Nepal PM Pushp Kamal Dahal Visit India But China Wang Xiaohui In Nepal Before Prachanda India Visit Rise Tensions Know Why
China Nepal Relations Vs India: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ (Pushp Kamal Dahal) कई दिन की भारत यात्रा पर हैं. उन्होंने यहां बुधवार दोपहर (31 मई को) भारतीय PM नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. हालांकि, भारत पहुंचने से पहले वह नेपाल की राजधानी काठमांडू में चीन के वांग शियाओहुई से मिले थे. बता दें कि वांग शियाओहुई को चीन का ‘चाणक्य’ माना जाता है. वांग वहां कूटनीति के बड़े जानकार हैं और विदेश मामलों में भी उनका दखल रहा है.
‘प्रचंड’ का भारत दौरे से पहले चीन के वांग शियाओहुई से मिलना कई तरह के सवाल उठाता है. दरअसल, ‘प्रचंड’ को चीन का करीबी माना जाता है. अपने कार्यकालों के दौरान उन्होंने कई बार भारत विरोधी बयान भी दिए हैं. 2009 में उन्हें पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था, जिसके पीछे उन्होंने भारत को वजह माना. वहीं, उसके बाद वह कई बार चीन दौरे पर गए. चीन का नेपाल में हस्तक्षेप बढ़ता गया. पिछले साल ‘प्रचंड’ तीसरी बार नेपाल के पीएम बने चीन के विभिन्न प्रतिनिधियों से उनकी मुलाकातें होती रहीं.
कौन हैं चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के वांग शियाओहुई?
‘प्रचंड’ के भारत दौरे से ठीक पहले नेपाल में सत्तारूढ़ सीपीएन माओवादी नेताओं की ओर से वांग शियाओहुई को काठमांडू बुलाया गया. सीपीएन माओवादी पुष्प कमल दहल की पार्टी है. और, वांग पिछले साल दिसंबर में ‘प्रचंड’ की सरकार के गठन के बाद काठमांडू जाने वाले सबसे वरिष्ठ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के नेताओं में शुमार हैं. वह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के सिचुआन प्रांत के सेक्रेटरी हैं. वह चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के प्रॉपगैंडा विभाग के पूर्व उप प्रमुख रहे हैं.
वांग शियाओहुई से क्यों हुई ‘प्रचंड’ की मुलाकात?
वांग शियाओहुई की ‘प्रचंड’ से मुलाकात को भारतीय जानकारों ने भारत की चिंता बढ़ाने वाला बताया है. क्येांकि, वांग वर्तमान में शियाओहुई सीपीसी की केंद्रीय समिति के सदस्य हैं, और उन्हें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का भी करीबी माना जाता है. भारतीय विदेशनीति के जानकार कहते हैं कि भारत-चीन के बीच गलवान संघर्ष के दिनों ही नेपाल ने भी सीमा विवाद का हो-हल्ला मचाना शुरू कर दिया था, जो कि वहां की ओली सरकार ने चीन के इशारों पर ही किया. इससे समझा जा सकता है कि चीन का नेपाल में दखल कितना ज्यादा बढ़ गया है कि तीन ओर से भारत से घिरे होने और हमारे देश को नेपालियों की रोजी-रोटी का बड़ा जरिया होने के बावजूद नेपाली सरकार ने लिपुलेख-कालापानी पर विवाद खड़ा कर दिया.
ओली-प्रचंड को एकसाथ लाना चाहता है ड्रैगन
वहीं, ऐसे में जबकि नेपाली पीएम ‘प्रचंड’ भारत के दौरे पर हैं, मगर इसके ठीक पहले उनका चीन के वरिष्ठ नेता वांग शियाओहुई से मिलना ड्रैगन की नीयत पर शक पैदा करता है. विदेशनीति के जानकारों का अंदाजा है कि चीन नेपाल में ओली-प्रचंड को एकजुट करना चाहता है. वहीं, कुछ जानकार ये कहते हैं कि चीन नेपाल की उस परंपरा से चिढ़ा हुआ है, जिसमें ये तय है कि जो भी नेता वहां का प्रधानमंत्री बनेगा, वो अपनी विदेशी यात्राओं की शुरुआत भारत से करेगा.
पूर्व पीएम केपी ओली जाएंगे चीन
काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, नेपाल के पूर्व स्पीकर अग्नि सपकोटा के नेतृत्व में माओवादी सेंटर का 20 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल चीन गया हुआ है और वहां वो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के वरिष्ठ नेताओं से मिल रहे हैं. उसके बाद नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल का प्रतिनिधिमंडल भी चीन जाएगा.
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