NMC New Rule Of Compulsory Clerkship For Foreign Medical Graduates Rises Problems Students Not Happy With The Decision
NMC’s New Rule Of Clinical Clerkship: हाल ही में नेशनल मेडिकल कमीशन ने एक नया नियम निकाला है जिसे लेकर एफएमजी यानी फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स के बीच असंतोष फैला है. एनएमसी का कहना है कि वे स्टूडेंट्स जिन्होंने विदेश से मेडिकल की डिग्री ली है और वे किसी वजह से फाइनल ईयर में ब्रेक लेकर इंडिया वापस आ गए उन्हें इंडिया में इंटर्नशिप करने से पहले क्लिनिकल क्लर्कशिप पूरी करनी होगी. जब वे ये क्लर्कशिप पूरी कर लेंगे उसके बाद ही वे इंडिया में होने वाली कंपलसरी रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप (CRMI) कर पाएंगे.
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एफएमजी कंफ्यूज हो रहे हैं
एजुकेशन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एनएमसी के इस फैसले फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स न केवल कंफ्यूज हैं बल्कि असंतुष्ट भी हैं. उनका कहा है कि इससे उनके ऊपर अतिरिक्त बर्डन पड़ेगा और उनकी पढ़ाई पहले से और देर में पूरी होगी. स्टूडेंट्स का कहना है कि क्लिनिकल क्लर्कशिप का बर्डन डालने से स्टूडेंट्स पर दबाव बढ़ेगा क्योंकि मेडिकल में 6 महीने की ट्रेनिंग काफी होती है उसे इतना लंबा खींचने की जरूरत नहीं है.
क्या कहना है एनएमसी का
इस बारे में एनएमसी ने नियम निकाला है कि कोविड के कारण या रशिया-यूक्रेन वॉर के कारण या जिस भी वजह से जो मेडिकल स्टूडेंट्स वापस आए हैं, उन्हें एक्स्ट्रा ट्रेनिंग लेनी होगी. सेकेंड लास्ट ईयर में वापस आने वाले कैंडिडेट्स को दो साल की क्लर्कशिप करनी होगी और फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स को एक साल की क्लर्कशिप करनी होगी.
कमीशन का कहना है कि फॉरेन मेडिकल कॉलेजेस में ट्रेनिंग की कमी होती है इसलिए वहां से आए स्टूडेंट्स को यहां प्रैक्टिस करने से पहले कंपलसरी क्लर्कशिप ट्रेनिंग करनी होगी.
नहीं समझ पा रहे हैं नया नियम
कमीशन का कहना है कि इंडिया में एमबीबीएस करते समय थ्योरी के साथ तो प्रैक्टिकल ट्रेनिंग चलती ही है साथ ही आखिरी साल में जमकर प्रैक्टिकल होते हैं. जबकी एफएमजी में ऐसा नहीं होता. इस गैप को भरने के लिए विदेशी स्टूडेंट्स के लिए ट्रेनिंग जरूरी है. विदेशी स्टूडेंट्स यानी वहां से डिग्री लेने वाले स्टूडेंट्स को यहां प्रैक्टिस से पहले यहां के नियमों को ठीक तरह समझना होगा और उसके लिए ट्रेनिंग जरूरी है.
बढ़ रहा है कोर्स कंप्लीट करने का समय
स्टूडेंट्स का कहना है कि एफएमजी के नये रेग्यूलेशंस 2021 में मेंशन नियमों को देखकर वे कंफ्यूज हैं कि विदेश से पढ़ई करने कैसे जाएं. उस पर ये क्लिनिकल क्लर्कशिप का नियम आ गया है. विदेश से पढ़ने पर उनकी क्लर्कशिप का टेन्योर बढ़ा जा रहा है. उनका कहना है कि पेंडेमिक की वजह से छात्र पहले ही बहुत सफर कर चुके हैं. वही कमीशन का कहना है कि स्टूडेंट्स को विदेशी संस्थान चुनने से पहले ही मना किया जाता है लेकिन वे मानते नहीं और बाद में कमीशन को दोष देते हैं.
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