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MSP Row: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार (7 जून) को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में धान, मूंग और अरहर सहित अन्य खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने का ऐलान किया गया. दूसरी तरफ किसानों ने मंगलवार(6 जून) को कुरुक्षेत्र के शाहबाद के पास नेशनल हाईवे को बीकेयू (चारुनी) के प्रमुख गुरनाम सिंह चारुनी के कहने पर जाम कर दिया. किसान मांग कर रहे हैं कि सरकार एमएसपी पर सूरजमुखी बीज की खरीद करे. इस बीच एमएसपी के मुद्दे को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में जुबानी जंग शुरू हो गई है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों को लेकर झूठे किए. इस पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार में केवल 5 से 10 रुपये प्रति क्विंटल एमएमसी बढ़ता था. वहीं भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार (7 जून) को कहा कि अब निरस्त किए जा चुके कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन एमएसपी पर कानूनी गारंटी के लिए शुरू करना होगा.
सरकार ने एमएमसी पर क्या कहा?
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि पहले एमएसपी का निर्णय सरकार की मर्जी पर निर्भर करता था और कांग्रेस की यूपीए सरकार में 5-10 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर सरकार अपनी वाहवाही कराती थी. पीएम नरेंद्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री है जिन्होंने किसान की फसल पर आने वाली लागत में 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर एमएसपी निर्धारित करने का फैसला किया.
कांग्रेस ने क्या आरोप लगाए?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘मोदी सरकार ने देश के किसानों से 2 वादे किये थे, एमएसपी को ‘‘लागत+50 प्रतिशत मुनाफा’’ पर निर्धारित करना, 2022 तक देश के किसानों की आय दोगुनी करना, दोनों वादे सरासर झूठे निकले! खरीफ़ फसल पर एमएसपी बढ़ाने का ढ़ोंग रचने वाली प्रचार लोभी मोदी सरकार, एमएसपी पर फ़सल ख़रीदती ही नहीं है.’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘खेती के बजट में कटौती हुई ! किसान सम्मान निधि में से 2 करोड़ किसानों का नाम हटाया ! एक लाख करोड़ रुपये के कृषि अवसंरचना कोष की घोषणा कर के उसमें 3 सालों में केवल 12,000 रुपये करोड़ ही दिए . मोदी सरकार के 9 साल, देश के 62 करोड़ किसानों के लिए अभिशाप बन गये हैं.’’
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने भी ये बात दोहरोते हुए कहा, ”ना लागत + 50 फीसदी मुनाफा. ना एमएसपी पर खरीद हुई. ना दोगुनी आय हुई. बीजेपी सरकार के नौ सालों में किसानों को चुनाव में जुमले, पीठ पर लाठी और पेट पर लात के सिवाए क्या मिला?” वहीं कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी मंत्र है कि एमएसपी घोषित करो लेकिन एमएसपी दो मत. साल 2022-23 में फसल उपज और फसल खरीद के तथ्य इस बात को उजागर करते हैं कि किसान को एमएसपी नहीं मिलेगा. मोदी जी, जब एमएसपी देनी ही नहीं तो कागज़ पर घोषित करके वाहवाही क्यों लूटना?
प्रदर्शनकारी किसान क्या कह रहे हैं?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कुरुक्षेत्र में प्रदर्सनकारी किसानों ने दावा किया कि सरकार एमएसपी पर सूरजमुखी बीज नहीं खरीद रही है, और इसके चलते उन्हें अपनी उपज निजी खरीदारों को 6,400 रुपये एमएसपी के मुकाबले लगभग 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. चारूनी ने कहा कि सरकार को सूरजमुखी बीजों की खरीद 6,400 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी पर करनी चाहिए.
किन फसलों पर एमएसपी बढ़ी?
केंद्र सरकार ने धान का एमएसपी 143 रुपये बढ़ाकर 2,183 रुपये प्रति क्विंटल करने की बुधवार को घोषणा की. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक साल 2023-24 के लिए मक्का का एमएसपी 6.5 प्रतिशत बढ़कर 2,090 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है जबकि रागी का एमएसपी 7.49 प्रतिशत बढ़ाकर 3,846 प्रति क्विंटल कर दिया गया है.
इसके अलावा दालों में मूंग का एमएसपी सबसे अधिक 10.35 प्रतिशत बढ़कर 8,558 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है जो साल 2022-23 में 7,755 रुपये प्रति क्विंटल था. अरहर का समर्थन मूल्य 6.06 प्रतिशत बढ़ाकर 7,000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है जबकि उड़द का एमएसपी 5.3 प्रतिशत बढ़ाकर 6,950 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है. तिलहन में तिल का एमएसपी साल 2023-24 में 10.28 प्रतिशत बढ़कर 8,635 रुपये प्रति क्विंटल हो गया. मूंगफली का एमएसपी नौ प्रतिशत बढ़ाकर 6,377 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया. सोयाबीन (पीला) का एमएसपी 6.97 प्रतिशत बढ़ाकर 4,600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया.