manikarnika ghat india biggest crematorium where pyres keep burning all the time know the story
Manikarnika Ghat: हिंदू धर्म में जब किसी की मृत्यु होती है. तब उसका अंतिम संस्कार किया जाता है. मृत शरीर रीति रिवाजों के साथ आग के हवाले कर दिया जाता है. जहां यह पूरी प्रक्रिया की जाती है. उसे शमशान घाट कहा जाता है. भारत के सभी शहरों में आपको शमशान घाट मिल जाएंगे, कहीं पर छोटे तो कहीं बड़े. लेकिन अगर बात भारत के सबसे बड़ा श्मशान घाट की जाए तो वह है बनारस में.
जिसे मणिकर्णिका घाट कहा जाता है. यह भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा श्मशान घाट है. यहां एक दिन में 300 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. यह भारत का इकलौता ऐसा शमशान घाट है. जहां हर वक्त चिताएं जलती रहती हैं. चलिए आपको बताते हैं मणिकर्णिका घाट की कहानी.
भारत का सबसे बड़ा शमशान घाट
बनारस जिसे काशी और वाराणसी के नाम से भी जाना जाता है. यह भारत का सबसे पुराना शहर है. माना जाता है कि अब से करीब 5000 साल पहले वाराणसी की स्थापना की गई थी. तो वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि यह शहर 3000 साल पुराना है. बनारस में कुल 84 घाट है. जिनमें सबसे बड़ा घाट है मणिकर्णिका घाट.
यह भारत का सबसे बड़ा श्मशान घाट है. यहां एक दिन में 300 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. मणिकर्णिका घाट के बारे में कहा जाता है कि यहां जिसका अंतिम संस्कार होता है. उसकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. और यही वजह है कि भारत के दूर दराज के इलाकों से भी बहुत से लोग अपने आखिरी समय के लिए यहां आने की ख्वाहिश रखते हैं.
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हर वक्त जलती रहती हैं चिताएं
मणिकर्णिका घाट भारत ही नहीं दुनिया का इकलौता ऐसा घाट है. जहां हर वक्त चिताएं जलती रहती हैं. चाहे दुनिया में कुछ भी होता रहे लेकिन मणिकर्णिका घाट पर 24 घंटे कहीं न कहीं कोई चिता जलती रहती है. मणिकर्णिका घाट पर हर वक्त चिता जलने को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं. एक पौराणिक कहानी के मुताबिक कहा जाता है कि मणिकर्णिका घाट को माता पार्वती ने श्राप दिया था कि यहां कि आग कभी नहीं बुझेगी.
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कहानी के मुताबिक एक बार माता पार्वती जी इसी जगह स्नान कर रही थी. तभी उनके कान की बाली यहां मौजूद कुंड में गिर गई. उस बाली में मणि भी लगी थी. इस बाली को ढूंढने काफी प्रयास किया गया था. लेकिन वह नहीं मिल सकी. बाली नहीं मिली तो माता पार्वती को काफी गुस्सा आ जाता है.
इसीलिए उन्होंने इस जगह को श्राप दे दिया कि मेरी मणि नहीं मिली, ये स्थान हमेशा जलता रहेगा. और यह वजह है कि यह हर वक्त चिताएं जलती रहती हैं. कहानी के मुताबिक कहा यह भी जाता है कि यही वजह है कि इस जगह का नाम मणिकर्णिका रखा गया था.
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