Mecca Pilgrims death Where are the last rites of dead pilgrims held


Mecca Pilgrims Death: मक्का में हज यात्रियों की मौत का आंकड़ा 600 पार जा चुका है. इनमें 90 भारत के हजयात्री भी शामिल हैं. हालांकि सबसे ज्यादा मिस्त्र के हजयात्रियों की मौतें हुई हैं. मक्का में 300 से ज्यादा मिस्त्र के और जॉर्डन के 60 हज यात्री मारे गए हैं. इन भीषण मौतों का कारण गर्मी को बताया जा रहा है. हज के लिए गए ये यात्री वहां का 52 डिग्री सेल्सियस तापमान सहन नहीं कर पाए.

हालांकि कि बिना रजिस्ट्रेशन इतने ज्यादा तादाद में हज यात्रियों का पहुंचना भी इसकी एक वजह बताई जा रही है. इस बीच सवाल ये उठता है कि हज यात्रा में जब किसी यात्री की मौत होती है तो ये पता कैसे लगाया जाता है कि वो यात्री किस देश का है और उनके अंतिम संस्कार के लिए क्या उनके शवों को उनके देश पहुंचाया जाता है? यदि नहीं तो फिर उनका अंतिम संस्कार कहां और कौन करता है?

भारत वापस आएंगे हज यात्रियों के शव?

बता दें कि ऐसी मामलों में सऊदी अरब के हज संबंधित कानून में साफतौर पर इस बात का जिक्र किया गया है कि यदि हज के दौरान किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसका शव उसके देश में नहीं भेजा जाता. बल्कि उसे सऊदी अरब में ही दफना दिया जाता है.

हज यात्रा की तैयारी करते वक्त हर व्यक्ति हज से संबंधित एक आवेदन पत्र पर साइन करता है, जिसमें लिखा होता है कि यदि सऊदी अरब की जमीन पर या आसमान में उसकी मौत होती है तो उसके शव को वहां दफना दिया जाएगा. उनके परिवार या फिर उसके परिजनों की भी किसी भी आपत्ति को स्वीकार नहीं की जाएगा. साफ शब्दों में कहें तो हज यात्रा के दौरान जिस भी व्यक्ति की मौत होती है उसे उसके देश वापस नहीं भेजा जाता, भले ही उस व्यक्ति का परिवार भी क्यों न उसका शव ले जाना चाहे.

मक्का में मरना माना जाता है पवित्र?

दरअसल मुस्लिम धर्म में मक्का को सबसे पवित्र जगह माना जाता है. मुस्लिम समाज के बीच मक्का और मदीना को लेकर ये मान्यता है कि यहां की मिट्टी में दफन होना उनके लिए सौभाग्य जैसा है. कई लोग जब हज पर जाते हैं तो इस बात की ख्वाहिश भी करते हैं कि यदि मौत आए तो इस यात्रा के दौरान ही आ जाए, ताकि मरने के बाद उनकी आत्मा को शांति मिले.

वहीं सवाल ये भी उठता है कि आखिर मरने वाले शख्स की पहचान कैसे होती है. तो बता दें कि सऊदी अरब की ओर से उन्हें एक कार्ड दिया जाता है, जिसे यात्रा के दौरान वो गले में पहनते हैं. साथ ही उन्हें हाथ में पहनने के लिए एक ब्रेसलेट भी दिया जाता है जिसमें उनकी सारी जानकारी होती है. इसी से उनकी पहचान भी होती है.

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