NMC Member Doctor Rajeev Sood To NDTV On Derecognition Of Medical Colleges Issue – 40 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द? एनएमसी सदस्य डॉक्टर राजीव सूद ने NDTV से कहा- मौका दिया जाता है…
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कॉलेज 30 दिन के अंदर एनएमसी के सामने अपील कर सकते हैं.
नई दिल्ली:
देशभर में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा स्थापित मानकों का कथित तौर पर पालन न करने के लिए पिछले दो महीनों में करीब 40 मेडिकल कॉलेज मान्यता गंवा चुके हैं. आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि तमिलनाडु, गुजरात, असम, पंजाब, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल में करीब 100 और मेडिकल कॉलेजों पर भी ऐसी ही कार्रवाई की जा सकती है. हालांकि, नेशनल मेडिकल कमीशन के सदस्य डॉक्टर राजीव सूद ने NDTV से कहा कि नया कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ मॉनिटरिंग सख्त हुई है और डिरिकॉग्नाइज्ड होना भी एक फाइनल डिसीजन नहीं होता, उनको मौका दिया जाता है.
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डॉक्टर राजीव सूद ने कहा, “ये नई चीज़ नहीं, इंस्पेक्शन पुराने वक्त में भी होता रहा है. डिरिकॉग्नाइज्ड होना भी एक फाइनल डिसीजन नहीं होता, उनको मौका दिया जाता है. पहली अपील राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) में होती है. अनुपालन पूरा करके 30 दिन के अंदर एनएमसी के सामने अपील कर सकते हैं. दूसरी अपील मंत्रालय में मेडिकल कॉलेज कर सकते हैं. इसमें भी 30-30 दिन का वक्त मिलता है. अगर कोई तकनीकी समस्या होती है, तो 45 दिनों में इसका निपटारा हो सकता है.”
उन्होंने कहा कि दरअसल, जो एक डर पैदा हो गया है कि 140 मेडिकल कॉलेज अमान्य हो रहे हैं और 40 हो गए हैं, लेकिन इसमें सबके पास मौका है. फैकल्टी, इंफ्रा या बायोमैट्रिक जो इंट्रोड्यूस किया है, इसको तो पूरा करना पड़ेगा ही. नियम-कानूनों को अगर पूरा कर दिया जाए, तो डरने की बात नहीं. अपील सब दाखिल करेंगे, जिनको कम्युनिकेशन होता जा रहा है. रोज़ अलग-अलग मीटिंग हो रही हैं. चार बोर्ड हैं एमएनसी में उससे स्क्रूटनाइज होने के बाद गवर्निंग बॉडी में आता है.
एनएमसी सदस्य ने कहा कि अब तक करीब 18-20 मेडिकल कॉलेजों ने अपील की हैं. उन कॉलेजों में पाई गई कमी कॉलेज को कम्युनिकेट की जा रही हैं. बताया जा रहा है कि किस वजह से डिरिकॉग्नाइज्ड किया जा रहा है. पहले प्राइवेट कॉलेजों में कई मौकों पर दिक्कत आई है कि मौका देने पर भी वो पूरा नहीं कर पाए. हालांकि, गवर्नमेंट कॉलेज में ऐसी दिक्कत दूर कर लेते हैं. काउंसलिंग और इंटेक के लिए अभी बात हो रही है, जो दूसरे तीसरे चौथे ईयर में हैं, उनके लिए दिक्कत नहीं.
डॉक्टर राजीव सूद ने बताया कि इस मामले में कॉलेजों को जल्दी काम करना पड़ेगा. इसका टाइम शेड्यूल है. अगर एक बार काउंसलिंग शुरू हो गई, बैच शुरू हो गए, तो फिर दिक्कत है. कॉलेज को मानदण्ड पहले से पता हैं. अगर कोई सोचे हम सरकारी कॉलेज हैं, हो ही जाएगा, तो ऐसा नहीं है. वैसे नया कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ मॉनिटरिंग सख्त हुई है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2014 के बाद से मेडिकल कॉलेजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने फरवरी में राज्यसभा को बताया था कि 2014 में 387 मेडिकल कॉलेज थे, लेकिन अब 69 प्रतिशत इजाफे के साथ इनकी संख्या 654 हो चुकी है. इसके अलावा, एमबीबीएस सीट में 94 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो वर्ष 2014 के पहले की 51,348 सीट से बढ़कर अब 99,763 हो गई है. पीजी सीट में 107 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2014 से पहले की 31,185 सीट से बढ़कर अब 64,559 हो गई है.
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