Mauni Amavasya 2025 Muhurat: सिद्धि योग में मौनी अमावस्या आज, पंडित जी से जानें अमृत स्नान, दान, पितरों के लिए तर्पण, पूजा विधि, देखें मुहूर्त


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Mauni Amavasya 2025 muhurat: मौनी अमावस्या आज 29 जनवरी को है.मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान करने मात्र से ही भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. आज पितरों के लिए तर्पण और दान जरूर करना चाहिए. तिरुपति के ज्योतिष…और पढ़ें

मौनी अमावस्या आज, जानें अमृत स्नान, दान, तर्पण, पूजा विधि, देखें मुहूर्त

मौनी अमावस्या 2024 मुहूर्त.

हाइलाइट्स

  • मौनी अमावस्या 29 जनवरी को है.
  • संगम में स्नान से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.
  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का समय 05:03 से 05:55 ए एम है.

मौनी अमावस्या का पावन पर्व आज 29 जनवरी को है. इस दिन प्रयागराज महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी है. मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान करने मात्र से ही भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. जो लोग मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करते हैं, उनके पाप मिट जाते हैं, मां गंगा की कृपा से व्यक्ति को जीवन के अंत में मोक्ष मिल जाता है. इस दिन आपको आस्था की पवित्र डुबकी लगाने के साथ ही पितरों के लिए तर्पण और दान जरूर करना चाहिए. मौनी अमावस्या के दिन सिद्धि योग के साथ उत्तराषाढा नक्षत्र है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त, स्नान, दान, पितरों के लिए तर्पण और पूजा विधि के बारे में.

मौनी अमावस्या 2024 मुहूर्त
मौनी अमावस्या की तिथि का प्रारंभ: 28 जनवरी, मंगलवार, शाम 7:35 बजे से
मौनी अमावस्या की तिथि का समापन: 29 जनवरी, बुधवार, शाम 6:05 बजे पर
सूर्योदय का समय: प्रात: 07:11 बजे

मौनी अमावस्या: कब करें अमृत स्नान और दान
मौनी अमावस्या के दिन आपको अमृत स्नान, दान और तर्पण के लिए ब्रह्म मुहूर्त सबसे उत्तम होता है. शास्त्रों के आधार पर ब्रह्म मुहूर्त तड़के 03:30 बजे से प्रात: 05:30 बजे तक माना जाता है. पंचांग के अनुसार कई बार इसमें बदलाव रहता है. मौनी अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त का समय 05:03 ए एम से 05:55 ए एम तक है. यह प्रयागराज का समय है.

यदि आप किन्हीं कारणों से ब्रह्म मुहूर्त में स्नान नहीं कर पाते हैं तो आपको शिव मुहूर्त प्रात: 06:00 बजे से 08:00 बजे तक और हरि मुहूर्त प्रात: 08:00 बजे से सुबह 10:00 बजे के बीच स्नान कर लेना चाहिए. ब्रह्म, शिव और हरि मुहूर्त में स्नान करने से सेहत अच्छी रहती है.

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ब्रह्म मुहूर्त में स्नान से आरोग्य, बल, विद्या, बुद्धि, सुख, शांति की प्राप्ति होगी, शिव और हरि मुहूर्त में स्नान से सफलता, सुख, शांति, धन, वैभव, आरोग्य आदि की प्राप्ति होती है. इस समय में आपको स्नान के बाद दान करना चाहिए.

मौनी अमावस्या पर तर्पण का समय
मौनी अमावस्या के दिन जब आप स्नान करते हैं, उसके बाद पूजन करके पितरों के लिए तर्पण दें. अपने पितरों का स्मरण करके जल लेकर काले तिल और कुशा की मदद से तर्पण दें. इससे आपके पितर तृप्त होंगे. वे खुश होकर आशीर्वाद देंगे. आपकी उन्नति होगी, पितृ दोष से मुक्ति मिलेगी.

मौनी अमावस्या पर स्नान की विधि
यदि आप प्रयागराज के संगम या गंगा में स्नान कर रहे हैं तो कम से कम 5 डुबकी लगाएं. पहली दो डुबकी पूर्व की ओर मुख करके, एक डुबकी उत्तर मुखी, एक डुबकी पश्चिम मुखी और एक डुबकी दक्षिण दिशा की ओर मुख करके लगाएं. इससे आपको देव, पितर, कुल देवता, सप्त ऋषि आदि सभी का आशीर्वाद प्राप्त होगा. आपके पाप मिटेंगे और आपके सभी कार्य सफल होंगे.

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यदि आप मौनी अमावस्या का स्नान घर पर कर रहे हैं तो पानी में गंगाजल मिला लें. उसमें काला तिल भी डाल लें. उसके बाद ही स्नान करें. आपको मां गंगा और तिल के उपयोग का लाभ प्राप्त होगा. गंगा कृपा से आपके पाप मिटेंगे.

मौनी अमावस्या पूजा विधि
1. मौनी अमावस्या को सबसे पहले स्नान कर लें. उसके बाद साफ वस्त्र पहनें.
2. इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. जल में लाल चंदन, लाल फूल, गुड़ आदि मिला लें.
3. अब आप गंगा मैया और भगवान विष्णु की पूजा करें. उनके लिए फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें.
4. इस पूजन के बाद पितरों को याद करके उनके लिए तर्पण करें.
5. अब आप अपनी क्षमता के अनुसार दान करें. आप अन्न, वस्त्र, गरम कपड़े, फल, काले तिल आदि का दान कर सकते हैं.
6. दान करने के बाद कुछ दक्षिणा अवश्य दें. जो आपकी श्रद्धा हो.

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