Narendra Dabholkar Case Verdict, Sachin Andure And Sharad Kalaskar Life Imprisonment – नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में 11 साल बाद फैसला, सचिन अंदुरे और शरद कलस्कर को उम्रकैद; 3 बरी


नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में 11 साल बाद फैसला, सचिन अंदुरे और शरद कलस्कर को उम्रकैद; 3 बरी

नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में 11 साल बाद फैसला. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड (Narendra Dabholkar Murder Case Verdict) में 11 साल बाद कोर्ट का फैसला आ गया है. पुणे की विषेश सीबीआई कोर्ट ने आरोपी सचिन अंदुरे और शरद कलस्कर को दोषी करार दे दिया है. अदालत ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. वहीं डॉक्टर विरेंद्र सिंह तावड़े विक्रम भावे और संजीव पुनालकेर को बरी कर दिया है. दाभोलकर हत्याकांड में कुल 5 आरोपी थे, जिनमें से दो को दोषी करार देते हुए तीन को बरी कर दिया गया है. वीरेंद्र तावड़े को दाभोलकर हत्याकांड का मास्टर माइंड माना गया था

तावड़े उस समय वह “सनातन संस्था के सहयोगी संगठन हिंदू जन जागृति समिति के उप मुख्य आयोजक थे. दाभोलकर के साथ उनका अंधविश्वास विरोधी अभियान को लेकर मतभेद था. उनको अब कोर्ट ने बरी कर दिया है. 

किसको सजा और कौन हुआ बरी? 

सचिन अंदुरे- उम्रकैद

शरद कलस्कर-उम्रकैद

विरेंद्र सिंह तावड़े-बरी

विक्रम भावे-बरी

संजीव पुनालकेर-बरी

20 अगस्त 2013 को हुई दाभोलकर की हत्या

महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रमुख नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पुणे में दाभोलकर की हत्या के बाद फरवरी 2015 में गोविंद पानसरे और उसी साल अगस्त में कोल्हापुर में एमएम कलबुर्गी की गोली मारकर हत्या की गई थी. वहीं सितंबर 2017 में  गौरी लंकेश की बेंगलुरु में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

जून 2016 में वीरेंद्र तावड़े की गिरफ्तारी

पुणे पुलिस ने मामले की शुरुआत जांच की. उसके बाद  बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद 2014 में सीबीआई ने जांच को अपने हाथ में ले लिया.  इसी मामले में जून 2016 में हिंदू दक्षिणपंथी संगठन सनातन संस्था से जुड़े ईएनटी सर्जन डॉ. वीरेंद्र सिंह तावड़े को गिरफ्तार किया गया था. 

क्या है दाभोलकर की हत्या की वजह?

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, वीरेंद्र तवाड़े दाभोलकर हत्याकांड के मास्टरमाइंडों में से एक था. सीबीआई का मानना है कि दाभोलकर की हत्या के पीछे की मुख्य वजह महाराष्ट्र अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति और सनातन संस्था के बीच का टकराव रही. दावा किया गया कि तावड़े और अन्य आरोपियों वाली सनातन संस्था दाभोलकर के संगठन, महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (अंधविश्वास उन्मूलन समिति, महाराष्ट्र) के कामकाज का विरोध करती थी. 

सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, आरोपी डॉ तावड़े 22 जनवरी 2013 को अपनी बाइक से पुणे गया था. इस बाइक का इस्तेमाल वह 2012 से ही कर रहा था. उसी बाइक पर बैठकर हत्यारों ने 20 अगस्त 2013 को डॉ नरेंद्र दाभोलकर पर गोलियां दागी थीं. घटना के बाद भी तावड़े बाइक का इस्तेमाल करता रहा. उसे पुणे के एक गैराज में ठीक भी करवाया गया था. बाद में इसी बाइक को लेकर वो कोल्हापुर भी गया, जहां 2015 में कॉमरेड पंसारे का मर्डर हुआ.

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