Niti Aayog Report says Faculty Shortages and Infrastructure Issues Impacting Education Quality in State Universities
भारत की स्टेट पब्लिक यूनिवर्सिटी (SPUs), जो देश के 81% उच्च शिक्षा छात्रों को पढ़ाती हैं, आज गंभीर समस्याओं का सामना कर रही हैं. इन विश्वविद्यालयों में फैकल्टी की कमी और पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से शिक्षा की गुणवत्ता और रिसर्च पर असर पड़ रहा है. नीति आयोग ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि इन विश्वविद्यालयों में 40% से ज्यादा फैकल्टी पद खाली हैं और केवल 10% SPUs के पास अच्छे रिसर्च के संसाधन हैं, ऐसे में छात्रों को सीखने में परेशानी हो रही है.
GDP का 6% सरकार खर्च करे उच्च शिक्षा पर: रिपोर्ट
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि SPUs, जो कि भारत की उच्च शिक्षा का सबसे बड़ा हिस्सा हैं, छात्रों को सस्ती और समावेशी शिक्षा देती हैं. ये विश्वविद्यालय 3.25 करोड़ से ज्यादा छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. लेकिन इन समस्याओं को हल करने के लिए कुछ उपायों की जरूरत है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार को उच्च शिक्षा में निवेश बढ़ाना चाहिए, यानी GDP का 6% हिस्सा इसके लिए खर्च करना चाहिए. इसके अलावा, SPUs को अधिक ऑटोनॉमी और इंडिपेंडेंट बनाने की जरूरत है, ताकि वे बेहतर तरीके से काम कर सकें और रिसर्च के लिए अधिक सुविधाएं उपलब्ध करा सकें.
देश में सिर्फ 32% यूनिवर्सिटी में ही डिजिटल लाइब्रेरी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि SPUs के पास पुराने भवन और कम रिसर्च के संसाधन हैं, जिससे छात्रों को उचित मार्गदर्शन और मदद नहीं मिल पा रही है. डिजिटल लाइब्रेरी की भी समस्या है, क्योंकि केवल 32% SPUs के पास पूरी तरह से काम करने वाली डिजिटल लाइब्रेरी है. इसके कारण, छात्रों और शिक्षकों को दुनियाभर के रिसर्च तक पहुंचने में मुश्किल हो रही है.
40% से ज्यादा फैकल्टी के पद हैं खाली: रिपोर्ट
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि SPUs में 40% से ज्यादा फैकल्टी पद खाली हैं, जिससे छात्रों का शैक्षिक अनुभव प्रभावित हो रहा है. छात्र-शिक्षक अनुपात बहुत बढ़ गया है. जहां एक अच्छे विश्वविद्यालय में यह अनुपात 15:1 होना चाहिए, वहीं SPUs में यह 30:1 तक पहुंच चुका है. इसका मतलब यह है कि छात्रों को पर्याप्त ध्यान और मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि SPUs को सबसे पहले फैकल्टी की भर्ती और उन्हें बनाए रखने के उपायों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके.
रिपोर्ट में ट्यूशन फीस को लेकर कही गई ये बात
हालांकि, एक अच्छा पहलू यह है कि SPUs में ट्यूशन फीस निजी संस्थानों के मुकाबले काफी कम है. यही कारण है कि ये विश्वविद्यालय आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए भी शिक्षा के अवसर प्रदान करते हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि SPUs को फिर से सुधारने के लिए सरकार को अधिक निवेश करने की जरूरत है. इसके साथ ही, SPUs को अधिक स्वायत्तता और शोध को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं को लागू करना होगा.
हाई कॉस्ट के चलते नहीं हो पा रहा NAAC
इसके अलावा, सरकारी कॉलेजों को भी NAAC (राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड) के हाई कॉस्ट की वजह से गुणवत्ता सुधार फंड मिलने में मुश्किल होती है. इन सब समस्याओं के समाधान के लिए सरकार को जल्द कदम उठाने की जरूरत है.
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