Misleading Advertising Case: Court Terms IMA Chiefs Comments On Supreme Court Unacceptable – भ्रामक विज्ञापन मामला: न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट पर आईएमए प्रमुख की टिप्पणियों को ‘अस्वीकार्य’ बताया
विषय पर सुनवाई के कार्यक्रम से एक दिन पहले आईएमए प्रमुख द्वारा टिप्पणियां किये जाने पर, नाखुशी जताते हुए न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति एहसानुद्दीन अमानउल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा दायर अर्जी पर उनका जवाब मांगा.
पतंजलि की ओर से न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि उन्होंने अदालत से यह अनुरोध करते हुए एक अर्जी दायर की है कि आईएमए प्रमुख की ‘‘लापरवाह और अवांछित टिप्पणियों” का न्यायिक संज्ञान लिया जाए.
रोहतगी ने कहा, ‘‘यह एक बहुत गंभीर मुद्दा है. वे न्याय प्रक्रिया को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं…आपने एक-दो सवाल पूछे और देखा कि वे कैसे जवाब दे रहे हैं जैसे कि उनसे कोई कुछ नहीं पूछ सकता.”
रोहतगी ने कहा कि पिछली सुनवाई में, उन्होंने अखबारों में प्रकाशित साक्षात्कार का मूल पाठ अदालत को सौंपा था. पीठ ने आईएमए के वकील से कहा, ‘‘आप नहीं कह सकते कि आप नहीं जानते.”
बाद में सुनवाई के दौरान, जब आईएमए की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया पेश हुए, पीठ ने उनसे अशोकन की टिप्पणियों के बारे में पूछा. पीठ ने सवाल किया, ‘‘आपके (आईएमए) प्रमुख ने सुनवाई की पूर्व संध्या पर एक साक्षात्कार दिया. सुनवाई की पूर्व संध्या पर क्यों?”
पटवालिया ने कहा कि उन्हें (आईएमए प्रमुख को) प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) ने कई अन्य मुद्दों पर साक्षात्कार के लिए बुलाया था. उन्होंने कहा, ‘‘फिर क्या हुआ, मेरे मुताबिक यह एक मुख्य प्रश्न है और वह इसमें उलझ गए.”
न्यायमूर्ति अमानउल्लाह ने तीखे अंदाज में कहा कि एक चिकित्सक के साथ ऐसा कैसे हो सकता है. पीटीआई के कार्यक्रम ‘@4 पार्लियामेंट स्ट्रीट’ कार्यक्रम में इसके संपादकों के साथ एक साक्षात्कार में 29 अप्रैल को अशोकन ने कहा था कि यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण” है कि उच्चतम न्यायालय ने आईएमए और निजी चिकित्सकों की कुछ प्रैक्टिस की आलोचना की.
अशोकन ने कहा था कि ‘‘अस्पष्ट और सामान्यीकृत बयानों” ने निजी चिकित्सकों का मनोबल गिराया है. उन्होंने कहा था, ‘‘हमारा मानना है कि उन्हें इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि उनके समक्ष क्या सामग्री है. उन्होंने शायद इस बारे में विचार नहीं किया कि यह मुद्दा नहीं है जो अदालत में उनके समक्ष है.”
उन्होंने कहा था, ‘‘आप कुछ भी कह सकते हैं लेकिन फिर भी अधिकांश चिकित्सक कर्तव्यनिष्ठ हैं…नैतिकता और सिद्धांतों के अनुसार प्रैक्टिस करते हैं. उच्चतम न्यायालय को देश के चिकित्सा पेशे की आलोचना करना शोभा नहीं देता, जिसने आखिरकार कोविड के दौरान कई लोगों की जान कुर्बान कर दी.”
मंगलवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता, आईएमए प्रमुख प्रेस के पास गए और एक ऐसे विषय में बयान दिया जो न्यायालय के विचाराधीन है.
पीठ ने कहा, ‘‘आप उनमें से एक हैं जो अदालत आकर कहते हैं कि दूसरे पक्ष ने विज्ञापनों के जरिये लोगों को गुमराह किया, ऐसा कहकर अपनी चिकित्सा प्रणाली को कमतर कर रहे हैं. आप कर क्या रहे हैं? ”
पटवालिया ने जब कहा कि आईएमए प्रमुख असल में शीर्ष अदालत के आदेश की ‘‘सराहना” कर रहे थे, पीठ ने कहा, ‘‘हम नहीं चाहते कि कोई हमारी पीठ थपथपाए. हम केवल अपना काम कर रहे हैं.”
न्यायमूर्ति अमानउल्लाह ने कहा, ‘‘यह बहुत अस्वीकार्य है.” पीठ ने पटवालिया से कहा कि उनका जवाब न्यायालय को सहमत कर पाने में नाकाम रहा है.
पटवालिया ने कहा कि आईएमए प्रमुख को इसे लेकर अफसोस है और उन्हें एहसास हो गया है कि उन्हें अपना मुंह बंद रखना चाहिए.
पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद की अर्जी पर आईएमए प्रमुख को जवाब देने को कहा और विषय की अगली सुनवाई 14 मई के लिए निर्धारित कर दी.
शीर्ष अदालत 2022 में आईएमए द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कोविड टीकाकरण और आधुनिक चिकित्सा पद्धति एलोपैथी को बदनाम करने का अभियान चलाया गया.
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