Manmohan Singh and Pakistan connection Pakistan preserved these things of Manmohan Singh this building was named after him


देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब इस फानी दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. उन्होंने 26 दिसंबर की रात दिल्ली स्थित एम्स में अंतिम सांस ली. वह 92 साल के थे. क्या आपको पता है कि आजादी से पहले मनमोहन सिंह पाकिस्तान में रहते थे और बंटवारे के दौरान उनका परिवार अमृतसर आ गया था. हालांकि, पाकिस्तान ने उनकी कई चीजों को अब तक सहेजकर रखा है. साथ ही, एक इमारत भी उनके नाम पर कर रखी है. आइए आपको पूरी लिस्ट से रूबरू कराते हैं.

पाकिस्तान में कहां रहते थे मनमोहन सिंह?

बता दें कि मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 के दिन पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में आने वाले गाह गांव में हुआ था. बंटवारे के बाद यह हिस्सा पाकिस्तान में चला गया. इसी गांव के प्राइमरी स्कूल में मनमोहन सिंह ने 1937 से 1941 तक पढ़ाई की थी. वह चौथी क्लास तक इसी स्कूल में पढ़े थे, जिसके बाद उनका परिवार भारत आ गया.

भारत कब आया था मनमोहन सिंह का परिवार?

जब देश में बंटवारे को लेकर बवाल शुरू हुआ तो मनमोहन सिंह का पूरा परिवार गाह गांव वाला घर छोड़कर अमृतसर आ गया था. जब वह भारत के प्रधानमंत्री बने थे, तब उन्होंने एक बार पाकिस्तान जाने की इच्छा जाहिर की थी, जिसका जिक्र राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने अपनी किताब Scars Of 1947: Real Partition Stories में किया था. 

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अधूरी रह गई मनमोहन सिंह की यह इच्छा?

राजीव शुक्ला की किताब के मुताबिक, डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि वह भी पाकिस्तान में अपने गांव जाना चाहते हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अपना घर देखना चाहते हैं तो मनमोहन सिंह का जवाब था कि मेरा घर तो बहुत पहले ही खत्म हो गया था. मैं सिर्फ वह स्कूल देखना चाहता हूं, जहां मैंने कक्षा चार तक पढ़ाई की थी. हालांकि, प्रधानमंत्री पद के कार्यकाल और उसके बाद भी वह पाकिस्तान नहीं जा पाए.

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पाकिस्तान ने आज भी सहेजकर रखी हैं मनमोहन की ये चीजें

मनमोहन सिंह 2004 में भारत के पहले गैर हिंदू प्रधानमंत्री बने थे. इसके बाद पाकिस्तान स्थित उनका गाह गांव सुर्खियों में आ गया था. ऐसे में पाकिस्तान के पंजाब की सरकार ने 2007 में गाह गांव को आदर्श गांव बनाने का ऐलान किया था. वहीं, जिस स्कूल में मनमोहन सिंह ने पढ़ाई की थी, उसका नाम भी मनमोहन सिंह गवर्नमेंट बॉयज प्राइमरी स्कूल रख दिया गया था. बताया जाता है कि इस स्कूल में मनमोहन सिंह के पंजीकरण रिकॉर्ड से लेकर रिजल्ट के रिकॉर्ड आज तक सहेजकर रखे गए हैं. अहम बात यह है कि गाह गांव के लोग भी मनमोहन सिंह को बेहद याद करते हैं. उनके निधन की जानकारी मिलने के बाद गांव में शोक है. गांव के लोगों का कहना है कि मनमोहन सिंह की वजह से उनका गांव आदर्श गांव की लिस्ट में आ सका और उसका विकास हो पाया.

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