NDRF Personnel Returned From Rescue After Odisha Train Accident Started Seeing Blood In Water – ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद रेस्क्यू से लौटे बचावकर्मी को पानी में दिखने लगा है खून: NDRF महानिदेशक
नई दिल्ली:
ओडिशा में हुए भीषण ट्रेन हादसे के बाद राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने दिन-रात मेहनत कर बेहद ही तेजी से राहत और बचाव के काम किए थे. इसमें सैंकड़ों कर्मी दिन-रात लगे रहे. लगातार शवों और घायलों को निकालने की वजह से कई एनडीआरएफ कर्मी में अलग ही लक्षण नजर आने लगे हैं. एनडीआरएफ ने महानिदेशक अतुल करवाल ने बताया कि ओडिशा के बालासोर में ट्रेन दुर्घटनास्थल पर बचाव अभियान में तैनात बल का एक कर्मी जब भी पानी देखता है तो उसे वह खून की तरह लगता है, जबकि एक अन्य बचावकर्मी को भूख लगनी बंद हो गई है.
यह भी पढ़ें
बालासोर में तीन ट्रेनों के आपस में टकराने के बाद बचाव अभियान के लिए एनडीआरएफ के नौ दलों को तैनात किया गया था. भारत के सबसे भीषण रेल हादसों में से एक इस दुर्घटना में कम से कम 278 लोगों की मौत हो गई, जबकि 900 से अधिक लोग घायल हो गए. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बल ने 44 पीड़ितों को बचाया और घटनास्थल से 121 शव बरामद किए.
आपदा प्रतिक्रिया के लिए क्षमता निर्माण पर वार्षिक सम्मेलन, 2023 को संबोधित करते हुए करवाल ने कहा, “मैं बालासोर ट्रेन हादसे के बाद बचाव अभियान में शामिल अपने कर्मियों से मिला. एक कर्मी ने मुझे बताया कि वह जब भी पानी देखता है तो उसे वह खून की तरह लगता है. एक अन्य बचावकर्मी ने बताया कि इस बचाव अभियान के बाद उसे भूख लगनी बंद हो गई है.”
ओडिशा ट्रेन दुर्घटना की क्या थी वजह…? अब तक 278 लोगों के मारे जाने की पुष्टि, CBI ने शुरू की जांच
हाल में दुर्घटनास्थल का दौरा करने वाले एनडीआरएफ के महानिदेशक ने कहा कि बल ने अपने कर्मियों के बचाव एवं राहत अभियान से लौटने पर उनके लिए मनोवैज्ञानिक काउंसेलिंग और मानसिक स्थिरता पाठ्यक्रम शुरू किया है.
उन्होंने कहा, “अच्छी मानसिक सेहत के वास्ते ऐसी काउंसेलिंग हमारे उन कर्मियों के लिए करायी जा रही है जो आपदाग्रस्त इलाकों में बचाव एवं राहत अभियानों में शामिल होते हैं.”
करवाल ने कहा कि पिछले साल से अब तक इस संबंध में कराए विशेष अभ्यास के बाद तकरीबन 18,000 कर्मियों में से 95 प्रतिशत कर्मी फिट पाए गए.
इसे भी पढ़ें: