Ndtv Exclusive Interview With Iranian Ambassador To India On Israel Gaza War – NDTV Exclusive: हमास को आतंकी गुट कहना ठीक नहीं, यह विरोधी संगठन: भारत में ईरानी राजदूत से खास बातचीत



np9lr2vo israel attack Ndtv Exclusive Interview With Iranian Ambassador To India On Israel Gaza War - NDTV Exclusive: हमास को आतंकी गुट कहना ठीक नहीं, यह विरोधी संगठन: भारत में ईरानी राजदूत से खास बातचीत

नई दिल्ली:

इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है. हमास के लड़ाके लगातार इजरायल पर हमला (Israel-Gaza War) कर रहे हैं और इजरायल भी बदले में फिलिस्तीन को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है. ऐसे हालात में दुनिया दो हिस्सों में बंट गई है. कुछ देश इजरायल के समर्थन में खड़े हैं तो कुछ देश फिलिस्तीन को समर्थन कर रहे हैं. ईरान वह देश है, जिसको फिलिस्तीन का समर्थक माना जाता है यहां तक कि उसकी भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. दोनों के बीच जारी संघर्ष के बीच एडीटीवी ने भारत में ईरान के राजदूत डॉ. इराज इलाही से बातचीत कर उनका पक्ष जाना. 

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‘हमास को आतंकी गुट कहना गलत’ 

ईरानी राजदूत डॉ. इराज इलाही ने कहा है कि इजरायल-गाजा युद्ध ने दुनिया को बीच में बांट दिया है. ज्यादातर देश इजरायल के पक्ष या विपक्ष में खड़े हैं. वहीं अरब देश फिलिस्तीन के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में ईरान की भूमिका पर करीब से नजर रखी जा रही है. सबसे पहले तो हम हमास के विरोध भरे कृत्य की व्याख्या आतंकवाद के रूप में नहीं करते हैं. हमास एक विरोधी संगठन है, इसीलिए  इस मामले में सही शब्द का इस्तेमाल करना जरूरी है. ईरान के राजदूत ने कहा कि हमास की स्वतंत्र क्षमता एक अखंड वास्तविकता है जिसे मुख्यधारा का मीडिया नजरअंदाज करने की कोशिश करता है. उन्होंने कहा कि यह सच है कि ईरान हमेशा प्रतिरोध की धुरी का समर्थन करता है, लेकिन यह तथ्य हमें अन्य एक्टर्स की निर्णायक शक्ति और एजेंसी को कम आंकने में गुमराह नहीं कर सकता.

‘संघर्ष की मुख्य वजह छिपा रहा इजरायल’

एनडीटीवी के साथ खास इंटरव्यू में ईरान के राजदूत ने अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों द्वारा इजरायल में पिछले हफ्ते हुए आतंकवादी हमले के लिए हमास को संभावित समर्थन देने के सवाल का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि यहूदी शासन तीन तथ्यों को छिपाने के लिए इन झूठे आरोपों का प्रचार करता है. पहले तो वह संघर्ष की मुख्य वजह को छिपाने के लिए बाहरी कारकों को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश करता है, जो कि फिलिस्तीनियों के खिलाफ निरंतर और क्रूर अपराध है. यहूदी उग्रवाद न सिर्फ कब्जे वाली जमीन पर बल्कि पूरे क्षेत्र में हिंसा और अस्थिरता का मुख्य कारण है. राजदूत ने कहा कि वह अपनी अमानवीय विचारधारा और वास्तविकताओं के गलत मूल्यांकन के की वजह से फिलिस्तीन में संघर्ष को बढ़ावा दे सकते हैं. राजदूत ने कहा कि वह स्वतंत्र रूप से रंगभेद और कब्जे के खिलाफ खड़े हमास की जरूरी ताकत को इजरायल नकारने की कोशिश करता है. 

‘इजरायल ने गाजा के पानी-बिजली में की कटौती’

डॉ इलाही ने यह भी कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी नए संघर्ष पैदा होने से बहुत चिंता में हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से इज़रायल ने गाजा पट्टी की पूर्ण घेराबंदी की चेतावनी दी है. इस बात का बड़ा डर है कि गाजा के लोगों का आगे क्या होगा. भारत में ईरानी राजदूत ने एनडीटीवी को बताया कि साल की शुरुआत के बाद से हताहतों की संख्या में अभूतपूर्व इजाफा हुआ है. इजरायल ने गाजा के लिए पानी, बिजली, दवा की आपूर्ति में कटौती कर दी है. उन्होंने 1.2 मिलियन से ज्यादा फिलिस्तीनियों को अपना घर छोड़कर दक्षिण गाजा की ओर जाने की चेतावनी दी है. ईरानी राजदूत ने कहा कि गाजा में चल रही मानवीय तबाही का वर्णन करने के लिए किसी को भी उचित शब्द नहीं मिल रहे हैं. इजरायली सरकार फिलिस्तीनियों से गाजा पट्टी को खाली कराने की योजना बना रही है.

‘वैश्विक समुदाय को धोखा देने के लिए झूठ का सहारा’

ईरानी राजदूत ने कहा कि गाजा में हो रहे नरसंहार को आगे बढ़ाने के लिए, यहूदियों को अपने पाश्विक और आपराधिक कृत्यों को सामान्य और स्वाभाविक बनाने की जरूरत है इसलिए यह बिल्कुल भी आश्चर्य की बात नहीं है कि वे अपने अमानवीय और अविश्वसनीय अत्याचारों में उनका समर्थन हासिल करने के लिए वैश्विक समुदाय को धोखा देने के लिए इतने बड़े झूठ को बढ़ावा दे रहे हैं.पहली बार सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने बात की क्योंकि रियाद पूरे क्षेत्र में हिंसा में व्यापक वृद्धि को रोकने की कोशिश कर रहा है. ऐसी रिपोर्टें भी आ रही हैं कि रियाद ने अमेरिका की मध्यस्थता में इज़रायल के साथ सामान्यीकरण योजनाओं को रोक दिया है. भारत में ईरानी राजदूत ने एनडीटीवी से कहा कि फिलिस्तीनी मुद्दे पर विचार किए बिना यह देर-सबेर विफल हो जाएगा. भले ही हम मान लें कि ऐसा सामान्यीकरण पहले हो सकता था, लेकिन यह स्थायी और टिकाऊ सौदा नहीं होगा.

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