल हो सकता है? 

बहुत महत्वपूर्ण होता है महामंडलेश्वर का पद

बता दें कि किसी भी अखाड़े में महामंडलेश्वर का पद काफी महत्वपूर्ण होता है. सनातन धर्म में शंकराचार्य का पद सबसे बड़ा माना जाता है. इसके बाद दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक पद महामंडलेश्वर का पद होता है. यहां तक कि चांदी के सिंहासन पर महामंडलेश्वर की सवारी निकलती है. ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े में यही पद दिया गया है, उनका काम समाज को अध्यात्म और धर्म के अनुसार मार्गदर्शन देने का है. 

कौन हो सकता है शामिल?

किन्नर अखाड़े में शामिल होने के लिए किन्नर होना जरूरी नहीं है. कई LGBT संत भी इस अखाड़े से जुड़े हैं. इसके अलावा कोई भी सामान्य स्त्री या पुरुष भी इस अखाड़े से जुड़ सकता है और संन्यास का मार्ग अपना सकता है. सीधे शब्दों में कहें तो वह व्यक्ति को सनातन धर्म और किन्नरों में आस्था रखता हो, वह इस अखाड़े से जुड़ सकता है. बता दें, किसी को भी महामंडलेश्वर की उपाधि देने से पहले कई योग्यताएं देखी जाती हैं. महामंडेश्वर बनने के लिए शास्त्री या आचार्य होना जरूरी है. व्यक्ति ने वेदांत की शिक्षा ली हो. किसी ऐसे मठ से जुड़ा हो जहां जनकल्याण के काम होते हैं. इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति पहले से संन्यासी जीवन बिना रहा है और अखाड़े के नियमों पर खरा उतरता है, तो उसे भी महामंडलेश्वर बनाया जा सकता है. 

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