MP News: आप तो नहीं आते स्टॉक मार्केट के मुनाफे के चक्कर में, यहां इस साल लोग गंवा चुके 41 करोड़ रुपये, कैसे हुआ फ्रॉड


भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल साइबर जालसाजों का गढ़ बन गया है. साइबर जालसाजी मामलों के आंकड़े इसी ओर इशारा कर रहे हैं. बदमाशों ने स्टॉक मार्केट में भारी मुनाफे का लालच देकर सैकड़ों लोगों को फंसाया. उन्होंने नकली ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म बनाए और लोगों को अपना शिकार बनाया. एक आंकड़े के मुताबिक, एक जनवरी से लेकर अगस्त तक बदमाशों ने भोपाल के लोगों को 41 करोड़ रुपये का चूना लगाया है. जालसाजी का पता चलने के बाद ये लोग अब पुलिस के चक्कर काट रहे हैं. पुलिस ने भी लोगों को मुनाफे के लालच में न आने की अपील की है.

लगातार बढ़ते अपराध देखकर साइबर पुलिस ने मामलों का डाटा इकट्ठा किया है. उसके मुताबिक जनवरी से अगस्त तक बदमाशों ने रोज करीब 17 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी की है. अलग-अलग मामलों का ये डाटा बताता है कि ऑनलाइन फ्रॉड के 90 फीसदी मामले में लोगों को स्टॉक मार्केट में मुनाफा दिखाकर लूटा गया है. भोपाल से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, भोपाल की साइबर क्राइम ब्रांच को इस ठगी की 180 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं. साइबर अपराधियों ने वॉट्सएप और टेलीग्राम एप का इस्तेमाल कर नकली ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म बनाए और लोगों को करोड़ों का चूना लगाया.

इस बात का फायदा उठाते हैं अपराधी
साइबर पुलिस का कहना है कि अपराधी लोगों की लालच का फायदा उठाते हैं. क्राइम ब्रांच के अधिकारियों का कहना है कि अपराधी लोगों के दिमाग के साथ खेलता है. वह जानता है कि लोग उसके मैसेज की अवहेलना नहीं करेंगे. इसलिए वे लोगों को ठगने के लिए किसी एडवांस तकनीक का इस्तेमाल नहीं करते. वे सामान्य तरीके से ही उन्हें ठग लेते हैं. वे उनका मोबाइल भी हैक नहीं करते. जब कोई उनके जाल में फंस जाता है तो वे उससे पैसा ट्रांसफर करवाकर गायब हो जाते हैं.

इस तरह होता है फ्रॉड
अधिकारी बताते हैं कि साइबर अपराधी उन लोगों की तलाश में रहते हैं जो रुपयों का कहीं निवेश करना चाहते हैं. इसके बाद अपराधी निवेश के नकली प्लेटफॉर्म बनाते हैं और पीड़ित को सोशल मीडिया के जरिये संपर्क करते हैं. वे खुद को बड़ी कंपनियों का प्रतिनिधि बताते हैं. वे पीड़ित के साथ इस कदर पेश आते हैं कि उन पर शक नहीं किया जा सकता. पीड़ितों को अन्य सोशल मीडिया से भी जोड़ा जाता है. यहां सैकड़ों लोग अपने-अपने मुनाफे को शेयर करते हैं. इसके बाद वे नकली प्लेटफॉर्म पर उसका अकाउंट बनवाते हैं. इसके बाद पीड़ित जब उसमें रुपये जमा करता है तो उसे अमेरिकी डॉलर में बदल दिया जाता है. उसके बाद इन रुपयों को क्रिप्टोकरेंसी में बदला जाता है, और आखिरकार इस रकम को चीन, दुबई होंगकॉन्ग जैसे अंतरराष्ट्रीय शहरों में निकाल लिया जाता है.

FIRST PUBLISHED : September 12, 2024, 11:12 IST



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