NIA Claims Lawrence Bishnoi Is Running A Gang Like Dawood Ibrahim – NIA का दावा- दाऊद इब्राहिम की तरह गैंग चला रहा है लॉरेंस बिश्नोई, जानिए उसकी पूरी क्राइम कुंडली



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ये क्राइम कुंडली है लॉरेंस बिश्नोई की. देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी NIA यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी कहती है  कि वो दाऊद इब्राहिम जैसा है. NIA ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि जिस तरह से 1990 के दशक में दाऊद इब्राहिम ने देश में अपना नेटवर्क बनाया था ठीक उसी तर्ज पर गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई भी अपने आतंकी नेटवर्क का विस्तार कर रहा है. उसमें और दाऊद इब्राहिम में कई समानताएं हैं. चलिए उसकी क्राइम फाइल को तलाशने की कोशिश करते हैं.

कौन हैं लॉरेंस बिश्नोई?

ये संयोग है कि दाऊद इब्राहिम और लॉरेंस बिश्नोई के पिता पुलिस कांस्टेबल रहे हैं. लेकिन दाऊद का जन्म 26 दिसंबर 1955 को मुंबई में हुआ और लॉरेंस का जन्म 12 फरवरी 1993 को पंजाब के फिरोजपुर में. लॉरेंस के पिता का नाम लविंदर बिश्नोई और माता का नाम सुनीता बिश्नोई है. परिवार पंजाबी है लेकिन नाम रखा ईसाई. लॉरेंस जब पैदा हुआ तो काफी चमकीले रंग का था लिहाजा परिवार ने नाम रख दिया- लॉरेंस यानी उज्जवल. उसका एक भाई भी है जिसका नाम है अनमोल बिश्नोई. वो पेशे से बॉक्सर है. लॉरेंस के क्राइम की कहानी शुरू होती है डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से. वहां उसने स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी यानी ‘सोपू’ के बैनर तले छात्र यूनियन का चुनाव लड़ा. चुनाव में उसे हार मिली. उसे अपनी हार बर्दाश्त नहीं हुई और मामला इतना बिगड़ा की फायरिंग की नौबत आ गई. पुलिस ने लॉरेंस को पकड़ा. हालत ये हो गई कि परीक्षा देने के लिए भी वो कॉलेज मे हथकड़ी पहन कर आया. यहीं से उसके क्राइम लाइफ की शुरूआत हुई.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लॉरेंस को अपनी हार बर्दाशत नहीं हुई और फरवरी 2011 में उसने अपने साथी छात्रनेता के ऊपर हमला किया, तो उसके ऊपर हत्या की कोशिश का मामला दर्ज हुआ. जेल जाने के बाद, वो जमानत पर रिहा हो गया था. इसके बाद फिर उसे प्वाइंट 5 बोर की पिस्टल और कारतूस के साथ गिरफ्तार किया गया. आगे 12 अगस्त 2012 को लॉरेंस के खिलााफ हत्या की कोशिश, दंगा करने और कई और धाराओं में केस दर्ज किया गया था.

पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था लॉरेंस

लॉरेंस हत्या, लूट, रंगदारी वसूलने जैसे अपराध करता रहा. जेल जाता रहा और जमानत पर रिहा होता रहा. 17 जनवरी 2015 को जब पंजाब की खरड़ पुलिस उसे कोर्ट में पेशी के लिए लेकर जा रही थी, तो वो पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था. लेकिन 4 मार्च 2015 को वो फाजिल्का पुलिस के हत्थे चढ़ गया. लॉरेन्स जेल में रह कर भी अपना नेटवर्क चलाता रहा और अपराध करता रहा. उसने ने जेल से ही फोन करके सीकर के पूर्व सरपंच सरदार राव की हत्या करवा दी. इतना ही नहीं जोधपुर में अपनी धाक जमाने के लिए लॉरेंस ने 17 सितंबर को सरेआम अपने शूटर हरेंद्र जाट और रविंदर काली से कारोबारी वासुदेव इसरानी की हत्या करवा दी.

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गैंग को यूं आगे बढ़ाता रहा लॉरेंस

कहा जाता है कि लॉरेंस का फॉर्मूला है दुश्मन के दुश्मनों को अपना दोस्त बनाना. इसे फॉर्मूले के तहत लॉरेंस ने पहले हरियाणा के कुख्यात गैंगस्टर संदीप उर्फ काला जठेड़ी से हाथ मिलाया. इसके बाद उसने गुरुग्राम के गैंगस्टर सूबे गुजर और राजस्थान के गैंगस्टर आंनद पाल सिंह से हाथ मिलाया. हरियाणा और राजस्थान में अपना सिक्का जमाने के बाद उसने दिल्ली में गैंगस्टर जितेंद्र उर्फ गोगी से हाथ मिला लिया. साल 2019 से लेकर 2021 तक जेल में बंद लॉरेंस ने करोड़ों रुपए एक्सटोर्शन के जरिए कमाए. और फिर इन पैसों को हवाला के जरिए विदेश में बैठे अपने साथियों गोल्डी बराड़, काला राणा और मनीष भंडारी के पास भेज दिया. NIA रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है कि कभी सिर्फ पंजाब तक सीमित यह गैंग अब उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों में भी फैल चुका है. एनआईए ने आरोप पत्र में कहा कि लॉरेंस बिश्नोई के पास वर्तमान में 600 से 700 से अधिक शूटरों का एक विशाल नेटवर्क है और इसमें से 300 शूटर पंजाब से हैं. इस गिरोह ने वर्ष 2022 तक करोड़ों रुपये कमा लिए थे.

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गिरोह चलाने का तरीका है शातिराना

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि लॉरेंस इस क्राइम कंपनी में मास्टर ब्रेन है तो उसका कॉलेज का दोस्त गोल्डी बराड़ कंपनी की रीढ़ की हड्डी है. लारेंस का भांजा सचिन बिश्नोई  कंपनी का भर्ती सेल और टारगेट प्लान का प्रमुख है, जो फिलहाल फरार है. जबकि ऑस्ट्रिया से अनमोल और कनाडा से विक्रम बराड़ कंपनी की फाइनेंस डील को संभालते हैं. इस क्राइम कंपनी मे हर टारगेट  से जुड़ा शख्स केवल अपने आगे वाले एक शख्स को जानता है. इसके अलावा एक ऑपरेशन में जितने भी बंदे गैंग से जुड़े होते हैं, उन्हें बाकी गैंग मेम्बर के बारे  में कोई भी जानकारी नहीं रहती. इसी वजह से वे क्राइम को अंजाम देते हैं लेकिन मुश्किल से ही पकड़ में आते हैं.

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