naxal-region-bustar-booms-with-its-own-coffee-brand-named-bustar-coffee – News18 हिंदी


जगदलपुर. बस्तर में दो दशक पहले कॉफी उत्पादन का प्रयास किया गया, पर इसे ज्यादा सफलता नहीं मिली. वर्ष 2018-19 में नई तकनीक से पहल करने पर कृषि वैज्ञानिकों को इसमें काफी सफलता हाथ लगी. यह प्रयोग इतना सफल हुआ कि यहां उपजाई गई कॉफी ‘बस्तर कॉफी’ के ब्रांड की शक्ल में बाजार में आ चुकी है. पथरीला इलाका होने के कारण बस्तर के दरभा, डिलमिली व बस्तानार ब्लॉक में  खेती न के बराबर होती है. इसी पथरीली जमीन पर अब उद्यानिकी कॉलेज के प्रयासों से कॉफी की खेती किसानों से करवाई जा रही है. जिससे किसानों को भी अब मुनाफा होने लगा है.

 ब्रांडिंग से मिली अलग पहचान
कॉफी की खेती करने वाले किसान कॉफी के पौधे से बीज चुनकर उसे सुखा रहे हैं. फिर इन बीजों को जगदलपुर के उद्यानिकी कॉलेज पहुंचाया जाता है. यहां ड्रायर, मिक्सर व ग्राइंडर की मदद से कॉफी का पाउडर बनाया जाता है. यहां उसे ‘बस्तर ब्रांड’ के नाम से पैकेट में सील बंद करने का सारा काम किया जाता है और फिर सी-मार्ट, हरिहर जैसे सरकारी आउटलेट तक पहुंचाया जाता है.

 नगद फसल से बढ़ी आमदनी 
बस्तर के इन इलाके में कॉफी जैसी नगद फसल के बारे में किसानों को बताने व उन्हें इसके फायदे गिनाने में उद्यानिकी कॉलेज के वैज्ञानिकों को बहुत समय लगा. इसके बाद उन्होंने यहां की महिलाओं को समूह बनाकर इसकी खेती करने के लिए प्रेरित किया. महिला समूह को खेती करते देख पुरुष भी इनके साथ जुड़ने लगे. इससे पहले यहां के आदिवासी किसान कोदो, कुटकी व रागी जैसी फसल पर ही आजीविका चलाते थे. इनसे उन्हें सीमित आमदनी होती थी.

बदल रही इलाके की तस्वीर 
नक्सली प्रभावित इलाके में वैज्ञानिकों की मदद से हो रहे प्रयोग ने स्थानीय लोगों की ज़िंदगी बदल दी है. बीड़ी के लिए तेंदुआ के पत्ते इकट्ठा करने जैसे कामों से उनकी कमाई भी बहुत कम थी. इससे महिलाओं को आत्मनिउरभर बनने का भी सुनहरा अवसर मिला है. किसी पिछड़े जगह के लिए व्यापारिक गतिविधि शुरू होने से वहां के समाज में विकास की गति काफी तेज रहती है. ‘बस्तर कॉफी’ ब्रांड से बड़ा बदलाव पुरे क्षेत्र में नजर आ रहा है.

Tags: Agriculture, Bastar news, Chhattisagrh news, Local18



Source link

x