Narmda Parikrama: अद्भुद आस्था! 60 की उम्र में एक पैर पर परिक्रमा कर रहा यह शख्स! जानें इस अनोखी यात्रा का रहस्य…



HYP 4872951 1735029052496 2 Narmda Parikrama: अद्भुद आस्था! 60 की उम्र में एक पैर पर परिक्रमा कर रहा यह शख्स! जानें इस अनोखी यात्रा का रहस्य...

खरगोन. मध्य प्रदेश की जीवन दायिनी और देश की सबसे बड़ी एवं पवित्र नदियों में शामिल मां नर्मदा के प्रति लोगों की अटूट आस्था है. हर साल लाखों श्रद्धालु मां नर्मदा की पैदल या वाहन से परिक्रमा करते है. लेकिन, इन दिनों नर्मदा परिक्रमा कर रहे दमोह जिले के 60 वर्षीय सिब्बू की आस्था देख आप भी चौंक चौंक जाएंगे. दरअसल, सिब्बू पिछले 14 महीनों से एक पैर पर मां नर्मदा की पैदल परिक्रमा कर रहे है.

दक्षिण तट की यात्रा पूरी कर अब उत्तर तट की परिक्रमा करते हुए सिब्बु सोमवार की शाम खरगोन जिले की धार्मिक नगरी मंडलेश्वर पहुंचे. यहां मां नर्मदा आश्रय स्थल पर रात्रि विश्राम कर मंगलवार को आगे की ओर रवाना हुए. इस बीच लोकल 18 से बातचीत में गोंड जनजातीय के सिब्बू ने बताया कि, वह मूल रूप से ग्राम भौंरासा, तहसील पथरिया, जिला दमोह के रहने वाले है. पेशे से खेतिहर मजदूर है, और दूसरों के खेतों में किसानी करते है. खुद का घर-परिवार नहीं है. खेत मालिक के खेतों में ही झोपडी बनाकर निवास करते है. हालांकि, उनके तीन भाई है जो अपने परिवार के साथ गांव में रहते है.

दोस्तों के कहने पर शुरू की परिक्रमा
सिब्बू की उम्र 60 वर्ष से ज्यादा हो चुकी है. तीन साल पहले गेंदली नामक बीमारी की वजह से बाया पैर काटना पड़ा. लेकिन, हिम्मत नहीं हारी. गांव के दोस्त गंगाराम पटेल (कुलमी) के कहने पर अन्य परिक्रमावासी के साथ पिछले साल एकादशी के दिन अमरकंटक से नर्मदा परिक्रमा प्रारम्भ की.

लोगों के दान की बैसाखी
सिब्बू कहते है कि, जब परिक्रमा पर निकले तब जेब में मात्र 500 रुपए थे. लेकिन, मां नर्मदा की कृपा से कभी पैसों की दिक्कत नहीं हुई. साथी रास्ते में बिछड़ गए, अब वह अकेले ही चल रहे है. एक दिन में लगभग 15 किलोमीटर का सफर तय कर लेते है. काफी दूर तक लड़की के सहारे नंगे पैर चल रहे थे फिर कुछ लोगों ने उन्हें बैसाखी और जूते दान कर दिए. अब बैसाखी के सहारे परिक्रमा पूरी कर रहे है.

अगली यात्रा मथुरा-वृंदावन या चित्रकूट
जगह-जगह रहने खाने के किए अन्नकूट और आश्रम मिल जाते है. लोग जरूरत की वस्तुएं दान कर देते है. वह अपने साथ एक बैग रखते है, जिसमें ओढ़ने के लिए कंबल, पहनने के कपड़े और पूजन सामग्री रहती है. उन्होंने कहां मां नर्मदा परिक्रमा पूरी करने में अभी एक साल और लगेगा. इसके बाद फिर संसार की मोह माया को त्यागकर मथुरा-वृंदावन या फिर चित्रकूट की यात्रा करेंगे और अंत में वही रहकर पूरा जीवन भक्ति में बिताएंगे.

Tags: Dharma Aastha, Local18



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