Meerut: 14 साल के शौर्य के आगे पस्त हुआ ईरान, विश्व चैंपियनशिप में हासिल किया गोल्ड मेडल


अक्सर देखा जाता है कि बचपन में बच्चों की शैतानियाँ धीरे-धीरे बढ़ती चली जाती हैं. कई बार बच्चे आसपास झगड़ा भी करते हुए दिखाई देते हैं, जिससे माता-पिता चिंतित रहते हैं. लेकिन अगर बच्चों को सही दिशा दिखाई जाए, तो वही बच्चा अपने हुनर का बखूबी इस्तेमाल करते हुए माता-पिता का नाम गर्व से रोशन कर सकता है. हम यह बात इसलिए कह रहे हैं कि मेरठ के मोहकमपुर में रहने वाले शौर्य ने भी कुछ इसी तरह की शैतानियों के बदौलत विश्व अंडर-14 चैंपियनशिप में ईरान के खिलाड़ी को चित कर गोल्ड मेडल हासिल किया है. लोकल-18 की टीम ने वुशु खिलाड़ी शौर्य प्रजापति और उनके परिवार से खास बातचीत की.

शौर्य की शैतानियों ने दिलाई जीत
वुशु खिलाड़ी शौर्य ने लोकल-18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि बचपन में उनकी शैतानी इतनी थी कि वह आसपास के बच्चों को पीटकर घर आ जाते थे. बच्चे उनकी शिकायत लेकर घर आते थे, जिससे माता-पिता काफी परेशान हो गए थे. लेकिन उनकी ताई ने उन्हें सही दिशा दिखाने के लिए वुशु में एडमिशन दिलाने के लिए कैलाश प्रकाश स्टेडियम भेज दिया. इसके बाद वहीं से उनका प्रशिक्षण शुरू हुआ. जिला, स्टेट, नेशनल सहित विभिन्न प्रतियोगिताओं को जीतने के बाद उन्होंने इंडोनेशिया में आयोजित अंडर-14 चैंपियनशिप में ईरान के खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल हासिल किया और भारत का नाम रोशन किया.

वुशु चैंपियनशिप में शौर्य ने किया कमाल
कैलाश प्रकाश स्टेडियम में युवाओं को वुशु खेल में प्रशिक्षण देने वाली कोच नेहा कश्यप ने बताया कि जब शौर्य का एडमिशन कराया गया था, तब शौर्य की तेजी देखकर उन्हें लगा कि वह अपनी ऊर्जा का सही उपयोग करते हुए इस खेल में सफलता हासिल करेगा. नेहा कश्यप ने कहा कि अंडर-14 विश्व चैंपियनशिप में चीन और ईरान के खिलाड़ी सबसे अधिक बेईमानी करते हैं. लेकिन शौर्य ने जिस तरह से ईरान के खिलाड़ी को फाइनल में हराकर चैंपियनशिप जीती, वह एक नया रिकॉर्ड है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शौर्य पहले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अंडर-14 में ईरान को हराकर यह सफलता हासिल की है. अगर शौर्य इसी गति से आगे बढ़ते रहे, तो निश्चित ही वुशु खेल में नया कीर्तिमान स्थापित करेंगे.

आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद शौर्य ने हासिल की सफलता
शौर्य की माँ बताती हैं कि उनके पति पैरालाइज हैं. ऐसे में घर खर्च चलाने में आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था, इसलिए उन्होंने भी नौकरी शुरू की. उन्होंने अपने बेटे के खेल में किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं आने दी. शौर्य की माँ कहती हैं कि जहाँ वह काम करती हैं, वहाँ के लोग और शौर्य के ताऊ, चाचा समेत परिवार के अन्य सदस्यों ने भी भरपूर सहयोग किया, जिसकी बदौलत शौर्य ने यह मुकाम हासिल किया है. बताते चलें कि इंडोनेशिया के ब्रुनेई में आयोजित जूनियर विश्व वुशु के बालक वर्ग में चौदह वर्षीय शौर्य ने ईरान के खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल हासिल किया. इस प्रतियोगिता में 22 देशों के वुशु खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें शौर्य ने यह कीर्तिमान हासिल किया है.

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